पुण्य स्मरण

प्रेम में जब हो कोई, “श्रीजना”, तो प्रेम की चंहु ओर होती है गर्जना

मेरी कलम से…
आनन्द कुमार

प्रेम का नाम होना ही, प्रेम नहीं,
प्रेम में तप हो, जस हो, तो है प्रेम।
प्रेम कोई वस्तु नहीं, की मिले बाज़ार में,
प्रेम में, दो ह्रदय का मेल है।
प्रेम का अगर समझ नहीं, तो है बेकार,
प्रेम में “विवेक” ही है आधार।
प्रेम में जब हो कोई, “श्रीजना”,
तो प्रेम की चंहु ओर होती है गर्जना।

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