“बचपन के दोस्तों से तमीज से बात करना ही निहायत बदतमीजी है।”

@ सीए रत्नेश सिंह के शब्दों में..
कहते हैं आप कितने भी धनवान या सामर्थ्यवान बन जाय किन्तु आप ईश्वर प्रदत्त अपनी उम्र नहीं खरीद सकते। उम्र एक अनमोल उपहार है जो ईश्वर ने आपके कर्मो और सम्बन्धों पर ही आधारित करके इस दुनिया में भेजा है। यदि आपके कर्म अच्छे हैं तो आप ईश्वर प्रदत्त उम्र के पड़ाव को हासिल करते हैं यही हाल आपके सम्बन्धों का है।
यदि आपके सम्बन्ध अच्छे होंगे विशेषकर बचपन के दोस्तों जिन्हें हम पुकार की भाषा में लंगोटिया यार कहते हैं और अगर ऐसे दोस्तों से ताउम्र दोस्ती बरकरार रहती तो तनाव जो कि बहुत सारी बीमारियों का मुख्य द्वार है वह कोसों दूर होता है और परिणामस्वरूप यहाँ भी आप ईश्वर प्रदत्त उम्र के पड़ाव को हासिल करते हैं।
कुछ इसी मकसद से हमारे जिले के विख्यात डी ए वी इन्टर कालेज के 1998 इण्टरमीडिएट बैच के समस्त विषय ग्रुप के छात्रों का दो दिवसीय समागम (रियूनियन) ऋषिकेश के ऊपरी पर्वतीय भाग शिवपुरी स्थित पंचवटी काटेज में सम्पन्न हुआ। इस समागम में बहुत से 1998 इण्टरमीडिएट छात्रों ने एक दूसरे से अपने पुराने अनुभवों को साझा किया। आपको बताते चले कि डी ए वी 1998 चैम्प नामक व्हाट्सअप ग्रुप की आधारशिला 5 दिसम्बर 2016 को सर्वप्रथम कामर्स स्ट्रीम के छात्र रहे दिनेश सिंह ने की जिसके बाद लगातार इसमें देश ही नही विदेश में रहने वाले तमाम छात्रों का जुड़ना प्रारम्भ हुआ।
इस दौरान विगत 4 वर्षो में यह व्हाट्सअप ग्रुप तमाम राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर सदस्यों के दूर दराज रहते हुए भी आपसी चर्चा परिचर्चा का माध्यम बना रहा। विशेष बात यह है कि एक ही बैच के अलग-अलग स्ट्रीम के होने के वावजूद भी अब तक बहुत से छात्र एक दूसरे से वाकिफ ना होते हुए भी वाद विवाद और परिचर्चा मंय बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते थे। इस दौरान ऐसा कई बार मौका आया कि चर्चाओं के बीच सदस्यों में आपसी वाद-विवाद भी हुआ, ग्रुप को कुछ दिनों तक छोड़ने की घटनाएं भी हुई परन्तु अन्य सदस्यों के सूझबूझ से विवाद का निपटारा होकर पूर्व भाँति सम्बन्ध स्थापित हो गये।
ठेठ मऊवाली “अबे” के अंदाज में जो सदस्य अब तक एक दूसरे को जानते नहीं थे वो भी यूँ इस कदर मिल गये जैसे रामायण का प्रसिद्ध वर्णन भरत मिलाप आँखो के सामने घटित हो रहा हो। कई कमरों में ठहरने के साथ ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर की सुविधा सहित म्यूजिकल वातावरण में स्विमिंग पुल की सुविधा का सभी सदस्यों ने भरपूर आनन्द उठाया। कुछ सदस्य आस पास के इलाके नीलकन्ठ, ऋषिकेश में राम झूला लक्ष्मण झूला सहित हरिद्वार में आस्था की डुबकी भी लगाई।
दो दिवसीय समागम 14 मई से प्रारम्भ होकर 15 मई 2022 को समाप्त होना था जिसके लिए 13 मई से ही मऊ सहित देश के अनेक शहरों दिल्ली, औरंगाबाद, ग्वालियर, जयपुर लखीमपुर और मुम्बई से अलग-अलग ग्रुपों में व्हाट्सअप में फोटो के माध्यम से कदम-कदम पर अपडेट करते हुए कारवां चल पड़ा था। मऊ से 3 ग्रुप, दिल्ली से 2 ग्रुप, ग्वालियर, लखीमपुर,जयपुर और औरंगाबाद से 1-1 ग्रुप इस समागम में भाग लेने हेतु मौज मस्ती और घर-कारोबार की चिंता को कुछ समय को त्याग अपने लंगोटिया यारों से मिलने के लिए अपने-अपने घरों से निकल पड़ा।
इस समागम के गंतव्य यात्रा में सबसे मनोरंजक वस्तुएं तौलिया, कंघी, साबुन और सूजी रही जिस पर चर्चा करके सदस्य एक दूसरे की टाँग खिचाई करके मनोरंजन करते रहे। पहले दिन पंचवटी काटेज के लाँन में सदस्यों द्वारा स्विमिंग का आनन्द लेने के बाद म्यूजिकल माहौल में जलपान , चाय और आपसी परिचय का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम में सभी सदस्यों का ताजे फूलों के हार से जबरदस्त स्वागत किया गया। ग्रुप के संस्थापक सदस्य को स्मृति स्वरूप सभी सदस्यों के हस्ताक्षरयुक्त एक तस्वीर भेंट किया गया जिसका शीर्षक था- " बचपन के दोस्तों से तमीज से बात करना निहायत बदतमीजी है।"
