रचनाकार

साँवली सलोनी मेरी बेटी…

( लोकेश्वरी कश्यप )

स्वच्छ, निर्मल मन है उसका, बहुत वह भोली है ।
सदा करती है वह प्यारी बातें, दिल नहीं दुखाती है ।
सब काम में रहती आगे, बोले जो कर के दिखाती है ।
सांवली- सलोनी मेरी बेटी, सारे जग से निराली है ।

हर पल हंसती रहती है और सबको हंसाती है ।
सर में मेरे दर्द हो तो, मेरा सर भी वो दबाती है ।
पूजा के लिए बाग से वो ,फूल चुन लाती है ।
सांवली – सलोनी मेरी बेटी, सारे जग से निराली है ।

करती है वह सब की मदद,नहीं किसी को सताती है ।
हर मुसीबत का सामना करती, नहीं कभी घबराती है ।
कोई कुछ गलत करें तो,अच्छा सबक उसे सिखाती है ।
सांवली-सलोनी मेरी बेटी, सारे जग से निराली है ।

मनपसंद चीजें पाकर वह, खुशी से खूब इठलाती है।
अपनी मधुर आवाज में, सुमधुर गीत गुनगुनाती है ।
जहां भी वह जाती है,खुशियां ही खुशियां फैलाती है ।
सांवली – सलोनी मेरी बेटी,सारे जग से निराली है ।

बड़े हो या बच्चे हो सबका सम्मान वो करती है ।
नहीं कभी किसी से झगड़ती, मिल – जुल के रहती है ।
जहाँ कही भी वह जाती, स्वच्छता, अनुशासन सदा अपनाती है ।
सांवली – सलोनी मेरी बेटी, सारे जग से निराली है ।

लोकेश्वरी कश्यप
जिला मुंगेली छत्तीसगढ़

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *