चर्चा में

अब लगता है मऊ में इंच-इंच भर जमीन का हिसाब हो जाएगा ?

( आनन्द कुमार )

खुद की मुट्ठी भर जमीन के लिए,
तेरी हर जल्दबाजी अच्छी है,
लेकिन हजार शख्स आज भी,
तेरे दर पर इंसाफ मांग रहा है।

आज मऊ की तस्वीर कुछ ऐसी ही हो गई है, जिला प्रशासन अपने गुड वर्क में इतना तेजी से कार्रवाई कर रहा है कि जैसे लगता है कि अब मऊ में इंच इंच भर जमीन का हिसाब हो जाएगा। लेकिन आप परेशान न हों, यह हिसाब आम जनता का नहीं शासन और जिला प्रशासन सिर्फ अपना कर रही है। लेकिन आज भी आम जनता एवं गरीब, ईमानदार, मजलूम के जमीनों पर जो लोग काकस बनाकर कब्जा जमाए बैठे हैं उनके चप्पल दर चप्पल बदल गये व एड़ियां घिस गई लेकिन वही जिला प्रशासन उस आमजन के प्रति संवेदनहीन बना हुआ है। आखिर एक ही पद पर बैठे शख्स का न्याय के प्रति चेहरा दो क्यों है? यह समझ से परे है। समझ में नहीं आता कि इंसाफ के तराजू को थामें जिला प्रशासन के आला अफसर सच में न्याय की ओर अग्रसर हैं या फिर सिर्फ शासन की नजर में रचने और बसने के लिए कुछ ऐसे करिंदों पर खाका खींच कर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं जो सिर्फ और दो दिन चले अढ़ाई कोस ही साबित होगा या आगे भी सफर खुद के अलावा जनता के लिए भी होगा।

जिस भकाऊं के नाम पर मऊ में जिला प्रशासन ने इतनी तेजी से अपनी (सरकार) की जमीन बचाने की कवायद की क्या वह जमीन कहीं जा रही थी या वह काम्प्लेक्स कोई लेकर भाग जाता। मुझे नहीं पता की वह जमीन किसका है और उसका वास्तविक मालिक कौन है। पेरिस प्लाजा के मालिक व उनके अधिवक्ता तो उक्त काम्प्लेक्स पर स्टे आर्डर होने का दावां करते रहे लेकिन प्रशासन उनकी एक न सुनी। हां इतना जरूर पता है कि जब जिले के आला अफसर यह कह रहे हैं कि वह जमीन सरकार की है तो सरकार की हो सकती है। जब जमीन सरकार की थी और उसपर सील मुहर व ताला भी जिला प्रशासन का लगा था तो उसको गिराने की इतनी जल्दबाजी क्यों ? प्रशासन जिसका लागत स्वयं 20 करोड़ रूपया बता रही है, क्या ऐसा नहीं हो सकता था कि उस काम्प्लेक्स का प्रयोग सरकारी कार्य हेतु किया जाए। क्या ऐसा नहीं हो सकता था कि राजस्व बचाने के लिए ऐसे भवन का प्रयोग किराए पर चल रहे दर्जन भर सरकारी कार्यालयों का इसमें शिफ्ट कर किया जाए ? आखिर जिला प्रशासन सदर विधायक मोख्तार अंसारी के नाम पर कब तक लोगों को जोड़ कर सरकार को गुमराह करती रहेगी। बहुतेरे मोख्तार के नाम पर जुड़े होगे उसमें गलत भी होगें तो अच्छे भी होगें। गलत के साथ गलत हो तो सभी चुप्पी साध लेते हैं लेकिन ईसा कब से मोख्तार अंसारी गैंग के सदस्य हो गये अंदरखाने में यह सभी पूछ रहे हैं। अब तो यह भी सुनने में आ रहा है कि मोख्तार का नाम जोड़ पेरिस प्लाजा को गिराने में प्रशासन का काम आसान हो गया होगा, लेकिन क्या यह सच है कि ईसा, मोख्तार से इस कदर जुड़े थे जिस कदर जिला प्रशासन ने कार्यवाही की।

इसी मऊ में आज भी बहुतेरे लोग उसी प्रशासन से न्याय की भीख मांग रहे हैं जो अपना जमीन बचाने के पल दो पल में करोड़ों की सम्पत्ति को खाक कर दिया। लेकिन प्रशासन है कि आंख मूंदे हुए सो रही है आखिर ऐसा क्यों ?
चेहरा वही चौखट वही फिर न्याय में देरी क्यों। कहीं ऐसा तो नहीं भकाऊं भकाऊं के नाम पर जिला प्रशासन शासन को गुमराह कर रही है और अगर ऐसा नहीं तो न्याय की अनदेखी क्यों। खैर जिला प्रशासन का पेरिस प्लाजा ध्वस्तीकरण पर जल्दबाजी और मोख्तार अंसारी व ईसा का कनेक्शन, जांच का विषय है लेकिन यह जांच करेगा कौन ?

तुम गिरा दो शहर की, वह हर ऊंची इमारत,
जो तुम्हारी नजर में, करती हो खयानत।
मगर मुझको मेरी, वह झोपड़ी दिला दो,
जो मेरी मेहनत की, है खरीदी अमानत।।

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