पुण्य स्मरण

राष्ट्रीय लोकदल (अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ) ने उल्लास पूर्वक मनाया बोधिसत्व डॉ भीम राव अंबेडकर की जयंती

अमरेन्द्र श्रीवास्तव, जौनपुर से…

जौनपुर। राष्ट्रीय लोकदल,(अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ) जौनपुर एवं भारत किसान यूनियन के प्रदेश सचिव ने नगर के अम्बेडकर तिराहे पर स्थित पार्क के अंदर बाबा साहब की मूर्ति पर माल्यार्पण करके उनका 132 वां जन्मदिवस हर्षोल्लास से मनाया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष (अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ) एवं भारत किसान यूनियन के प्रदेश सचिव तारिक अली खान ने की। इसके बाद उपस्थित सभी महानुभावों द्वारा बाबा साहब की मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया। अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में जिलाध्यक्ष (अ. प्र.) तारिक अली खान ने उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को आधुनिक भारत के संविधान निर्माता के रूप में जाना जाता है। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू,जनपद इंदौर,मध्यप्रदेश में हुआ था। बाबासाहेब की जयंती पूरे देश में लोग उत्साह से मनाते हैं। भारत रत्न डॉक्टर अंबेडकर जीवनपर्यंत संघर्ष करते रहे। भेदभाव का सामना करते हुए भी उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की। और स्वतंत्र भारत को एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाने के लिए संविधान निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाई। बाबा साहब ने पिछड़े,महिला और कमजोर वर्ग के अधिकारों के लिए जीवनपर्यंत संघर्ष किया। उन्होंने बताया कि विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने अध्ययन जारी रखा। भारत में दिख रहे अधिकतर सुधार उनकी देन हैं।
इसी क्रम में बताया कि कभी कभी कम उपलब्धियों वाले लोग इतिहास के नायक बना दिए जाते हैं और महानायकों को उनकी वास्तविक जगह मिलने में सदियां लग जाती हैं। ऐसे महानायक में डॉक्टर अंबेडकर भी शामिल हैं। भारत में 21वीं सदी अंबेडकर की सदी के रूप में अपनी पहचान धीरे-धीरे कायम कर रही है। उनके व्यक्तित्व और कृतित्व के नए-नए आयाम सामने आ रहे हैं। उनके व्यक्तित्व का एक बड़ा आयाम मजदूर एवं किसान नेता का है। उन्होंने बताया कि आज भारत में काम के 8 घंटे है तो इसका श्रेय बाबासाहेब को ही जाता है। बाबासाहेब के प्रयासों से ही काम के घंटे 14 से घटाकर आठ कर दिए गए। उससे पहले भारत में मजदूरों को 14 से 15 घंटे काम करना पड़ता था।उन्होंने आगे बताया कि बाबा साहेब डॉक्टर अंबेडकर 32 भाषाओं के जानकार थे, साथ ही साथ कुशल अर्थशास्त्री भी थे। उन्होंने बताया कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया डॉक्टर अंबेडकर की देन है। रिजर्व बैंक की स्थापना के जनक बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ही थे।डॉक्टर अंबेडकर द्वारा लिखी गई किताब “द प्रॉब्लम ऑफ रूपी, इट्स ओरिजिन एंड इट्स सॉल्यूशन” के आधार पर “रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया” की स्थापना की गई। प्रथम विश्व युद्ध के बाद भारत की करेंसी में लगातार गिरावट आ रही थी, करेंसी की हालत बेहद खराब हो गई थी। तब अंग्रेजों ने 1926 में “हिल्टन यंग कमीशन” जिसे “रॉयल कमीशन” के नाम से भी जाना जाता था,उसे भारत भेजा। जब वह भारत आए तो उनसे डॉक्टर अंबेडकर मिले। डॉक्टर अंबेडकर ने उन्हें अपनी किताब दी और उन्हें करेंसी की समस्या का समाधान बताया। उनके सामने रिजर्व बैंक जैसी संस्था के गठन का प्रस्ताव रखा। कमीशन के सदस्यों ने बाबा साहेब के सुझाव को गंभीरता से लिया और उनके प्रस्ताव को मान गए। इसके बाद रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 के अनुसार 1 अप्रैल 1935 को भारतीय रिजर्व बैंक का गठन हो गया।

कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं ने भी उनके जीवन से जुड़े प्रेरक बातें बताईं। कार्यक्रम का समापन डॉक्टर एस. ए. रिजवी जिला उपाध्यक्ष राष्ट्रीय लोकदल द्वारा किया गया। इस अवसर पर रघुनाथ यादव,नागेंद्र कुमार यादव,मोहम्मद राहिल जिला उपाध्यक्ष अ. प्र., रेहान कुरैशी नगर पंचायत अध्यक्ष जफराबाद अ. प्र., शहंशाह हुसैन, मोहम्मद ज़फ़र,मोहम्मद मज़हर अब्बास, नायब हुसैन,प्रखर श्रीवास्तव, अमरेन्द्र श्रीवास्तव, प्रमोद बिहारी सहित सभी पदाधिकारीगण, कार्यकर्ता व शुभचिंतक उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *