पत्नी ने पूछा, यह विश्वासघात क्या होता है, मैंने कहा जो तेरे बाप ने मेरे साथ किया, बस वैसा ही होता है
रतनपुरा/मऊ। विकास खण्ड के प्रखंड के दक्षिणांचल स्थित तमसा तटवर्ती गांव पिंडोहरी में मां रमावती देवी की स्मृति मे अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें हास्य-व्यंग, गीत, ग़ज़ल के माध्यम से श्रोताओं का खूब मनोरंजन कराया गया। कार्यक्रम रात्रि 8:00 बजे से प्रातः 3:00 बजे तक चला, जिसमें दर्शक पूरी तरह से भाव विभोर होकर के गीत गज़लों में गोते लगाते रहे, कार्यक्रम के प्रारंभ में वाराणसी से पधारी कवित्री श्रीमती विभा शुक्ला ने ‘हे मां सरस्वती वीणा मधुर बजा दे यह जग भटक रहा है सबको डगर दिखा दे ‘की वाणी वंदना से प्रारंभ हुआ। इसके पश्चात संचालक मिथिलेश गहमरी ने दिल्ली से पधारे युवा कवि सूरज मणि को बुलाया उन्होंने ‘मैं कभी बिगड़ नहीं सकता तुम कभी सुधर नहीं सकते’ सुनाकर वर्तमान परिवेश पर करारा व्यंग्य किया। पुणे मंच पर आएं युवा कवि प्रशांत विश्वास ने तुम को जन्नत देखना हो अगर मां के पैरों को चल कर दबा दीजिए, सुनाकर मां की महत्ता को बताया। शमीम ग़ाज़ीपुरी नेवो मिले ना मिले कोई बात नहीं तू उनके शहर को मेरा सलाम कह देना, सुना कर अपने गजलों के माध्यम से श्रोताओ को भाव विभोर कर दिया !वाराणसी से पधारे हास्य कवि दिनेश सिंह गूग्गल ने’ पत्नी ने पूछा यह विश्वासघात क्या होता है, मैंने कहा जो तेरे बाप ने मेरे साथ किया बस वैसा ही होता है, सुना कर लोगों को हंसाते हंसाते लोटपोट कर दिया! मिर्जापुर से पधारे नरसिंह साहसी ने बिखरती आज दुनिया की नई नई तस्वीर बदलो तुम करो बारिश मोहब्बत की, नफरतों को मिटा दो ,सुना कर खूब वाह वाही लूट। बलिया से पधारे हास्य के सशक्त हस्ताक्षर दयाशंकर प्रेमी ने विधायक बा केहू, चहकत बा केहू, दरोगा बा केहू, सहकत बा केहू, भरम मे मोबाइल अईसन डलले बा, बाजत हमार बा, चिहुकत बा केहू, सुना कर खूब गुदगुदाया। बलिया जनपद मुख्यालय से ही पधारे गीत के महान कवि बृजमोहन ने सुनाया सपनवा साकार होई गइले जाग हो सजनवा बिहान होई गईले ,सुनाकर गीतों की सरिता प्रवाहित की, तो वाराणसी से पधारी युवा कवियत्री विभा शुक्ला ने’ कभी सावन की बदली हो कभी फागुन की मस्ती हो ‘कभी प्यासे पपीहे की तरह तरसती हो कभी मैं मोम पत्थर, फूल ,माला और शबनम हूं, किसी के दिल में बसती हूं, किसी से दूर रहती हूं ,सुना कर सबको गीतों की सरिता में डुबो दिया! फिर काव्य पाठ के लिये मंच पर आए मिथिलेश गहमरी ने इसे तो फिक्र है सिर्फ वोटों की, सियासत को वतन से क्या मतलब, सुना कर सबको भाव विभोर कर दिया। आयोजक डाक्टर बृजेश सिंह त्यागी ने सुनाया ‘हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं इसी माटी को हम हिंदुस्तान कहते है। कवि सुरेश कुमार श्रीवास्तव ने सुनाया वादा किया था जिसने गरीबी मिटाने की उसका ही स्विस बैंक में खाता हमे मिला एवं रमेश रतनपुरी ने उजड़ गइले आज मानवता के नगरी, सुनाकर यथार्थ को पूरी तरह से ऊकेर दिया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता प्रधानाचार्य राजेंद्र यादव एवं सफल संचालन मिथिलेश गहमरी ने किया। आयोजक डाक्टर बृजेश सिंह त्यागी ने कवियों को अंग वस्त्र प्रदान करके उन्हें सम्मानित किया।पिन्डोहरी ग्राम पंचायत में चौथी बार कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया था डॉ बृजेश सिंह जी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा की गई।