कांप रहे है सब ऐसे, जैसे पीपर पात हो डोल रहा
(राज बहादुर सिंह)
मर्यादपुर। शीत लहर की ठंडक में, हाड़- मांस है कांप रहा, दाँत हैं बजते ऐसे, जैसे कोई वाद्य यंत्र हो बज रहा। यह पंक्तियां बिल्कुल सटीक बैठ रही है, जाड़े की इस ठण्डक में। हल्की-हल्की गुलाबी धूप,सुबह उठते समय और रात में ठण्ड, रास्ते मे कोहरा और कान को ढंककर रखने को मजबूर करती ठंडी हवाएं बता रहीं हैं कि ठण्ड गरीबों की नहीं, अपितु अमीरो की अमानत है। सुबह से ही ठण्ड अपना असर दिखाने लग रही है और अपने तीखे तेवर से लोगों को कंपकपाने पे मजबूर कर रही है। तो वही कोहरा भी अपना अलग ही कहर ढा रहा है। रात के साथ भीषण ठण्ड भी बेहाल कर रही है। ठंड के सितम को देखते हुए कक्षा-1 से कक्षा-12 तक के सभी विद्यालयों को 10 जनवरी तक बंद कर दिया गया है।बी पी एस के भूगोल प्रवक्ता प्रवीण सिंह बताते है कि क्षेत्र में उत्तर पच्छिमी की बर्फीली हवाओ के कारण ठंड शिमला और नैनीताल से भी अधिक सर्द बना रह रहा है। कड़ाके की ठंड और शीतलहर से फिलहाल राहत मिलने के आसार नही दिख रहे है। गलन की कँपकँपी और कोहरे की चादर का मुकाबला करने के लिए लोग अलाव का सहारा ले रहे है।