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एक शाम विनेश फोगाट के नाम… काव्य संध्या का आयोजन

घोसी/मऊ। जन संस्कृति मंच मऊ व उम्मीद फाउण्डेशन घोसी के तत्वावधान में रक्षाबंधन के अवसर पर देश की बहन-बेटियों के नाम एक काव्य गोष्ठी का आयोजन वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.जयप्रकाश धूमकेतु की अध्यक्षता में केनरा बैंक के निकट घोसी में किया गया।आयोजक मनोज कुमार सिंह ने काव्य-गोष्ठी में आये कवियों एवं अतिथियों का स्वागत किया। काव्य-पाठ की शुरुआत सर्वोदय पी.जी. कालेज में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.धनञ्जय शर्मा ने ‘स्त्रियाँ एक दिन निकलेंगी चहारदीवारी से और गढ़ लेंगी एक अलग दुनिया’सुनाकर किया।स्थानीय शायर फकरे आलम ने ‘देते हो तुम दीक्षा नफरत करने की हम भी आते हैं पैगामे मोहब्बत लेकर’ सुनाकर समाजिक समरसता का संदेश दिया।युवा कवि सुमित उपाध्याय ने ‘एक हिमालय बिखर रहा है मन में धीरे-धीरे’ के माध्यम से आज के समाज में आ रही गिरावट की ओर संकेत किया।
वरिष्ठ साहित्यकार मनोज सिंह ने देश की बेटियाँ को समर्पित कविता’ सृष्टि प्रकृति के सृजन,रचना,निर्माण और विकास का सर्वोत्तम श्रृंगार बेटियाँ ‘प्रस्तुत की।’मेरे शहर से होकर एक नदी गुजरती है सुनाकर ‘वरिष्ठ अधिवक्ता व साहित्यकार सत्यप्रकाश सिंह ने नदियों के माध्यम से बेटियों के महत्व को रेखांकित किया।बृजेश गिरि ने ‘देखकर निकलना तुफान बहुत है, लम्बा है सफर और ये उड़ान बहुत है’ सुनाकर श्रोताओं का मन मोह लिया।अंत में कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ.जयप्रकाश धूमकेतु ने क्रांतिकारी पंक्तियां’ कलमकार तो वही कहेगा जो दर्द भरा है सीने में’ सुनाकर श्रोताओं की वाहवाही लूटी।गोष्ठी का संचालन बृजेश गिरि ने और धन्यवाद ज्ञापन इंतेखाब आलम ने किया। काव्य-संध्या में मुख्य रूप से चंदू भाई, डॉ.रामनिवास,विमलेश शुक्ला, रमेश, जितेंद्र कुमार राकेश राय,चंद्रप्रकाश सिंह, रामकिशुन, रफी अतहर आदि मौजूद रहे।


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