कविता : अभिलाषा तू…
@ अनुश्री विवेक सिंह…
है जीवन की अभिलाषा तू
जीना सीखा है तुझसे, जीवन का हर सार जहां।।
एक पंक्ति हो जीवन की जैसे बंधा हैं साख यहां।।
संज्ञा देती हूँ तुझे जीवन की, तुमसे ही ये सारा जहां।
तू है जीवन का एक लिबास, जिसका कभी न हो पाता हिसाब ।।
तू है मेरे जीवन का अनोखा सा एक किताब।
जो पढ़े तो पढ़ते रह जाय, देना है सबको एक हिसाब ।।
है जीवन की अभिलाषा तू जीना सीखा है तुझ से ही,
रखती हूं मैं ये रोज हिसाब ।।