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कोविड-19 के दौर में संचार चुनौतियों व उनके निराकरण पर कार्यशाला

■ समुदाय तक सही सन्देश पहुंचाना बड़ी जिम्मेदारी

■ स्वास्थ्य सचिव ने स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारियों की इसमें अहम् भूमिका बताई 

■ स्वास्थ्य विभाग, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, यूनिसेफ, यूपी टीएसयू व सीफॉर ने वर्चुअल प्रशिक्षण के दौरान दिए जरूरी टिप्स

मऊ। कोविड-19 के दौर में समुदाय तक सही सन्देश पहुंचाकर ही कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है। यह बात प्रदेश की स्वास्थ्य सचिव वी. हेकाली झिमोमी ने कोविड-19 के दौर में संचार चुनौतियों व उनके निराकरण पर आयोजित तीन दिवसीय वर्चुअल कार्यशाला के दौरान कही। ज़ूम एप के जरिए कार्यशाला में भाग ले रहे प्रदेश के सभी स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारियों से उन्होंने अपील की कि वह फ्रंट लाइन वर्कर (आशा-आंगनबाड़ी व एएनएम)  को इतना जागरूक बनाएं कि वह घर-घर जाकर लोगों को बता सकें कि संक्रमण से बचने के लिए उन्हें क्या करना है और क्या नहीं करना है। उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई (यूपी टीएसयू ), यूनिसेफ और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफॉर) के सहयोग से आयोजित इस कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों को वह सभी छोटी-छोटी बातें बताई गयीं जिससे वह खुद सुरक्षित रहने के साथ ही दूसरों को सुरक्षित बनाने में सहयोग कर सकें ।

स्वास्थ्य सचिव ने कहा इस समय दूसरे राज्यों और जिलों से आ रहे प्रवासियों की देखभाल पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम निगरानी समितियां  और शहरी क्षेत्रों में मोहल्ला निगरानी समितियां गठित की गयी हैं। इन समितियों को सक्रिय कर बाहर से आ रहे लोगों के होम क्वारनटाइन की व्यवस्था को सुनिश्चित कराएँ। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला के जरिये जो  छोटी-छोटी बातें बताई जा रही हैं उन्हें ध्यान से पहले खुद समझ लीजिये और फिर उन जानकारियों को सही तरीके से नीचे तक पहुंचाएं ताकि किसी भी तरह का गलत सन्देश समुदाय तक न पहुँचने पाए । उन्होंने कोविड-19 के साथ ही जेई/एईएस से भी बचाव के जरूरी इंतजाम करने को कहा। उन्होंने कहा कि सर्दी, खांसी, बुखार व सांस फूलने के मामलों को गंभीरता से लें और लोगों को समय से इलाज के बारे में प्रेरित करें ताकि समस्या को गंभीर बनने से पहले ही रोका जा सके। इस अवसर पर महानिदेशक-परिवार कल्याण डॉ. मिथिलेश चतुर्वेदी ने कोविड-19 की स्थितियों पर प्रकाश डाला और स्टेट सर्विलांस आफिसर डॉ. विकासेंदु अग्रवाल ने सुरक्षा के जरूरी उपायों की उपयोगिता के बारे में बताया।   कार्यशाला को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अपर मिशन निदेशक हीरा लाल ने भी संबोधित किया और कहा कि इस मुश्किल दौर में सबको साथ लेकर काम करने की जरूरत है। समुदाय के बीच काम करने वालों का सीधा जुडाव जिले व ब्लाक के स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारियों से है, इसलिए सही संदेशों को लोगों तक पहुंचाने में वह बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
किसी के साथ न होने पाए कोई भेदभाव :
यूनिसेफ के भाई शैली ने कार्यशाला के दौरान कहा कि इस मुश्किल वक्त में मदद के लिए हाथ बढाने वालों और संक्रमण की चपेट में आने वालों के साथ कोई भेदभाव न होने पाए, इस पर भी ध्यान देना बहुत जरूरी है। यह ऐसा वायरस है जो कभी भी और किसी को भी संक्रमित कर सकता है, इसके लिए किसी धर्म, जाति या सम्प्रदाय को जिम्मेदार ठहराना कहीं से भी उचित नहीं है। यूनिसेफ की ही कम्युनिकेशन स्पेशलिस्ट गीताली त्रिवेदी ने इस दौरान सकारात्मक और प्रेरक कहानियों को प्रिंट मीडिया के साथ ही आडियो/वीडियो और सोशल मीडिया के जरिये ज्यादा से ज्यादा प्रचारित-प्रसारित करने पर जोर दिया। उन्होंने कोरोना योद्धाओं और कोरोना विजेताओं की कुछ कहानियों के साथ ही रेडियो पर प्रसारित संदेशों का प्रस्तुतीकरण भी किया। यूनिसेफ के हेल्थ आफिसर डॉ. निर्मल सिंह और सत्यवीर सिंह ने प्रवासी कामगारों के होम क्वारनटाइन और बचाव के जरूरी उपायों के बारे में विस्तार से बताया।

