रचनाकार

काश! आदमी भेड़ नहीं पेड़ होते 🌳🌴🌲🌳

@ मान बहादुर सिंह “मानू”…

उसने मुझे फल,फूल
और रहने के लिए छांव दिया
मैं उदास था जिस रोज
उसने मुझे पीठ रखने की जगह
और शीतल बयार दिया
देकर प्राण वायु का झोंका
मेरी उखड़ती सासों को
टूटने से रोका __

एक रोज मैंने कुल्हाड़ी से उसे
बोटी-बोटी काट डाला
समेत अमोलो के मैंने
उसे जमीन से उखाड़ डाला

सच! दुनिया के सारे पेड़
उदार होते है ——
बस, आदमी नहीं होते ,
काश! आदमी भेड़ नहीं
पेड़ होते 🌳🌴🌲🌳

पर्यावरण दिवस की शुभकामना

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