रचनाकार

स्वतंत्रता दिवस विशेष: भारत के गुण गाते हैं और 15 अगस्त मनाते हैं…

@ रोशनी जायसवाल, मऊ, यूपी…

क्या पढ़ते हो किताबों में

आओ मैं तुम्हे बताती हूँ,

15 अगस्त की असली परिभाषा

आज अच्छे से समझाती हूँ।

एक दौर था जब भारत को,

सोने की चिड़िया कहते थे।

कैद कर लिया इस चिड़िये को,

वो शिकारी अंग्रेज कहलाते थे।

कुतर-कुतर कर सारे पंख,

अधमरा कर छोड़ा था।

सांसें चल रही थी बस,

ताकत से अब रिश्ता पुराना था।

कहते हैं कि हिम्मत से बढ़ कर,

दुनिया में और कुछ नहीं होता।

कतरा-कतरा समेट कर,

फिर उठ खड़ी हुई वो चिड़िया।

बिखर गए थे सारे पंख,

तो बिन पंखो के उड़ना सीख लिया।

परिस्थिति चाहे जैसी भी थी दोस्तों,

उसने लड़ना सीख लिया।

लड़ती रही अंतिम सांस तक,

और सफलता उसके हाथ लगी।

आज़ादी की थी चाह मन में,

और वो आज़ादी के घर लौट गयी।

आज उस चिड़िया को हम,

गर्व से भारत बुलाते हैं।

और सीना गद-गद हो जाता,

जब हम भारतीय कहलाते हैं।

आज़ादी का यह पर्व दोस्तों,

आओ मिल कर मनाते हैं,

चाहे रहें हम अमेरिका या लंदन

भारत को आगे बढ़ाते हैं,

भारत के गुण गाते हैं और 15 अगस्त मनाते हैं।

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