धर्म

माँ के पावन पर्व नवरात्रि की महत्ता जाने संक्षेप में

०शारदीय नवरात्र की हार्दिक बधाई और शुभकामना

मनोज कुमार सिंह

हमारी सनातनी परम्पराओं,परिपाटयों,जन जन में प्रचलित रिति रिवाजों लोक मान्यताओं और महाकाव्यों महाग्रंथो और पौराणिक कथाओं एवं किंवदंतियों के अनुसार असत्य,अन्याय, अंहकार, अत्याचार, अनाचार, व्यभिचार, ईर्ष्या, द्वेष, कलह और अतिशय धनलोलुपता जैसे दुर्गुणो से दूषित ,कलुषित एवं समस्त मनोविकारों से पूर्णतः प्रदूषित बर्बर राक्षसी प्रवृत्तिओ को जडमूल से समाप्त करने और इसके प्रतीक रावण को पूरी तरह से जलाकर खाक करने के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने शक्ति स्वरूपा माँ दुर्गा की अनवरत नौ दिनों तक आराधना किया था। हर वर्ष रावण को जलाना प्रतीकात्मक है। प्रकांड विद्वान होते हुए भी रावण वासना की आग में जल तप कर विविध प्रकार की नकारात्मक प्रवृतियों और शक्तियों का न केवल पक्ष पोषक बल्कि प्रतीक बन गया था। हम हर वर्ष रावण को इसीलिए जलाते हैं कि – हमारे अंदर रावण जैसी निहित प्रवृतियों और नकारात्मक शक्तियों का समूल नाश हो सके। इसी उपलक्ष्य में कार्तिक मास में हर सच्चा सनातनी व्रत उपवास रखकर शक्ति स्वरूपा माँ दुर्गा की आराधना वन्दना अर्चना और पूजा करता है। ताकि समस्त प्रकार नकारात्मक शक्तियों और हिंसामुक्त प्रवृतियों का नाश कर सके।

नवरात्रि का पर्व केवल बाह्य कर्मकाण्डो का अनुपालन नहीं अपितु अन्तःकरण और हृदय को मानवता के प्रति निर्मल पवित्र-पावन और मन मस्तिष्क और मिजाज को समस्त मनोविकारों से पूर्णतः निर्मुक्त करने का सर्वोत्तम अवसर होता हैं। इसलिए अपने व्यक्तित्व, कृतित्व, चरित्र, आचरण और व्यवहार में समाहित दुर्गुणो, दुर्व्यसनो और दुर्रविकारो को सर्वदा और सर्वत्र समाप्त करने के व्रत संकल्प के चलन-कलन के रूप नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। नवरात्रि का पर्व शारीरिक शुद्धिकरण के साथ साथ मानसिक और आत्मिक शुद्धिकरण का पर्व होता है। शारीरिक शुद्धिकरण के लिए हम अन्न जल इत्यादि का परित्याग कर उपवास का पालन करते हैं परन्तु मानसिक शुद्धिकरण के लिए अहंकार अत्याचार अनाचार व्यभिचार ईर्ष्या द्वेष कलह डाह लालच और मनसा बाचा कर्मणा हिंसक प्रवृतियो का पूर्णतः परित्याग अनिवार्य और अपरिहार्य है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने शक्ति स्वरूपा माँ दुर्गा की अनवरत आराधना के उपरान्त न केवल अहंकारी अत्याचारी आतताई रावण का बध किया अपितु निर्मम निर्लज्ज लूट-खसोट, काली करतूतों और काली कमाई के बल खडी स्वर्णजडित लंका को भी पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया। एक सभ्य समाज में काली कमाई और काली करतूतों के बल पर खडी लंकाओ के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। इसलिए आर्थिक शोषण काली कमाई और काली करतूतों की बदौलत आबाद अनगिनत लंकाओ के ढहाने गिराने ध्वस्त और बर्बाद करने के व्रत संकल्प के साथ हमें नवरात्रि का पर्व मनाना चाहिए ।
समस्त अमानवीय पाशविक निशाचरी और राछसी शक्तियों के विनाश विध्वंस और दया करूणा परोपकार सत्य अहिंसा और अपरिग्र्ह जैसी समस्त मानवीय शक्तिओं के जागरण की मनोकामना और मनोभावना के साथ शक्ति स्वरूपा माॅ दुर्गा को समर्पित नवरात्रि का त्यौहार मनाने का प्रयास करें।

मनोज कुमार सिंह
लेखक/साहित्यकार/स्तम्भकार
बापू स्मारक इंटर कॉलेज दरगाह मऊ।

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