पुण्य स्मरण

दिलीप कुमार : तुम गए हो मग़र तुम्हारे दिन अभी तक हैं…

ओमा The अक्©

महान अभिनेता और संवाद के जादूगर दिलीप कुमार साहब की मृत्यु पर सशोकुथ


“हमको मालूम था
सूरज ज़रूर डूबेगा
कि ये निज़ाम है क़ुदरत का
ये ही फ़ितरत है/
जो उभरता है
उसे डूबना भी पड़ता है
समय की झील में
सब हस्तियाँ हवाब सी हैं
फ़नाशुदा हैं सभी नक़्श
और नुमाइशें भी
तवील राह पे फैले हुए सराब सी हैं/
है ये भी सच
कि सूरज ग़ुरूब होने पर
तमाम रंग सितारों के उभर आते हैं
कि कोई चाँद भी
तख़्ते-उफ़क़ पे आता है
जो पूरी रात बादशाह बना जाता है
मग़र ये रात जानती है
चाँद कुछ भी नहीं
बस की खैरात है
उन बाक़ी बची किरनो की
जो ढलते ढलते भी
ख़ुर्शीद बाँट जाता है/

हमको मालूम है
हर डूबने वाला सूरज
दिन के लाखों फ़साने
छोड़ कर गुज़रता है
तुमने भी कितने ही किस्से हमें सुनाए हैं
तुम गए हो
मग़र तुम्हारे दिन अभी तक हैं…!!”

7 जुलाई 2021

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *