धर्म

दो हरियों, राम-परशुराम की मिलन स्थली दोहरीघाट आज है उपेक्षा का शिकार

@ अरुण कुमार पाण्डेय…

दोहरीघाट/मऊ। जो नगर इतिहास को समेटे हुए हो, जहां की किंवदंतियां रामायण के विभूतियों से लेकर गौतमबुद्ध के उपदेश तक से मिलता हो, जो देवल ऋषि के देवलास, छोटी अयोध्या बरहज, देवरिया, मां वनदेवी धाम, मऊ आदि तमाम ऐतिहासिकता को समेटे धरोहरों से जुड़ी हो। वह घाटों का घाट दोहरीघाट आज प्रचण्ड राजनैतिक, शासनिक व प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार होकर अपनी दुर्दशा की कहानी बयां कर रहा है ।
जबकि कालांतर में युगों युगों से इस नगर को दो हरियों, राम – परशुराम की मिलन स्थली का पौराणिक आध्यात्मिक गौरव प्राप्त है ।
सरस सलिला पतित पावनी मोक्ष दायनी उत्तर वाहिनी माँ सरयू (घाघरा ) अयोध्या के बाद यहीं उत्तरायण हुई हैं जो सनातन धर्म आध्यात्मिक दृष्टकोण से मोक्ष दायनी हैं । घाटों के घाट दोहरीघाट ( छोटी अयोध्या ) में आज एक भी घाट स्नान ध्यान पूजन अर्चन योग्य नहीं रहा। यहाँ नंगा बाबा घाट, गौरी शंकर घाट, शवदाह घाट, खाकी बाबा घाट, दिव्य ज्योति घाट, झमरा जड़ी ब्यूटी घाट, जानकी घाट, डीह बाबा घाट, मुअज्जम शाह मस्जिद घाट, लक्ष्मण घाट, राम घाट, परशुराम घाट, कर्ण वन घाट, अंतराष्ट्रीय मातेश्वरी घाट, साधू सन्यासी घाट, बुढ़िया माई घाट, केवट घाट, बहादुर घाट, आदि हुआ करता था। आज गौरी शंकर घाट पे ही मुक्ति धाम घाट जो महाकाल की सौ फुट ऊँची मूर्ति से सुसज्जित मनमोहक पार्क से किसी तरह पौराणिक परम्पराओं का सिर्फ निर्वहन किया जा रहा है। जिसमें स्थानीय और इस पास के लोगों का अथक प्रयास है। शवदाह घाट अब अन्तिम संस्कार योग्य भी नहीं रहा । घाघरा की प्रचण्ड प्रलयंकारी विनाशकारी लहरों ने कटान में लील गई। जो अब सिर्फ और सिर्फ इतिहास ही है। यूँ तो देखा जाय तो सरकारी धन का लूट अरबों में बाढ़ कटान के नाम पर बड़े नेता, अधिकारी, सक्षम जिम्मेदारों अफसरों, सरकारी गैर सरकारी ने खूब जमकर अपने अपने तौर तरीके से धन दोहन कर आपस में बंदरबांट करते आ रहे हैं । सिचाई विभाग बन विभाग आदि के कारनामों की कहानी स्थलीय निरीक्षण से पता चल ही जाती है ।
सनातन धर्म के अनुसार जितने भी त्यौहार व्रत अनुष्ठान यज्ञ बने है सब होता आ रहा था , सामाजिक धार्मिक का संगम मार्मिक इतिहास बनकर रहा गया । नगर में सैकड़ों मन्दिर हुआ करते थे, मन्दिरों के घण्ट, आरती से देवलोक जैसी आभा बृत्तियां होती थी। राजनैतिक, धार्मिक, ऐतिहासिक, पौराणिक, व्यवसायिक सब समेटे हुए ये नगर आज अपनी बर्बादी और उपेक्षा को खुद बयां कर रहा। नंगा बाबा, खाकी बाबा भुआल बाबा, मेला राम बाबा, जैसे दिव्य अलौकिक सिद्ध इच्छाधारि सन्तों की तपोस्थली रही जिनका महात्म्य है। आज तक नगर की अस्मिता बचाने के लिए किसी भी तट, घाट, चौराहों तिराहों पे किसी सन्त, महन्थ, ऋषि, महात्मा, देव, आजकल के महापुरुष, नेता की कहीं भी कोई मूर्ति स्टैचू तक नहीं लगा।

दोहरीघाट को आदर्श नगर पंचायत का दर्जा भी प्राप्त है, पुलिस बूथ, आजमगढ़ मोड़, चौहान चौक, स्टेशन रोड, यही शेष विशेष नाम रह गए हैं। क्षेत्र के सैकड़ो सामाजिक धार्मिक राजनैतिक लोंगों ने कई बार शासन प्रशासन को हस्ताक्षर अभियान चला कर अवगत करा करा थक हार चुके हैं। राजनेताओं के अलावा देश विदेश में रहने वाले लोगों ने आजादी के बाद से अब तक कोई सुध नही लिया। आज उत्तर दिशा गोरखपुर के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं, दक्षिण काशी बनारस के सांसद व देश प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी हैं। बीच में ये आध्यात्मिक, पौराणिक, धार्मिक, राजनैतिक, ऐतिहासिक, व्यापारिक, व्यवसायिक नगर दोहरीघाट अपनी पहचान को मोहताज है। स्थानीय लोग कहते हैं कोई लौटा दे दोहरीघाट के बीते हुए दिन।
क्षेत्र के हरिश्चंद्र पाण्डेय, जय प्रकाश तिवारी, दिनानाथ दुबे संजय मिश्र धर्मेन्द्र राय श्रीधर राय विनय राय सन्तोष राय, गुलाब चन्द गुप्त, विनय जायसवाल, बृजेश जायसवाल, राम आधार ब्याकुल, घनश्याम राय, मखड़ू यादव, राम बचन यादव, अतुल राय, मुन्नू प्रसाद, सन्दीप गुप्ता, बिजली बाबा, कपूर चन्द, रामसिंह यादव, रमाकान्त यादव, ओम प्रकास उपाध्याय, धीरेन्द्र पाण्डेय, राम अधीन पाण्डेय, प्रभास कुमार, श्याम पाण्डेय, दीनानाथ, जनार्दन मिश्र, अरुण पाण्डेय, उमा शंकर उपाध्याय, रंजीत राय, प्रवीण राय, मनीष राय, ज्ञानेश शुक्ला, अशोक शुक्ला, चन्दन उपाध्याय, संजय उपाध्याय, दिनेश दुबे, राजू राय, प्रेम शंकर राय, झारखण्डी राय आदि हजारों लोंगों ने शासन प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए नगर के पौराणिक आध्यात्मिक धार्मीक ख्याति के पुंरजीर्णोद्धार के लिए अबिलम्ब मांग किया है। आज नगर विकास कैबिनेट मन्त्री अरबिन्द कुमार शर्मा सक्षम जिम्मेदार हैं। मऊ जनपद के मूल निवासी हैं जनपद का उत्तरी छोर पे बसा पांच जनपदों को जोड़ता आजमगढ़ बलिया देवरिया गोरखपुर मऊ का ये दोहरीघाट केन्द्र है ।

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