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मऊ के सीएमओ से जानिए वायरल फीवर से बचने के उपाय

वायरल फीवर से बचें, रहें  सतर्क 

स्वास्थ्य विभाग अलर्ट – सीएमओ 

बीमारी की रोकथाम तथा मरीजों की जांच व इलाज में जुटा  स्वास्थ्य विभाग

मऊ, 14 सितम्बर 2022

नम मौसम, वर्षा और जल जमाव के कारण वायरल फीवर व अन्य संक्रमित बीमारी बढ़ने लगती हैं, जिससे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर होने लगती है। इसी को देखते हुये स्वास्थ्य विभाग ने जनपद वासियों को पूरी तरह से अलर्ट किया है। इसकी रोकथाम, जांच व इलाज को लेकर विभाग अलर्ट मोड में है। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ नरेश अग्रवाल ने दी।

डॉ अग्रवाल ने बताया कि मौसम में बदलाव, खान-पान में गड़बड़ी या फिर शारीरिक कमजोरी की वजह से भी वायरल बुखार होता है। इसके जाँच और इलाज जिले के सभी सीएचसी पीएचसी और जिला चिकित्सालय पुरुष में नि:शुल्क है। वायरल बुखार हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक तंत्र को कमजोर कर देता है, जिसकी वजह से वायरल के संक्रमण बहुत तेजी से एक इंसान से दूसरे इंसान तक पहुंच जाते हैं। आमतौर पर वायरल बुखार के लक्षण आम बुखार जैसे ही होते हैं लेकिन इसको उपेक्षा करने पर व्यक्ति की हालत काफी गंभीर हो सकती है। 

फ़तेहपुर मंडाव सामुदायिक केंद्र के डॉ बीके यादव ने बताया कि देर से शुरू हुई वर्षा जैसे-जैसे समाप्ति की ओर जा रही है वैसे वैसे  जनपद में वायरल फीवर के मरीजों की संख्या में अचानक से बढ़ोतरी हो गई है। स्थानीय स्तर पर फीवर के करीब 40 से 50 मरीज देखे जा रहे हैं। जिनका पहले ब्लड टेस्ट करवाया जा रहा है और फिर आए हुए जांच रिपोर्ट के आधार पर मरीजों को निःशुल्क दवा सीएचसी से उपलब्ध कराया जा रहा है।

डॉ यादव ने बताया कि यह बुखार आने के बाद खत्म होने और पहले की स्थति आने में कम से कम 10 से 12 दिन लग जाता है। वायरल फीवर से बचने के लिए लोगों को रुमाल, गमछा और तौलिया अलग करें और ठंडी चीज खाने या पीने से बचें। साथ ही मास्क का  प्रयोग करें, क्योंकि  मास्क का प्रयोग करने से 60 फीसदी तक किसी भी प्रकार के संक्रमण तथा वायरल से बचा जा सकता है। इन दिनों जनपद में वायरल फीवर के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।

नोडल अर्बन डॉ आरएन सिंह ने बताया कि आम तौर पर वायरल फीवर मौसम के बदलने पर प्रतिरक्षा तंत्र के कमजोर होने पर होता है। लेकिन इसके अलावा भी  और कारण होते हैं जिनके कारण बुखार आता है, जैसे दूषित जल एवं भोजन का सेवन, प्रदूषण के कारण दूषित वायु में मौजूद सूक्ष्म कणों का शरीर के भीतर जाना, रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी, वायरल बुखार हुए रोगी के साथ रहना।

वेक्टर बार्न डिजीज के नोडल डॉ आरवी सिंह ने बताया कि वायरल फीवर के लक्षण सामान्य रूप से होने वाले बुखार की तरह ही होता है। लेकिन इसको नजर अन्दाज करने से अवस्था गंभीर हो सकती है क्योंकि इलाज के अभाव में वायरस के पनपने की संभावना रहती है। यह हवा और पानी से फैलने वाला संक्रमण है, यह बरसात के मौसम में ज्यादा होता है। वायरल संक्रमण किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन बच्चों में यह अधिक देखा जाता है, मौसम में बदलाव आने के कारण बच्चों में वायरल बुखार होने की संभावना ज्यादा होती है। ऐसे में बच्चों में थकावट, खाँसी, जुकाम, उल्टी, दस्त जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं और तापमान अधिक होने के कारण डिहाइड्रेशन भी हो सकता है।

इसके अलावा और भी कुछ आम लक्षण होते हैं जैसे थकान,पूरे शरीर में दर्द होना, शरीर का तापमान बढ़ना, खाँसी, जोड़ो में दर्द, दस्त, त्वचा के ऊपर रैशेज होना, सर्दी लगना, गले में दर्द, सिर दर्द, आँखों में लाली तथा जलन रहना, उल्टी और दस्त का होना इत्यादि।

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