…कल्पनाथ आपको भूल न पायेगें !
o जनपद स्थापना दिवस पर विशेष…
( आनन्द कुमार )
मऊ। 19 नवम्बर को भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जन्मदिन व इसी दिन 19 नवम्बर 1988 को मऊ जनपद का स्थापना होना मऊ जनपद के जन-जन के लिए गौरव की बात है। इस गौरवमयी इतिहास के जनक मऊ जनपद के शिल्पी व सृजनकार विकास पुरूष पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्व. कल्पनाथ राय को हम याद न करें तो यह सरासर बेमानी होगी।
वास्तव में 19 नवम्बर 1988 का अवसर मऊ की गौरवमयी विकास की गाथा की वह बानगी है जिसका नींव अगर कल्पनाथ राय जी ने नहीं रखी होती तो मऊ का अस्तित्व एक कस्बे का होकर रह जाता। जिला बनना तो दूर यह शहर तहसील को भी तरस जाता! विकास पुरुष कल्पनाथ राय द्वारा पहले इस मऊनाथ भंजन कस्बे को तहसील बनवाना फिर आज ही दिन 19 नवम्बर 1988 को जनपद की आधारशिला तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के हाथों रखवा कल्पनाथ राय ने एक ऐसी परिपाटी की शुरूवात की थी। जो मऊ जनपद के विकास की यात्रा के साथ चली तो तब तक चलती रही जबतक विकास पुरूष कल्पनाथ राय की सांसे थम न गयी।
कल्पनाथ राय के देहवसान के बाद न सिर्फ एक विकास पुरूष का अंत हो गया बल्कि मऊ के एक युग का अंत हो गया जो बड़ी तेजी से पूर्वांचल के शहरों को ही नहीं देश के विकसित शहरों को पिछे छोड़ने की होड़ में था वाराणसी को आज क्वांटो बनाने की कवायद की जा रही है मऊ को तीन दशक पहले सिंगापुर बनाने का सपना मऊ के जनक ने देखा था। और जिसने भी कल्पनाथ राय की कार्यशैली देखी है वह सत्ता पक्ष का हो या विपक्ष का उसे यह यकीन जरूर होगा की कल्पनाथ राय रहते तो शायद मऊ जनपद उनके सपनों के सच के बहुत करीब रहता।
तभी तो आज चाहे जो भी दल हो उसका जो भी नेता हो वह कल्पनाथ राय को ही अपना आदर्श मानता और उनके पद चिन्हों पर चलने की हुंकार भरता है लेकिन कल्पनाथ बन नही पाता है ? कल्पनाथ राय ने मऊ को पूर्वांचल ही नहीं उत्तर प्रदेश में एक अलग पहचान देकर विकास की जो लंबी रेखा खींची थी उस रेखा के बग़ल में कोई नेता छोटी रेखा भी अभी तक विकास की खींच नहीं पाया, कल्पनाथ राय सिर्फ़ विकास पुरुष ही नहीं थे बल्कि वे भारत की सियासत में अपना महत्वपूर्ण योगदान रखते थे तभी तो प्रधानमंत्री कोई भी रहा हो, पीएमओ हाउस से लेकर दस जनपथ तक कल्पनाथ राय अपनी दखलंदाजी रखते थे और वे एक ऐसे पूर्वांचल के नेता और सांसद थे की इंदिरा गाँधी से लेकर राजीव गांधी तक और उसके बाद सोनिया गांधी तक अपनी राजनीतिक पहुँच को कभी कम नहीं होने दिए।
कल्पनाथ राय जी आज आप इस दुनिया में नहीं हैं पर आप आज भी उतना ही याद आते हैं। कल्पनाथ आप को हम भूल न पायेगें।