काश : डीएम साहब पहले मिल गए होते
मऊ। समय प्रातः 10 बजे स्थान कलेक्ट्रेट स्थित डीएम कार्यालय, जिलाधिकारी प्रकाश बिन्दु अपने चैम्बर में जनता-जनार्दन से मिल उनकी समस्याओं का निस्तारण कर रहे थे। इसी दौरान जनता-जनार्दन में से ही जब डीएम से मिलने के क्रम में जनपद के ठकुरमनपुर गांव के दिव्यांग रामध्यान चौहान की बारी आयी तो जिलाधिकारी ने बडे़ आत्मीयता से रामध्यान से पूछा कि तुम्हारी समस्या क्या है? दिव्यांग रामध्यान चौहान ने जब बताना शुरू किया कि उसके साथ-साथ उसके पिता भी दिव्यांग हैं और उसके पास न तो शौचालय हैै और न ही आवास, इस बावत जब जिलाधिकारी ने बच्चे से प्रार्थना पत्र मांगा तो उसके पास प्रार्थना पत्र भी नहीं था। जिसपर जिलाधिकारी ने अपने कार्यालय स्टाफ को कहा कि इस बच्चे का प्रार्थना पत्र लिखवाकर लाये। जिलाधिकारी ने तुरन्त उसे शौचालय एवं आवास उपलब्ध कराने के निर्देश दिये। जिलाधिकारी प्रकाश बिन्दु वहीं नहीं रूके तत्काल कम्बल मंगवाकर अपना कुर्सी छोड़ उस दिव्यांग बच्चे के पास आये और ठण्ड से बचने के लिए कम्बल प्रदान किये। जिलाधिकारी के इस प्रयास पर सभी ने प्रसन्नता व्यक्त की और दिव्यांग रामध्यान चौहान फूले नहीं समा रहा था।
अब देखना होगा कि जिस दिव्यांग के लिए जिलाधिकारी अपना कुर्सी छोड़ कर उसे कंबल प्रदान करने आये तथा उसकी समस्या सुन उसे आवास तथा शौचालय के लिए पत्र तक लिखवाया। अब उस युवक को आवास व शौचालय मिलने में कितना वक्त लगता है। कारण साफ है कि वह युवक जिलाधिकारी प्रकाश बिन्दु से भले ही पहली बार मिला होगा, इसके पहले भी वह किसी न किसी स्तर पर लोगों से मिल अपनी बाते कही जरूर होगी। लेकिन कोई उसकी नहीं सुना होगा। ऐसे में जिलाधिकारी प्रकाश बिंदु उसके लिए एक ऐसी उम्मीद साबित हुए कि जिस दिन उसे आवास और शौचालय मिल जाएगा, उसके बाद वह जिलाधिकारी को ताउम्र नहीं भूल पायेगा। ऐसे में जिलाधिकारी की एक पहल सराहनीय व काबिले तारीफ है ऐसे ही आम जनता की समस्याओं से अगर जनपद का एक-एक अधिकारी एक-एक बाबू ऐसे ही रूबरू हो जाए, तो वास्तव में ऐसा कोई दिव्यांग या पात्र फिर कभी जिलाधिकारी दफ्तर में गुहार लगाता नहीं मिलेगा। रामध्यान तो बस यही सोच रहा होगा की काश डीएम साहब पहले मिल गए होते। उक्त अवसर पर उप जिलाधिकारी सदर कुमार हर्ष आईएएस उपस्थित रहे।
Hats off to the new DM.Given a good example of sensible humanity.