देश के आर्थिक लूटेरे, भगोढ़ो को केंद्र की आर्थिक राहत क्यों सरकार जवाब दें : अतुल कुमार अनजान
दिल्ली। कोरोना वायरस के चलते देश में आर्थिक गतिविधियों आर्थिक क्षेत्र को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर गांव के खेतिहर मजदूर, छोटे, मझोले किसान और शहरों में काम करने वाले प्रवासी मजदूर भी एक गहरे कुचक्र में वायरस के चलते फंस गए गए हैं। मोदी सरकार ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों पेंशन धारियों का महंगाई भत्ता अगले जुलाई तक के लिए रोक दिया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया आर्थिक संसाधनों की कमी को ध्यान में रखकर अर्थव्यवस्था को नियोजित करने के लिए दांवपेच चला रही है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 16 फरवरी 2020 अपने एक एक निर्णय से मोदी सरकार की नीतियों और बड़बोले पन का पर्दाफाश कर दिया। रिजर्व बैंक ने 50 “विलफुल डिफॉल्टर्स” के नाम पर 68,607 करोड़ रुपए को बट्टे खाते में डाल दिया। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार जनता का यह पैसा रिजर्व बैंक में कभी वापस नहीं आएगा । जिन महान हस्तियों की हजारों करोड़ रुपए के कर्जे माफ किए गए उनमें देश के बैंकों को लूट कर विदेश में रह रहे मेहुल चौकसी, विजय माल्या, नीरव मोदी एवं अन्य आर्थिक भगोड़े लुटेरे शामिल है। भारत के न्यायालय इनकी तलाश में है। मोदी सरकार के 5 वर्ष के कार्यकाल में यह लोग देश छोड़कर यूरोप के देशों में रह रहे हैं और भारत सरकार से कानूनी लड़ाई लड़ रहे है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अनजान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह सवाल किया है कि किस आधार पर इन आर्थिक लुटेरे भगोड़ा की बैंकों से ली गई धनराशि को माफ किया गया। भाकपा सचिव ने आगे कहा की एक तरफ सरकार यह दावा कर रही है कि आर्थिक लुटेरों को वापस हिंदुस्तान लाया जाएगा और विदेशों के कोर्ट में इनके खिलाफ हमारी सरकार मुकदमा लड़ रही है और दूसरी ओर इनकी लूट के कर्ज को माफ किया जा रहा है। विदेशों की अदालत भारत सरकार से पूछेंगे कि जब कर्ज माफ कर दिया तो गुनाह क्या रहा? भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी नेता अतुल कुमार अनजान केंद्र सरकार से मांग की है रिजर्व बैंक द्वारा माफ किए गए इन कर्ज़ों को वसूलने के लिए फिर से ऐलान किया जाए अन्यथा देश और दुनिया में हमारी जगहबदनामी होगी, आर्थिक लुटेरों का देश के अंदर मनोबल बढ़ेगा और हमारे सार्वजनिक बैंक खस्ताहाल हो जाएंगे।

