गुस्सा इजहार करने का यह कौन सा तरीका है ?

@ डा. उज्ज्वल…
आनंदविहार से भागलपुर आ रही 12368 डाउन विक्रमशिला एक्सप्रेस को आज यानी 17 जून 2022 की सुबह लखीसराय स्टेशन पर छात्रों ने फूंक दिया।
बरौनी-हाजीपुर रेल खंड के मोहिउद्दीननगर स्टेशन पर भी आज सुबह करीब सात बजे लोहित एक्सप्रेस की चार बोगियों में युवाओं ने आग लगा दी।
कल यानी 16 जून 2022 की सुबह करीब 10 बजे पटना-गया रेलखंड के बेला स्टेशन पर मेमू ट्रेन में जबरदस्त तोड़-फोड़ की गई। यात्रियों को ट्रेन से उतारकर उपद्रवी युवाओं ने सभी खिड़कियों के शीशे तोड़ दिए। जिस किसी ने समझाने की कोशिश की, उनकी खूब पिटाई की गई। आठ घण्टे तक ट्रेन रुकी रही। परिचालन ठप रहा। बच्चे-बुजुर्ग भूख से बिलबिलाते रहे। क्या इन होनहार युवाओं ने तनिक भी सोंचा कि इस ट्रेन में बैठे करीब तीन हजार लोग कोई आला अधिकारी नहीं हैं। आप ही के घर के लोग हैं।
इसके अलावा भी कई जगहों से इसी तरह की खबरें आ रही हैं। सरकारी संपत्ति को नुकसान करके कहीं न कहीं हम और आप अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं। मुझे लगता है कि आंदोलन का तौर तरीका अब भी हम सबने अंग्रेजों के समय वाला ही अपना रखा है। उस समय ब्रिटिश हुकूमत को तबाह करने के हिसाब से सरकारी संपत्ति को नुकसान पंहुचाया जाता था। अंग्रेज चले गए लेकिन इन 75 सालों में भी हम सब देश और यहां की लोकतांत्रिक सरकार को अपना नहीं समझ सके। अंग्रेज गए लेकिन वह गुलामी वाली मानसिकता से हम सब उबर नहीं सके हैं। यह तो गुलाम देश में अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ होता था।
कब समझ विकसित होगी। क्या सच में गुस्से में हम सब अपने घर में आग लगा लेते हैं। अपनी कार को फूंक डालते हैं। तब देश के मामले में ऐसी फीलिंग क्यों नहीं आ रही है? शिक्षा और संस्कार में कहां चूक हो गयी। ऐसा तो है नहीं कि ये बच्चे तालिबानी सेना के हिस्से हैं। ये तो अपने घर के बच्चे हैं। क्या 12-14 साल तक जो हम सबने इन्हें प्लस टू तक पढ़ाया, उसमें इन्हें इतना भी नहीं समझा सके कि देश की संपत्ति हम सब के टैक्स के पैसे से ही बनती है। इसका नुकसान हमसब की गाढ़ी कमाई का नुकसान है। स्कूल के स्तर पर ऐसी शिक्षा को बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्हें बताना पड़ेगा कि आपके पैसे से ही रेल, रोड और एयरपोर्ट बने हैं।
आज तो देश अपना है। सरकार अपनी है। हम सबने मिलकर चुना है। सरकार बात नहीं मानती तो उसे कुर्सी से हटाने की ताकत भी हम सब के पास ही है। हम सरकारी सम्पत्ति का जितना नुकसान पंहुचाएँगे, उसका बोझ हम सबके ही कंधों पर आनेवाला है। यह बात हम नई पीढ़ी को अच्छे से समझानी पड़ेगी। आज रसोई गैस की सब्सिडी खत्म हो गयी। आज भी स्पेशल ट्रेन के नाम पर तीन गुना किराया वसूला जा रहा है। इन नुकसान की भरपाई करने के लिए कल हम पर और बोझ डाला जाएगा। ये बात हमें समझ में क्यों नहीं आ रही है। आंदोलन का यही सिलसिला रहा तब कल की तारीख में आपके पास सरकारी संपत्ति नाम की चीज ही नहीं बचेगी। रोड, रेल, एयरपोर्ट सब के सब निजी होने की राह पर हैं। उसके बाद आप उसे तोड़ कर दिखाएं।