मातृ-शिशु स्वास्थ्य देखभाल भी जरूरी :
यूपी टीएसयू की वरिष्ठ बीसीसी स्पेशलिस्ट डॉ. शालिनी रमन ने इस दौरान कहा कि कोविड-19 की जंग के साथ ही मातृ-शिशु स्वास्थ्य की देखभाल की जिम्मेदारी निभाने के दौरान फ्रंट लाइन वर्कर को बहुत ही सावधानी बरतनी है । उन्होंने प्रसव पूर्व जाँच और टीकाकरण के दौरान जो जरूरी सावधानी बरतनी है, जैसे- सेनेटाइजर के इस्तेमाल, मास्क लगाना, ग्लब्स पहनना  और सोशल डिस्टेंशिंग के बारे में विस्तार से बताया।

कोविड-19 से मीडिया को जोड़ना :
सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफॉर) की नेशनल प्रोग्राम लीड रंजना द्विवेदी ने इस दौरान कहा कि ख़बरों में इस तरह की भाषा या शब्दों के इस्तेमाल से बचना चाहिए जिससे समुदाय में भय का माहौल बनें । इसके साथ ही सुनी-सुनाई बातों की जगह तथ्यपरक ख़बरों को ही जगह मिलनी चाहिए । इसके अलावा कोरोना पर विजय पाने वालों के अनुभवों आदि को महत्व देना जरूरी है । उन्होंने पिछले छह माह के और कोविड सम्बन्धी मीडिया ट्रेंड का  प्रस्तुतीकरण भी किया ।

मुद्दे पर सही समझ बनी :
कार्यशाला में भाग लेने वाली कोपागंज ब्लाक की एचइओ सुनीता सिंह ने बताया कि कोविड पर बहुत ट्रेनिंग हुआ था। लेकिन क्षेत्र में भ्रमण के दौरान जो समस्या निगरानी समिति तथा एचबीएनसी से सम्बन्धित थी, उसके बहुत से डाउट इस ट्रेनिंग से दूर हो गया।

रतनपुरा ब्लॉक के एचइओ बिपिन ने बताया कि आज पहली बार नई तकनीक से जानकारी को फिर से दुहरा ने से सभी जानकारी ताजा होगई।

घोसी ब्लॉक के एचइओ शिवकुमार ने बताया कि निगरानी समिति को लेकर सत्यवीर जी ने जो जानकारी दी उसमे प्रधान से कोटेदार और आशा के कार्य की जानकारी मस्तिष्क में दुहराया।

यूनिसेफ के कोल्ड चैन प्रबंधन के वीसीसीएम कमाख्या मौर्य ने बताया कि आज यूनिसेफ द्वारा ऑनलाइन प्रशिक्षण के इस कार्यक्रम में हमारे ऑफिस से लगभग 15 लोग जुड़े और उन्होंने 2:00 बजे से 5:00 बजे तक सभी सत्रों को ध्यान से सुना और उसको अपने कार्यों में लाने के लिए और समझने का कार्य किया।

सरोज राणा (डीएमसी यूनिसेफ), डॉ.अमर सिंह (अपर मुख्य चिकित्साधिकारी), रविशंकर ओझा (महामारी विशेषज्ञ) , विवेक कुमार सिंह जिला कार्यक्रम समन्वयक प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, यूसुफ साह(एचइओ), रामकुमार यादव(एचइओ), शमशेर अली(डीएमसी कोर), सर्वेश सिंह (बीपीएम), केके राय (एचएस)अवनीश सिंह(बीएचडब्लू) आदि सभी लोग मुख्यालय से सीधे कार्यशाला से जुड़े थे।

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