इसके बाद ग्रुप के सबसे सक्रिय सदस्य सुयश दूबे उर्फ बड़े बाबू और क्षितिज सिंह उर्फ वकील साहेब को सम्मानित किया गया। तत्पश्चात सबसे मनोरंजक सदस्य रोहित रूंगटा उर्फ बिगड़ैल और व्यापारी वर्ग से सौरभ मद्देशिया तथा सांकेतिक तौर पर दण्ड स्वरूप ग्रुप के सबसे निष्क्रिय सदस्य रेस्तराँ व्यवसायी विनय राय को भी सम्मानित किया गया। इसके बाद समागम के आयोजक अभिषेक श्रीवास्तव उर्फ डाक्टर को उत्कृष्ट व्यवस्था हेतु सम्मानित किया गया और अंत में सीए रत्नेश सिंह को ग्रुप में टैक्सेशन व अन्य व्यवसाय जागरण सम्बन्धित जानकारियों के उत्कृष्ट लेखन हेतु सम्मानित किया गया। इस दौरान सभी आगन्तुकों को समागम में आये सभी सदस्यों के फोटो और उनके व्यक्तिगत नाम प्रिन्ट किया टी-शर्ट भेंट किया गया जिसे पहनकर सभी सदस्य गंगा तट पर एक साथ इकट्टा हुए और उन्होने पवित्र गंगा नदी के उद्गम स्रोत के नजदीक स्वच्छ तेज बहती धारा में आस्था की डुबकी लगायी।
समागम ग्रुप के सहगामी सदस्य निम्न थे-
1- कुलदीप पाण्डेय मऊ
2- पीयूष गुप्ता मऊ
3- अवधेश पाण्डेय मऊ
4- अभिषेक सिंह मास्टर साहेब मऊ
5- अभय श्रीवास्तव मिंटू लखीमपुर
6- संग्राम सिंह मऊ
7- अविनाश कुमार मऊ
8- क्षितिज सिंह मऊ
9- दिनेश सिंह नोयडा
10- विनीत गुप्ता दिल्ली
11- रोहित रूँगटा औरंगाबाद
12- नवीन राय मऊ
13- बृजेश गिरि मऊ
14- जैनेन्द्र मणि तिवारी मऊ
15- रत्नेश सिंह दिल्ली
16- विजय कुमार कुशीनगर
17- कमलेश तिवारी मऊ
18- दुर्गा नन्द यादव मऊ
19- उत्तम सिंह मऊ
20- भरत सिंह मऊ
21- सुयश दूबे जयपुर
22-सौरभ मद्देशिया मऊ
23-सचिन कुमार मऊ
24- सुधीर राय दिल्ली
25- आदर्श अग्रवाल मऊ
26- शरद राय ग्वालियर
27- अभिषेक श्रीवास्तव गाजियाबाद
28- विनय राय मऊ
29- अमलेन्दु त्रिपाठी ॠषिकेश
30- प्रमोद पाण्डेय मुम्बई-दूरस्थ मोड
31- अभिनव पाण्डेय दिल्ली- दूरस्थ मोड
24 वर्षो बाद एक दूसरे से सभी दोस्त आपस में पुरानी बातें करके, हँसी मजाक करके, एक दूसरे की टाँग खिंचाई करने के साथ बड़े आत्मीयता से साथ-साथ दो दिन तक रहे। विदाई में भेंट स्वरूप सभी सदस्यों को एक-एक ग्रुप फोटोयुक्त फोटो फ्रेम स्मृतिचिन्ह स्वरूप भेंट किया गया और शीतल पेय😁और इस वायदे के साथ अपने-अपने मूल गंतव्य स्थान को रवाना हुए कि अगले वर्ष फिर किसी अन्यत्र स्थान पर ग्रुप के और अधिक सदस्यों के साथ समागम कार्यक्रम करेंगे।
और अंत में समागम के एक सदस्य बृजेश गिरि ने दोस्ती के ऊपर एक गजल गाया…
गलन बढ़ी तो पैरहन बाँट लिया,
दोस्तों ने सारी घुटन बाँट लिया ।
इक अकेले के बस की बात नहीं,
मिलजुल के सबने वजन बाँट लिया ।
तल्ख धूप से लोग बेहाल होकर ।
छांव में बैठे और थकन बाँट लिया।
दर्द इतना था कि तनहा सहते कैसे,
बज्म में तेरी दर्द-ए-सुखन बाँट लिया।






































नमस्कार दोस्तों ,
बड़े सम्मान और खुशी के साथ, मैं, हमारे कॉलेज की १ (पहली) पूर्व छात्र रीयूनियन के इस शुभ अवसर पर आप सभी आगंतुकों का दिल हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं।
यह रीयूनियन का दिन बहुत महत्वपूर्ण है, जिसने हम सभी कॉलेज के मित्रो को इतने सालों बाद एक-दूसरे से मिलने का अवसर प्रदान किया है। यहाँ हमारे उन शिक्षकों की कमी अवश्य रह गयी है जिन्हने हमें हमारे छात्र जीवन काल में पठन पठान में बहुत बड़ा योगदान दिया है
हम सभी ने आज यहाँ उपस्थित हो कर एक परंपरा स्थापित की है। तथा इस परंपरा को जारी रखने के लिए, हम आने वाले हर एक रीयूनियन में अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर इस परंपरा को कायम रखने में एक दूसरे का सहयोग करेंगे
इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अपने व्यस्त कार्यक्रम में से समय निकालने के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं
उम्मीद है अंत में हम सभी एक यादों के साथ घर आये जिन्हें हम सब हमेशा संजो कर रखेंगे।
धन्यवाद
अभिषेक श्रीवास्तव
Bahut hi Badhiya karykram raha aur 2 saal ke lockdown mahul, Tension, Mahamaari ki bhayawata ko darkinaar kar sabhi sadsyon ne bharpoor anand uthaya.