आदत बदलिए डा. साहब! हर समय सांसद व पत्रकार से भेंट नहीं होगी!
@ आनन्द कुमार
डाक्टर भगवान होते हैं उन्हें हर कोई पहली बार उसी नज़र से देखता है। धरती के भगवान कहे जाने वाले डाक्टर अगर गलती करे तो उसे भगवान समझा जाना बिल्कुल ही ग़लत है। ऐसे में चिकित्सक के प्रति मिलने वाली उसकी सिम्पैथी भी ख़त्म हो जानी चाहिये! मऊ ज़िला अस्पताल में एक डाक्टर तैनात हैं उनकी डायग्नोसिस तो अच्छी है लोग तारीफ़ करते मिल जाते हैं। लेकिन उनके व्यवहार का जो हाल है वह काफ़ी बेहाल है! उनका नाम है सौरभ त्रिपाठी। जनपद ही नहीं जनपद के बाहर में भी उनके व्यवहार की वजह से लोग उन्हें जानते हैं। लेकिन व्यवहार, व्यवहार वाला नहीं पूरी तरह से दुर्व्यवहार वाला है! क्या डाक्टर, पत्रकार, कर्मचारी या नेता! कोई ऐसा नहीं जिससे डाक्टर साहब भीड़े ना हों। लेकिन हद तो तब हो गई जब डाक्टर सौरभ त्रिपाठी बग़ैर लाग लपेट के सीधे घोसी के सपा सांसद राजीव राय से सीएमएस डा. धनंजय सिंह की मौजूदगी में ही भीड़ गए! सांसद जी अदब से पेश आ रहे थे और डाक्टर साहब आपे से बाहर! एक सांसद का प्रोटोकॉल भी शायद उन्हें मालूम नहीं था, या फिर अपने आगे वह किसी को कुछ समझने को तैयार नहीं थे। आस पास के लोग डाक्टर के इस व्यवहार पर उग्र हुए लेकिन उनको भी सांसद ने शांत करा दिया। घटना का वीडियो अगर आपने नहीं देखा तो आपको समाचार का सार ही समझ में नहीं आएगा!
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लेकिन चिकित्सक का यह घटिया व्यवहार चिकित्सा समाज के लिए भी कलंक है। आख़िर क्यों डॉक्टर सौरभ त्रिपाठी से ही लोगों की भीड़ंत हो जाती है! लोग ग़लत हैं की डाक्टर साहब!
अगर पूरे घटनाक्रम का वीडियो ना हो तो धरती के भगवान को ही लोग सही मानते! क्योंकि सांसद जी ठहरे समाजवादी पार्टी के और लोग कहने से चूकते नहीं की सपा के लोग तो गुंडागर्दी करते हैं! लेकिन सांसद राजीव राय ने पूरे घटनाक्रम में अपने पद की गरिमा और व्यवहार को डाक्टर के घटिया हरकत के वावजूद भी रोके रखा कहीं न कहीं यह उनके कुशल व्यवहार को दर्शाता है। डाक्टर सौरभ त्रिपाठी का, इसी शहर में बचपना बीता व जवान हुए हैं। उन्हें सांसद का प्रोटोकॉल नहीं मालूम हो यह उनकी गलती है और प्रोटोकॉल नहीं पता तो बड़े छोटे का तमीज़ तो संस्कार में होना चाहिए! उन्हें यह बख़ूबी पता होगा और वह चेहरे से भी बखूबी वाक़िफ़ होंगे की राजीव राय उनके क्षेत्र के सांसद हैं।
लेकिन डाक्टर सौरभ त्रिपाठी का एक करके एक अपने व्यवहार का सीरियल तमाशा उनके चरित्र पर ही तमाचा है! वह इसे माने या ना माने यह उनकी मर्ज़ी है लेकिन उन्हें अपनी आदत बदलनी होगी! कभी पत्रकार के ऊपर हेल्मेट चलाकर हमला करना। उनका मोबाइल तोड़ देना। अपने मातहतों के साथ कहासुनी यह उनकी सेहत के लिए ठीक नहीं है। जनता कह रही है कि जिस डाक्टर का सांसद और पत्रकार के प्रति व्यवहार इतना घटिया व निंदनीय है तो सरकारी अस्पताल में आने वाले आम जनता के प्रति क्या होगी!
डाक्टर साहब आपको यह बातें उत्तेजित कर सकती है आपको इस समाचार के प्रति भी ग़ुस्सा आ सकता है! लेकिन आप एक बार अपने गिरेबान में झांककर देखिए आख़िर चूक का कारण क्या है! आपके संरक्षा व सुरक्षा के लिए संविधान में काफ़ी ठोस कानून पहले से बना है आपके साथ ग़लत हो रहा है तो आप उसके शरण में जाइए लेकिन इतना तो तय है कि पत्रकार और सांसद के मामले में अगर वीडियो ना होता तो सांसद और पत्रकार ही गुंडा कहलाता लेकिन अच्छा हुआ कि दोनों समय कैमरा चालू था। डाक्टर साहब बस इतना ही समझ में आ रहा है कि आपको दिखाना हो तो लाइव कैमरा दिखाना होगा नहीं तो फिर बचाव के लिए सबूत कहाँ से आएगा। अब भी वक्त है डाक्टर साहब चेत जाइए, निवेदन है आदत बदल दिजीए। हर समय राजीव राय व अमित चौहान से भेंट नहीं होगी!