सहरी की अकीदत है तो इफ्तार की जिम्मेदारी उस ऊपर वाले पर छोड़ दे
■ लॉकडाउन में फंसे दो प्रवासी परिवारों को सभासद ने पहुँचायी इफ्तार सम्बन्धी खाद्य सामग्री
(लोकेश राज सिंह)
मऊ। आज मुक़द्दस माहे रमजान का पहला दिन है। इस्लाम के नुमाइंदो के लिए ये महीना ऊपर वाले से दुआ मांगने और अमनो चैन के लिए इबादत करने के लिए है। माह के अंत में चाँद के दीदार के साथ ही ईद मनाई जाती है। जहाँ एक तरफ रोजेदारों ने आज सहरी से रोजे के पहले दिन की शुरुआत हुई। वहीँ शहर के सहादतपुरा में किराये के मकान में रहने वाले मक़सूद और उनके परिवार वालों के लिए मूलतः भागलपुर बिहार के रहने वाले हैं, लॉकडाउन ने इनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। मक़सूद समेत 18 लोग यहाँ लॉकडाउन की वजह से फंसे हैं। ये लोग फेरी का काम कर अपना जीवन बशर करते हैं। लॉकडाउन में काम धंधा बंद होने के कारण पहले ही काफी मुश्किलों का सामना करना पढ़ रहा था, पर रमज़ान के महीने में शायद मुश्किलें और बढ़ जाती।पर यह मऊ है साहब यहाँ नफरतों की आंधी में इंसानियत का पौधा अपनी जड़ें नहीं छोड़ता। मक़सूद और उनके परिवार के लोग जहाँ रहते हैं उस वार्ड के सभासद हैं धीरज राजभर। सभासद ने लॉक डाउन के शुरुआती दिनों से ही इन दो परिवारों को यथासंभव मदद पँहुचाई। धीरज का मानना है की ये लोग कहीं के भी हो इस लॉक डाउन के दौरान मऊ में रह कर इन्हे ये कभी नहीं लगना चाहिए कि ये लोग यहाँ अकेले हैं। आज पहले रोजे के दिन सभासद ने इफ्तारी के लिए इन परिवारों को खजूर, केला,चिप्स,पकोड़ी इत्यादि भेंट किया। सभासद के इस भाव से मक़सूद ने खुश होकर उपरवाले से दुआ की कि वह सभी को खुश रखे और इस महामारी से जल्दी से जल्दी हम सभी को मुक्ति दे।

