जग भूले पर मुझे बस निभाना है सेवा धर्म
अखबार का कोना : दैनिक जागरण…
(अनुराग आर्य)
न मश्किलों में मुस्कुराना हो मना, उन मुश्किलों में मुस्कुराना धर्म है, महाकवि गोपाल दास ‘नीरज’की यह कविता वर्तमान परिदृश्य को बखूबी चरितार्थ है। कोरोना वायरस संकमण (कोविड-19) की चुनौती हम पुलिसकर्मियों एवं प्रत्येक प्रत्येक कर्मयोगी के लिए एक अवसर है अपने गांव, समाज, प्रदेश व राष्ट्र के प्रति समर्पण को नई ऊंचाइयां देने का। बीते 22 दिनों के दौरान मऊ जनपद के आमजन ने जिस एकजुटता, धर्म एवं त्याग का परिचय दिया वह अभूतपूर्व है। इसका श्रेय सबसे ज्यादा उन व्यक्तियों को जाता है जिनका जीवन मजदूरी अथवा दैनिक आय पर ही पूर्णतया निर्भर है।
जनहित में उनके द्वारा किए जा रहे त्याग को पुलिस विभाग सैल्यूट करता है। जनपद के पुलिस बल का प्रधान होने के नाते बतौर पुलिस अधीक्षक मेरे सामने तीन चुनौतियां थीं। पहली आमजन को कोरोना वायरस की चुनौती के बारे में जागरूक करना, दूसरी लॉकडाउन का नियमानुसार पूर्णत: पालन कराना एवं तीसरी अपने पुलिस विभाग के साथियों व सहकर्मियों को भी जागरूक करना, प्रेरित करना व इस संक्रमण से बचाना। पुलिस विभाग में इस लड़ाई के सबसे बहादुर योद्धा कड़ी धूप में बैरियर पर मुस्तैद वो सिपाही हैं, जो धूल व धूप खाकर लॉकडाउन का पालन करा रहे हैं, वे उपनिरीक्षक और निरीक्षक हैं, जो गली-गली पहुंच कर लोगों को हिदायत दे रहे हैं, उनकी समस्याओं से जूझ रहे हैं। सुबह पांच बजे सब्जी मंडी पर शारीरिक दूरियां सुनिश्चित करने के लिए मौजूद रहकर मेरे अधीनस्थ पुलिस कर्मियों ने मुङो यह सहूलियत प्रदान की है कि मैं अगर देर रात्रि सो रहा हूँ तो सुबह 7 बजे आराम से उठ सकूं।

रात्रि में पिकेट व गश्त पर लगे आरक्षियों व मुख्य आरिक्षयों ने यह भरोसा दिलाया कि जिले की सीमाओं को 24 घंटे बंद रखा जाएगा, ताकि मऊवासी सुरक्षित रहें। पुलिस लाइन में प्रतिसार निरीक्षक व उनकी टीम ने आवश्यक वस्तु बैंक (जिसको बाद में पूरे वाराणसी जोन में अन्नपूर्णा बैंक के नाम से शुरू किया गया) का अभूतपूर्व कार्य किया। पुलिसकर्मियों ने जनता के सहयोग से अब तक 10,000 फूड पैकेट व 11,500 किलोग्राम सामग्री वितरित किया है। अपने कर्तव्यों के साथ-साथ यह जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाकर जनपद के पुलिसकर्मियों ने आमजन के कष्टों को दूर करने का हरसंभव प्रयास किया है।
इसी प्रकार पुलिस लाइन में पुलिस कर्मियों के परिवार व महिला आरक्षियों द्वारा महिला थानाध्यक्ष के नेतृत्व में मास्क बनाकर वितरित किया गया। यह उनकी जनसेवा की भवना का ज्वलंत उदाहरण है। सच यह भी है कि इस दौरान कई कठोर कदम भी उठाने पड़े हैं। हजारों वाहन सीज किए गए हैं, लगभग 400 मुकदमे पंजीकृत करने पड़े हैं, लेकिन इन सबके पीछे एक ही मकसद है, जनहित व जनस्वास्थ्य को सवरेपरि रखना।
व्यक्तिगत रूप से तो दिन इन चुनौतियों से लड़ने में निकल जाता है, लेकिन फिर भी समय निकालकर किताबें पढ़ना मुङो पसंद हैं। आजकल जयशंकर प्रसाद की कहानियों का संग्रह पढ़ रहा हूं। युवाओं से यह अपील भी करना चाहूंगा कि मोबाइल छोड़कर किताबों की दुनियां में समय लगाएं। राष्ट्रकवि दिनकर जी की रश्मिरथी पढ़ें या श्रीलाल शुक्ला की रागदरबारी या जो भी साहित्य आपकी पसंद हो ।
पूरे दिन जिलाधिकारी मऊ व उनकी पूरी टीम, मुख्य चिकित्साधिकारी व उनके सभी स्वास्थ्यकर्मियों व डॉक्टरों की टीम के द्वारा जो संघर्ष व समर्पण प्रदर्शित किया जा रहा है, उसके लिए मैं पुलिस विभाग की तरफ से उनका धन्यवाद करता हूँ। ..अभी यह संघर्ष बाकी है। हमें और मजबूती से लड़ना होगा। यह धैर्य की परीक्षा है। दिनकर जी ने कहा है मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है। हमारा प्रयास भी अडिग हो, यही कामना है। मैं अपना आह्वान उन चंद पंक्तियों के साथ समाप्त करना चाहूंगा जो प्रतिदिन मुझमें भी प्रेरणा का संचार करती हैं। यह लाइनें राष्ट्रकवि दिनकर जी की रचना सिपाही से ली गई हैं, ‘जीवन भी क्या चहल-पहल है, इसे न मैंने पहचाना, सेनापति के एक इशारे पर मर मिटना केवल जाना। जग भूले, पर मुङो एक बस सेवा धर्म निभाना है, जिसकी है यह देह, उसी में इसे मिला मिट जाना है।
एसपी अनुराग आर्य ने ’दैनिक जागरण’ के माध्यम से कहा कि,
’युवाओं से करूंगा अपील, मोबाइल छोड़ किताबों की दुनियां में समय लगाएं, ’जनहित की चुनौतियां निभाने के संग पढ़ रहे जयशंकर प्रसाद की कहानियां।

