चर्चा में

धरने को क्यों मजबूर हुए सरकार के समर्थक दल के विधायक

यशोदा श्रीवास्तव…
यूपी के सत्ता पक्ष के समर्थक दल के विधायक के धरने के पीछे कुछ और हो तो बात और है लेकिन यदि महज एक थानेदार के तबादले को लेकर बात इतनी बढ़ी कि विधायक को सीधे पुलिस कप्तान को चुनौती देने की नौबत आ जाय तो चिंतित करने वाला है। मामला यूपी के सिद्धार्थनगर जिले का है जहां अपना दल एस के विधायक विनय वर्मा अपने विधान सभा क्षेत्र शोहरत गढ़ अंतर्गत आने वाले दो थानों के थानेदारों का तबादला चाहते थे। जिले की एसपी प्राची सिंह ने किन्हीं कारणों से नहीं किया। इस बात से नाराज़ विधायक विनय वर्मा पिछले एक हफ्ते से एसपी के खिलाफ धरना पर बैठे हैं। विधायक के धरने का परिणाम क्या हो,किसकी जीत होती है किसकी हार,यह बाद की बात है लेकिन एक विधायक को अपने ही सरकार के अधीनस्थों के खिलाफ धरना देना कई सवाल खड़े करता है।


विधायक का धरना इस बात का भी उदाहरण है कि यूपी में विधायकों की अहमियत क्या है? प्रोटोकाल के तहत विधायक का दर्जा चीफ सेक्रटरी का है जो जिले में डीएम और एसपी से ऊंचा होता है। यूपी में विपक्ष के ज्यादातर विधायकों का कहना है कि जिले के अफसर उनके साथ सामान्य शिष्टाचार का पालन भी नहीं करते जबकि मुख्यमंत्री ने इसके लिए सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी कर रखा है। विधायक वर्मा तो सरकार के घटक दल के विधायक हैं। मामला एक प्रकरण में एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई से संबंधित है। इसे लेकर विधायक पुलिस अफसरों से लेकर मुख्यमंत्री तक से मिले। विधायक वर्मा कहते हैं कि मुख्यमंत्री को पुलिस अफसरों ने गुमराह कर रखा है। यदि यह सच है तो मुख्यमंत्री को ऐसे जिम्मेदारों की खबर जरूर लेनी चाहिए।

करीब दो माह पहले विधायक विनय वर्मा के विधानसभा क्षेत्र के एक गांव के युवक की मौत अवैध बालू खनन कर रहे ट्रैक्टर से कुचलकर हो गई थी। मृतक के परिजन विधायक से मिलकर न्याय दिलाने का अनुरोध किए। इस प्रकरण में विधायक वर्मा ने पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की पुरजोर कोशिश की और जैसा कि विधायक कहते हैं कि इसके लिए वे मुख्यमंत्री से भी मिले। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले में आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। विधायक विनय वर्मा कहते हैं कि जिस प्रकरण में एफआईआर तक दर्ज नहीं हुआ उसमें गिरफ्तारी कैसे हो गई? जाहिर है अफसरों ने मुख्यमंत्री को झूठी सूचना देकर गुमराह किया है। वे कहते हैं हैरानी इस बात की है कि मुख्यमंत्री अपने विधायक की अपेक्षा अफसर की बात पर यकीन कर रहे हैं। धरने पर बैठे विधायक विनय वर्मा एक दम अलग थलग पड़ गए। कुछ समर्थक ही उनके साथ हैं लेकिन जनता के बीच उनकी वाह वाही खूब हो रही है। लोग कह रहे हैं कि किसीको न्याय दिलाने के लिए किसी विधायक ने हिम्मत तो किया। विधायक का साथ न देने वाले राजनीतिक दलों की आलोचना भी हो रही है।

अपनी पार्टी का भी नहीं मिला साथ
विधायक विनय वर्मा पिछले एक सप्ताह से जिला मुख्यालय के नगर पालिका परिसर में स्थित गांधी प्रतिमा के समक्ष धरना दे रहे हैं। अपना दल एस यूपी और केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा का सहयोगी दल है। मजे की बात यह है कि विधायक वर्मा के धरने को भाजपा का सहयोग मिलने से रहा,उनके अपने दल ने भी इस धरने से किनारा कर लिया और सिद्धार्थनगर यूनिट को खत लिखकर इससे दूरी बनाए रखने की हिदायत दे दी। फिर भी विधायक धरना देने के अपने फैसले से पीछे नहीं हटे।

जिसके लिए धरना दे रहे वही पलट गया

अपने विधानसभा क्षेत्र के एक दरोगा के स्थानांतरण न होने से नाराज विधायक का गुस्सा अब एसपी प्राची सिंह पर हैं। उन्होंने एसपी पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनका धरना तब तक चलेगा जबतक एसपी का तबादला नहीं हो जाता। उधर एसपी प्राची सिंह कहती हैं कि विधायक के आरोप सही नहीं है,उन्हें उच्चाधिकारियों से शिकायत करनी चाहिए।
बहरहाल विधायक के धरने के बीच एक नया मोड़ यह आया है कि वे जिस पीड़ित व्यक्ति को न्याय दिलाने के लिए धरना दे रहे हैं वह पलट कर विधायक पर ही राजनीति करने का आरोप लगा रहा है। हालांकि यह हैरान करने वाली बात नहीं है। लोग इसके पीछे की चाल समझने लगे हैं।

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