सदर का हाल मत पूछो, सदर की चाल मत पूछो
मेरी कलम से…आनन्द कुमार खरगोश, कछुए सा है दौड़,तुम रफ्तार ना पूछो।सदर का हाल मत पूछो,सदर की चाल मत पूछो।
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