शोक संदेश

लोकविद् सांवरिया के निधन क्षेत्र में शोक

o परिजनों ने डीहा गंगा घाट पर किया दाह संस्कार

o मौके पर जुटे समाजसेवी,कवि कलाकारों ने स्मृतियों को ताजा करते हुए,दी श्रद्धांजलि

करछना /प्रयागराज। लोकसंगीत,लोकनाट्य एवं अवधी कविता में आम आदमी के जीवन का यथार्थ उकेरने वाले लोकविद् कवि रामलोचन सांवरिया ( पुत्र स्व ० ब्रह्मयज्ञ विश्वकर्मा ) के निधन पर क्षेत्र में गहरा शोक व्याप्त है। अनवरत पांच दशकों तक अपनी लेखनी की धार से जमुनापार को राष्ट्रीय पटल पर पहचान देने वाले लोककवि ने अपने पैतृक गांव करछना के गधियांव में अंतिम सांस ली। लगभग 73वर्ष की अवस्था में वह बीते दो दिनों से बुखार से पीड़ित थे जिनका सोमवार देर रात निधन हो गया। मंगलवार दोपहर बाद परिजनों ने स्थानीय डीहा गंगा घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया। वे अपने पीछे दो बेटे और भरा पुरा परिवार छोड़ गए ।बड़े बेटे वेदानन्द वेद ने मुखाग्नि दी।इस दौरान मौजूद जागृति मिशन के संयोजक डॉ.भगवत पांडेय ने कहा कि अपने लोकसंगीत की वृहद रचना परिधि और अवधी भाषा के काव्य रचना विमर्शों के साथ सांवरिया जी ने पूरे देश में क्षेत्र का नाम गौरवान्वित किया।सांवरिया के जैसा होना, सबके बस की बात नहीं।उनका निधन जागृति मिशन, लोकसाहित्य, नाट्य जगत में जो सूनापन दे गया,जिसकी भरपाई सम्भव नहीं है। कवि, कलाकारों ने सांवरिया के अनूठे कृतित्व और सादगी पूर्ण व्यक्तित्व की सराहना करते हुए कहा कि उनके निधन से नौटंकी लोकसंगीत का एक बड़ा स्तम्भ और अंतिम कड़ी भी टूट गई। अंतिम संस्कार की बेला में सभी भावुक मन से उनके अतीत की स्मृतियों को याद करते सभी लोग गम में डूबे रहे। इस मौके पर मदनमोहन शंखधर,
फतेहबहादुर सिंह रिषिराज, अनिल विश्वकर्मा, विजय सिंह, कवि डॉ.राजेंद्र शुक्ल, डॉ.भगवान प्रसाद उपाध्याय, डॉ.वीरेन्द्र सिंह कुसुमाकर, सबरेजअहमद, जीतेन्द्र जलज, श्री नाथ विश्वकर्मा,सन्तोष शुक्ल समर्थ,जी.पी.सिंह,रणजीत सोनकर,रामबाबू यादव, पंचमलाल, मोहिनी श्रीवास्तव, केशव विश्वकर्मा, राजेंद्र पथिक, अशोक बेशरम, कमलेश, सुभाष विश्वकर्मा समेत अनेक कवि, कलाकार,समाजसेवी, बड़ी संख्या में ग्रामीण और परिजन मौजूद रहे।

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