भोजपुरी अस्मिता पर्व: भोजपुरी भाषा को संवैधानिक मान्यता की मांग ने पकड़ा जोर
विश्व भोजपुरी सम्मेलन के 18वें अधिवेशन में देशभर से जुटे भोजपुरी समाज के दिग्गज
नई दिल्ली, भोजपुरी भाषा को भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर एक बार फिर से जोरदार आवाज उठी है। विश्व भोजपुरी सम्मेलन का 18वां अधिवेशन नई दिल्ली के सफदरजंग अधिकारी संस्थान के सभागार में भव्य और उत्साहपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ। इस सम्मेलन में देशभर से भोजपुरी भाषा, संस्कृति और साहित्य के प्रेमी, विद्वान, साहित्यकार, कलाकार और सामाजिक कार्यकर्ता एक मंच पर जुटे। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य भोजपुरी भाषा को उसका उचित सम्मान दिलाना और इसके संवैधानिक दर्जे की मांग को मजबूती प्रदान करना रहा।
मुख्य अतिथि का संबोधन: भोजपुरी का गौरव बढ़ाने की प्रतिबद्धता
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, सांसद और भोजपुरी के लोकप्रिय कलाकार मनोज तिवारी ने अपने संबोधन में भोजपुरी भाषा के वैश्विक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने मॉरीशस की अपनी यात्रा के दौरान भोजपुरी भाषा में संबोधन देकर इस भाषा के गौरव को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। यह हम सभी भोजपुरी भाषियों के लिए गर्व का क्षण है।” श्री तिवारी ने भोजपुरी गीत, संगीत और लोक संस्कृति की शक्ति को रेखांकित करते हुए दिल्ली में एक ‘पूर्वांचल भवन’ की स्थापना की आवश्यकता पर बल दिया, जो भोजपुरी समाज के लिए एक सांस्कृतिक और सामाजिक केंद्र के रूप में कार्य कर सके।
संवैधानिक मान्यता की मांग को मिला व्यापक समर्थन
हिंदू महासभा के अध्यक्ष चक्रपाणि जी महाराज ने अपने उद्बोधन में भोजपुरी को संवैधानिक मान्यता दिलाने की मांग को पुरजोर समर्थन दिया। उन्होंने घोषणा की कि वह इस प्रस्ताव को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तक पहुंचाने के लिए संकल्पबद्ध हैं। इसी तरह, भाजपा पूर्वांचल मोर्चा के अध्यक्ष श्री संतोष ओझा ने भी भोजपुरी भाषा के लिए चल रही इस लड़ाई को अपना पूर्ण समर्थन देने का वादा किया।
सांस्कृतिक और साहित्यिक प्रस्तुतियां
सम्मेलन में साहित्य और संस्कृति का अनूठा संगम देखने को मिला। प्रख्यात साहित्यकार श्री अरुणेश नीरन ने विश्व भोजपुरी सम्मेलन के ऐतिहासिक महत्व और इसके गौरवशाली सफर पर प्रकाश डाला। मशहूर भोजपुरी गायिकाओं विजय लक्ष्मी उपाध्याय और शिवाय ने अपनी मधुर प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर ‘भोजपुरी अमन’, ‘विश्व भोजपुरी सम्मेलन पत्रिका’, और ‘पाती’ सहित कई पत्र-पत्रिकाओं का विमोचन भी किया गया, जो भोजपुरी साहित्य और संस्कृति के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
सम्मान समारोह: भोजपुरी के सपूतों का अभिनंदन
सम्मेलन में भोजपुरी साहित्य और कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाली हस्तियों को सम्मानित किया गया। भोजपुरी के महान साहित्यकार श्री भगवती प्रसाद द्विवेदी को ‘सेतु सम्मान’ से नवाजा गया, जबकि प्रसिद्ध लोक गायिका श्रीमती कल्पना पटवारी को ‘भिखारी ठाकुर सम्मान’ प्रदान किया गया। ये सम्मान भोजपुरी संस्कृति के प्रति उनकी अतुलनीय निष्ठा और योगदान का प्रतीक बने।
आर्थिक विचार मंथन: भोजपुरी क्षेत्र के विकास पर चर्चा
सम्मेलन में ‘आर्थिक विचार मंथन’ सत्र का आयोजन भी किया गया, जिसमें भोजपुरी भाषी क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति और संभावनाओं पर गहन चर्चा हुई। इस सत्र में प्रख्यात अर्थशास्त्री श्री शिशिर सिन्हा, श्री पंकज जयसवाल और वरिष्ठ पत्रकार श्री उमेश चतुर्वेदी सहित कई विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे। वक्ताओं ने भोजपुरी क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए ठोस रणनीतियों और नीतियों की आवश्यकता पर जोर दिया।
भोजपुरी आंदोलन और नई पीढ़ी की भागीदारी
‘भोजपुरी अस्मिता पर्व’ के तहत आयोजित एक विशेष सत्र में भोजपुरी आंदोलन की दिशा और दशा पर विचार-मंथन हुआ। इस सत्र में श्री संतोष पटेल, श्री जनार्दन सिंह, श्री उमाशंकर साहू, श्री अजीत सिंह और श्री अपूर्व नारायण तिवारी जैसे वक्ताओं ने अपने विचार साझा किए। सत्र का संचालन कवि श्री देव कांत पाण्डे ने किया, जबकि संयोजन श्री विनय मणि त्रिपाठी और डॉ. मनीष चौधरी ने किया।
नई पीढ़ी में भोजपुरी के प्रति जागरूकता और प्रतिबद्धता को बढ़ाने के लिए एक अलग सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. उत्पल कुमार ने भोजपुरी भाषा के शैक्षिक महत्व पर प्रकाश डाला। मशहूर लेखक व अनुवादक श्री गौतम चौबे, डॉ. राजेश मांझी और डॉ. देवेंद्र ने नई पीढ़ी को भोजपुरी से जोड़ने के लिए रचनात्मक उपाय सुझाए। इस सत्र का संचालन श्री केशव मोहन पांडेय ने किया।
राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन
सम्मेलन के समापन पर एक भव्य राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसकी अध्यक्षता डॉ. अशोक द्विवेदी ने की। संचालन श्री विनय विनम्र ने किया। इस कवि सम्मेलन में श्री देवकांत पांडेय, श्री जेपी द्विवेदी, श्री केडी पांडेय ‘मुन्ना’ सहित कई कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं का मन मोह लिया। कविताओं में भोजपुरी की मिठास, संघर्ष और आकांक्षाएं जीवंत हो उठीं।
विश्व भोजपुरी सम्मेलन का यह 18वां अधिवेशन न केवल भोजपुरी भाषा और संस्कृति के संरक्षण के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ, बल्कि इसने भोजपुरी समाज को एकजुट होकर अपनी मांगों को बुलंद करने का संदेश भी दिया। सम्मेलन में उपस्थित सभी वक्ताओं और प्रतिभागियों ने संकल्प लिया कि भोजपुरी को संवैधानिक मान्यता दिलाने की यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी, जब तक लक्ष्य हासिल नहीं हो जाता।