तजुर्बा-ए-अगुअई (योग्य वर की तलाश) पार्ट-एक
(उज्ज्वल)
गांव में रहने के कारण इन दिनों एक नया तजुर्बा ले रहा हूं। अगुअई (लड़की की शादी के लिए योग्य वर की तलाश) में बड़े लोगों के साथ हो लेता हूं। लोग इस लायक समझते हैं, इसके लिए उनका शुक्रिया भी अदा करता हूं। सप्ताह-पंद्रह दिन में एक बार किसी-न-किसी के साथ जरूर निकल जाता हूं।
इसका अनुभव अपने आप में बड़ा अनूठा है। छह-सात साल पहले ही खुद भी इसका सामना किया था। हालांकि पत्रकार से शादी करने के लिए कोई लड़की और लड़की का बाप तैयार हो जाये, यही उसके लिए बड़ा दहेज है। ऐसे में दहेज के रूप में कोई रकम की तो बात ही नहीं हुई। यही क्रम अपने भाई की शादी में भी हुआ। क्योंकि उसने भी पत्रकारिता का ही रास्ता चुन लिया है। अब बात उस तजुर्बे की, जो इन दिनों हासिल कर रहा हूं।
दहेज की रकम कई बिंदुओं पर तय होती है। लड़का क्या करता है ? इसके बाद उसके पिता क्या करते हैं ? पिता ने कितनी संपत्ति अर्जित की है ? क्या वे सरकारी नौकरी में हैं ? क्या वे पेंशनर्स हैं ? क्या कोई बड़ा बिजनेस चला रहे हैं ?
जिस समाज में मैं रह रहा हूं, यहां सरकारी नौकरी वाले लड़कों की डिमांड सबसे अधिक है। भले ही वह अरदली ही हो। गार्ड, पिउन, माली कुछ भी हो। नौकरी सरकारी होनी चाहिए।
यदि लड़का किसी सरकारी सेवा में है और आप उसके दरवाजे पर चले गये, तब आपके साथ उसी तरह का व्यवहार किया जाता है, जैसे आप किसी सरकारी बाबू के पास अपनी फाइल के बारे में जानकारी लेने जाते हैं और वह आपकी बहुत सारी बातों को अनसुना कर देता है। वह ठीक से बात भी तभी करता है, जब उसको अहसास हो जाये कि आप उसकी जरूरतों को पूरा कर लेंगे। लड़के के पिता की बातों में ऐसी एंठन दिखती है, मानो अब तो वे ही धरती के पालक हैं। बाकी सब उनके शरणागत। जिस लड़के का खुद का नाक-मुहं टेढ़ा है, चमड़ी काली है, उसको भी जन्नत की हूर ही चाहिए। पूछेंगे-लड़की का फोटो और बायोडाटा दे दीजिएगा। देखेंगे।
वैसा पिता जिसने आज तक शायद दो-चार लाख रुपये एक साथ कभी हाथ में नहीं लिये होंगे, वह भी अपने सिपाही बेटे की शादी के लिए 20-25 लाख रुपये की मांग बेझिझक कर रहा है। कुछ देर के लिए तो हतप्रभ रहता हूं कि कैसे बेशर्म की तरह यह मांगे जा रहा है। इसके बाद लड़के का भाई आयेगा। वह कहेगा कि बिना गाड़ी के तो बात ही नहीं हो सकती। इन सब बातों की जानकारी लड़के को भी होती है कि उसका बाप बाजार में उसकी बोली लगाये जा रहा है। जिसकी जितनी उंची बोली लगती है, वह उतना ही गौरवान्वित महसूस करता है।
मुझे तो उन लड़की के पिता पर भी तरस आती है, जो अबतक अपनी बेटियों की पढ़ाई पर तनिक भी ध्यान नहीं दिया और आज दहेज के लिए सिपाही लड़के को 20-25 लाख तक सहर्ष देने को तैयार रहते हैं। जब यही तैयार रहते हैं तो उनके साथ वाले लोग कर भी क्या सकते हैं।
जहानाबाद के सकुराबाद थाने के एक गांव में जाना हुआ। लड़के के बारे में जानकारी थी कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में नौकरी हुई है। ठीक-ठीक पद के बारे में जानकारी नहीं थी। उसके घर गया। निम्न आय वर्ग का एक किसान परिवार। घर की भौतिक स्थिति पूरी कहानी बयां कर रही थी। चुनेटे हुए घर के आगे किसी तरह एक मड़ई डाल दिया गया था। जहां रात में गायें बांधी जाती थी, दिन में आनेवाले मेहमान के लिए वही बैठक खाना था। पिता और उनके पिता(यानी लड़के के बाबा) के पैर में कोई डेढ़ दो इंच की बिवाई भी होगी। यह इस बात का प्रमाण था कि वे एक सच्चे किसान हैं। उनके बेटे को एक-डेढ़ साल पहले नौकरी मिली थी। ऐसे वे ठीक-ठीक बता पाने की स्थिति में नहीं थे कि उनका लड़का किस पद पर है और वह कौन सी परीक्षा पास करके चयनित हुआ था। यह बताने के लिए पड़ोस के किसी जानकार को वहां रखा गया था। पता चला कि लड़का एलडीसी से चयनित हुआ है। वहां हमलोग बैठे ही थे तभी दो-तीन लोग अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे कि यहां से स्थान खाली करें और वे यहां आ कर अपनी बेटी के लिए वर के बारे में बातें करें। लड़के के पिता को अभी यह समझ ही नहीं आ रहा था कि कितना पैसा मांगा जाये। अभी मामला ताजा है, इसलिए उन्हें पता नहीं चल रहा है। कुछ दिन में बाजार का भाव इनको मिल जायेगा।
ऐसे ही एक शिक्षक (ट्यूशन पढ़ानेवाले) के बेटे के लिए किसी ने बात करने को कहा। वहां मैं तो खुद नहीं जा सका। मेरा भाई मेरे कहने पर गया। बेटा आरपीएफ का जवान है। डेढ़ साल पहले नौकरी लगी है। घर जो केवल कहने का ईंट का था, उस पर आज तक सीमेंट का प्लास्टर नहीं लग सका है। पिता (मास्टर जी) की साईकिल इतनी पुरानी हो चुकी है कि उसके चेन से चायं-चायं की आवाज निकल रही थी। बैचलर इन लाइब्रेरी सायंस की हुई लड़की के लिए यह तलाश की जा रही थी। लड़की का बायोडाटा और फोटो पसंद आ गयी। अब बात हुई कि शादी के लिए लड़के का रेट क्या रखा है। बड़े निर्लज्ज भाव से और दांत निपोरती हुई लड़के की मां कहती है कि 21 लाख तो एक अगुआ कह के गया था। उसी में कुछ कम कर देंगे।
फिलहाल इतना ही। यह क्रम जारी रखेंगे। क्रमशः…