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विश्व श्रवण दिवस : बहरेपन और ऊँचा सुनाई देने की पहचान को लेकर किया जागरुक

मऊ। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) द्वारा प्रति वर्ष तीन मार्च को विश्व श्रवण/सुनने की शक्ति दिवस को ऊँचा सुनने वालों के सामाजिक, आर्थिक एवं सामाजिक अधिकारों के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के लिए मनाया जाता है | इसके साथ ही समाज और देश में उनकी उपयोगिता के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है। वातावरण में व्याप्त विभिन्न प्रकार के प्रदूषण के कारण धीरे-धीरे ऊँचा सुनना एक गंभीर समस्या का रूप ले चुका है। कोई प्रत्यक्ष लक्षण न दिखने के कारण इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। इसलिये इसके प्रति जागरूकता के उद्देश्य से बुधवार को जिला अस्पताल में विश्व श्रवण दिवस मनाया गया।
इस मौके पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सतीश चन्द्र सिंह ने बताया कि लोगों को कानों से संबंधित बीमारियों के बारे में अधिक जानकारी नहीं होती है। विश्व श्रवण दिवस का विषय यह बताता है कि समय पर और प्रभावी हस्तक्षेप यह सुनिश्चित करेगा कि ऊँचा सुनने वाले लोग अपनी पूरी क्षमता प्राप्त कर सकें । सभी जीवन चरणों में संचार और बेहतर सुनाई देने से स्वस्थ व्यक्ति एक-दूसरे को समुदायों और दुनिया से जोड़ते हैं।
डॉ सिंह ने बताया कि ऊंचा सुनने वाले लोगों के लिए समय पर हस्तक्षेप व चिकित्सा से शिक्षा, रोजगार और संचार तक पहुंच आसान हो सकती है। विश्व स्तर पर, श्रवण हानि को संबोधित करने के लिए हस्तक्षेप की पहुंच की कमी है, जैसे श्रवण यंत्र तथा उसके विशेषज्ञ डॉक्टरों से परेशानी महसूस होते ही जांच करवा लेना चाहिए ताकि ऐसी बीमारी होने की सूरत में सभी का बिना देरी किये इलाज हो सके। उन्होने बताया कि जिला अस्पताल में इस बीमारी के निःशुल्क इलाज की सुविधा उपलब्ध है।
जिला अस्पताल के आडीयोलॉजिस्ट डॉ देवराज ने बताया कि कम सुनाई (ऊँचा सुनने) का इलाज जिले में संभव है। लोगों में जागरूकता एवं सुविधाओं के अभाव के कारण इनके पास मूलभूत ज्ञान भी कम होता है। उन्होंने बताया कि विश्व श्रवण दिवस पर आयोजित कार्यक्रम बहरापन और श्रवण हानि को रोकने और दुनिया भर में कान और सुनवाई देखभाल को बढ़ावा देने के बारे में जागरूकता बढ़ाता है।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ बीके यादव ने बताया कि आगामी 09 मार्च को मुख्यालय स्थित जिला अस्पताल पर जन्म से पाँच वर्ष तक के मूक बधिर (गूंगे-बहरे) बच्चों के लिए निःशुल्क स्क्रीनिंग शिविर का आयोजन होगा जिसमें प्रदेश सरकार द्वारा संबद्ध संस्था के विशेषज्ञों द्वारा परीक्षण कर उनका निःशुल्क इलाज प्रदेश सरकार के सहयोग से कराया जायेगा।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत कार्यरत डीईआईसी मैनेजर अरविंद वर्मा ने बताया कि पिछले दो वर्षो में जनपद से चयनित 15 बच्चों का निःशुल्क इलाज (कांकलियर इंप्लांट) किया जा चुका है, जिसकी प्रति बच्चे पर खर्च लगभग आठ लाख रुपए आता है। इलाज का सम्पूर्ण भुगतान सरकार द्वारा वहन किया जाता है।

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