चर्चा में

कौन समझाएगा उन्हें कांग्रेस में ‘राहुल गांधी’ होने के मायने और कब ?

( दिव्या तिवारी )

देश में जैसै-जैसे कांग्रेस अपनी सीटें और अस्तित्व खोते जा रही है, कांग्रेस के यंग योद्धा राहुल गांधी की सियासी तोपें कुछ ज्यादा ही गोले दाग रही हैं. लेकिन उनके बयानों के गोले हर बार उल्टा उन्हीं को और पार्टी को घायल कर रहे हैं. राहुल के ताजा उत्तर भारत और दक्षिण भारत के बयान से उनपर राफेल की स्पीड से सवाल खड़े हो रहे हैं. जिस उत्तर भारत की जनता ने उन्हें 15 साल तक पलकों पर बिठाया आज वही उनकी आंख की किरकिरी बन गए? जिस राज्य ने उन्हें अपना बेटा बनाकर रखा उसी की राहुल दक्षिण की ज़मी पर बेइज्ज़ती कर आए? इधर कांग्रेस का गढ़ रही अमेठी की ज़मी पर केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने अपना आशियाना बनाने की तैयारी की और उधर केरल में राहुल उत्तर भारत के वोटरों पर बयान दे आए. अब इस टाइमिंग पर तो सवाल खड़े करना लाज़मी है।

राहुल के इस बयान को टूलकिट बनाकर BJP ने पलटवार करना शुरू कर दिया. एक दूसरे के घुर विरोधी BJP ने बयान की निंदा की तो जनता ने सीरियसली नहीं लिया, लेकिन जब कांग्रेस के दिग्गज नेता कपिल सिब्बल ने भी राहुल के बयान पर सवाल खड़े किए तो जनता जनार्दन के कान खड़े हो गए और जनता लग गई गूगल पर राहुल का बयान सर्च करने. कपिल सिब्बल ने दबे शब्दों में राहुल गांधी को चेता दिया कि अपनी ‘कुंठा की कोठरी’ से बाहर आइए और हर वोटर का सम्मान करना सीखिए. वैसे ये पहली बार तो है नहीं जब कपिल ने राहुल की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हो. आपको याद ही होगा कपिल सिब्बल उन्हीं 23 कांग्रेसी नेताओं में से एक हैं जिन्होंने कांग्रेस हाईकमान को पत्र लिख नेतृत्व बदलने की बात कही थी. कपिल ही नहीं पार्टी के कई दिग्गज नेताओं के सवाल राहुल और सोनिया गांधी के लिए अलार्म पर अलार्म हैं, कि अति आत्मविश्वास की नींद से जागें वरना भारत देश का इतिहास लिखने वाली पार्टी खुद इतिहास बन स्कूलों की किताबों तक ही रह जाएगी।
2014 के बाद से कांग्रेस का मानों पतन शुरू हो गया, लेकिन कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व क्यों अपने विवेक की आंखे मूंदे बैठा है? हाल ही में राहुल ने केरल दौरे के दौरान फिशरी मिनिस्ट्री बनाई जानी चाहिए वाले बयान पर खुद का मजाक बनवा लिया था. जिसपर केंद्रीय मंत्री गिरीराज सिंह ने उन्हें याद दिलाया कि आप खुद संसद में जिस मंत्रालय से सवाल पूछते हैं, बाहर जाकर उसके नाम पर भ्रम क्यों फैला रहे हैं. इस बार भी कांग्रेसी नेता उनके बचाव में आने से परहेज करते दिखे और पार्टी की इज्ज़त ढांकते दिखाई दिए. इस के बाद राहुल कोल्लम में समुद्र में डुबकी लगाने कूद पड़े. सोशल मीडिया पर इसका वीडियो सामने आते ही हमेशा की तरह राहुल गांधी ट्रोल होने लगे. राजनीति सभी पार्टी करती है, लेकिन उसमें परिपक्वता होना भी तो जरूरी है. हाथरस मामला हो या लॉकडाउन के समय मजदूरों पर राजनीति राहुल के बयान और एक्शन हमेशा बचकाने रहते हैं. संसद में आंख मारने से लेकर पीएम को गले लगा लेना… कब आएगी उनमें वो परिपक्वता जो देश की सबसे पुरानी पार्टी के आला नेता में होनी चाहिए. और बड़ा सवाल ये, कि ये सब कब तक चलेगा? कौन समझाएगा आपको कांग्रेस में राहुल गांधी होने के मायने. आपकी बेपरवाह बयानबाजी का खामियाज़ा पार्टी क्यों भुगते और आखिर कब तक?

लेखिका दिव्या तिवारी वरिष्ठ पत्रकार हैं।

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