समझिए! यह सिर्फ़ नेताओं का वहम है, और बरगलाने का क़िस्सा!
@आनन्द कुमार…
जब नेता, सरकार व अधिकारी आज तक इस बात का न अंदाज़ा लगा पाए और ना ही मूल्यांकन कर पाएँ, कि एक ट्रेन में कितने यात्री की सीट है और कितनी टिकट बेचनी है, तो चुनाव में कौन कितना सीट पा रहा इसका अंदाज़ा लगाना कैसे मुमकिन है! जनता भी इस मामले में फेल है, क्योंकि कई पीढ़ियाँ गुजर गई और कई सरकार व प्रधानमंत्री और रेलमंत्री बदल गए लेकिन हालात सिर्फ़ बद्द से बदतर हुए! राजनीति में जितने भी ज़िन्दा बड़े नेता हैं सबको मौक़ा मिल चुका है। कोई कह नहीं सकता इस मामले में कुछ भी! जो नहीं है उन्हें सादर श्रद्धांजलि।
समझिए! यह सिर्फ़ नेताओं का वहम है, और जनता को बरगलाने का क़िस्सा, तभी तो N.D.A. कहती है कि वे 400 पार और I.N.D.I.A. के लोग कहते हैं नहीं बन रही N.D.A. की सरकार, अबकी हम ही हैं यार! जो एक ट्रेन की बोगी की सीट और टिकट लेने वाले यात्रियों की संख्या की गिनती ठीक से नहीं कर पाते वे 543 लोकसभा सीट पर करोड़ों की संख्या में वोटर की गिनती कैसे कर पाएँगे! आप परेशान न हों! यह वही दादी की कहानी है बिलईया कान ले गई! आप अगर अच्छे हैं तो आप अपने विवेक से एक अच्छा जनप्रतिनिधी चुनिए! अगर आपसे गलती हो जाए तो स्वयं विचारिए और अगले चुनाव में गलती को भूला निर्णय लीजिए।
Anand Kumar