अटल जी देश के एकमात्र ऐसे नेता थे, जो पक्ष विपक्ष में समान रूप से सम्माननीय रहे : सहजानंद राय
मऊ। पूर्व प्रधानमंत्री स्व० अटल बिहारी बाजपेई जी के जयंती को भाजपा कार्यकर्ताओं ने मद्धेशिया अतिथि गृह में पुष्पांजलि तथा गोष्ठी का आयोजन करते हुए सुशासन दिवस के रूप में धूमधाम से मनाया।
गोष्ठी में उपस्थिति कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए जिले के प्रभारी तथा क्षेत्रीय महामंत्री सहजानंद राय ने कहा की पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई देश के एकमात्र ऐसे नेता थे, जो अपनी पार्टी में ही नहीं, विपक्षी पार्टी में समान रूप से सम्माननीय रहे हैं । उदार, विवेकशील, निडर, सरल-सहज, राजनेता के रूप में जहां इनकी छवि अत्यन्त लोकप्रिय रही है, वहीं एक ओजस्वी। वक्ता, कवि की संवेदनाओं से भरपूर इनका भाबुक हृदय, भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति आस्थावान इनका व्यक्तित्व सभी को प्रभावित कर जाता है।
श्री बाजपेई जी की लेखन क्षमता, भाषण कला को देखकर श्यामाप्रसाद मुखर्जी और दीनदयाल उपाध्याय जैसे नेताओं का ध्यान इनकी ओर गया। वे ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के एक अंग थे। कुछ समय तक उन्होंने पत्रकार के रूप में काम किया। वे एक अच्छे कवि भी थे। बाद में, वे राजनीति से जुड़ गए। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की। उन्होंने अपने ज्ञान और अनुभव का उपयोग इसे मजबूत बनाने में किया।
अटलजी को जनसंघ के प्रथम अध्यक्ष डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी का निजी सचिव नियुक्त किया गया । साथ में जनसंघ का सचिव भी बनाया गया ।
1977 से 1979 तक जनता पार्टी के शासनकाल में ये विदेश मन्त्री रहे । सन 1980 से 1986 तक भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे । विदेश मंत्री के रूप में इन्होंने निःशस्त्रीकरण, रंगभेद नीति आदि की ओर सदस्य राष्ट्रों का ध्यान आकर्षित किया । वाजपेयी जी ने एन. डी. ए. नामक एक नई गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया।
1998 में भारत के राष्ट्रपति के.आर. नारायण ने इन्हें प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलायी । ये मई 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे । जब वे प्रधानमंत्री थे तब भारत अनेक क्षेत्रों में काफी प्रगति का साक्षी बना । पोखरण में पाँच नाभिकीय परीक्षण किए गए। भारत और पाकिस्तान के बीच दिल्ली-लाहौर बस सेवा शुरू की गई। यह दोनों राष्ट्रों के बीच के संबंधों को मजबूत करने के लिए किया गया था। दूसरी तरफ, कारगिल युद्ध के समय वे देश के लिए बहादुरी के साथ डटे रहे।
राष्ट्रीय उच्च पथ विकास-कार्यक्रम, ग्राम सड़क योजना, स्वर्णिम चतुर्भुज आदि योजनाएँ वाजपेयी जी द्वारा शुरू किए गए। वे समाज के प्रत्येक वर्ग के बारे में सोचते थे। उन्हें पद्म विभूषण, लोकमान्य तिलक पुरस्कार, पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार एवं भारतरत्न से सम्मानित किया गया था। वे भारतीय राजनीति के ‘भीष्म पितामह’ के रूप में भी जाने जाते हैं।
भाजपा जिलाध्यक्ष प्रवीण कुमार गुप्ता ने अटल जी के विचारों पर प्रकाश डालते हुए कहा की अटल जी का सम्पूर्ण जीवन एवं इनके सम्पूर्ण विचार राष्ट्र के लिए समर्पित रहे हैं । राष्ट्रसेवा के लिए इन्होंने गृहस्थ जीवन का विचार तक त्याग दिया। अविवाहित प्रधानमंत्री के रूप में ये एक ईमानदार, निर्लिप्त छवि वाले प्रधानमंत्री रहे हैं । इन्होंने राजनीति में रहते हुए कभी अपना हित नहीं देखा । लोकतंत्रवादी मूल्यों में इनकी गहरी आस्था है । हिन्दुत्ववादी होते हुए भी इनकी छवि साम्प्रदायिक न होकर धर्मनिरपेक्ष मानव की रही है । लेखक के रूप में इनकी प्रमुख पुस्तकों में मेरी 51 कविताएं, न्यू डाइमेंशन ऑफ इण्डियाज, फॉरेन पालिसी, फोर डिकेड्स इन पार्लियामेंट तथा इनके भाषणों का संग्रह उल्लेखनीय है।
ये देश के सफल प्रधानमंत्रियों में से एक हैं । इनकी विलक्षण वाकपटुता को देखकर लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने यह कहा कि इनके कण्ठ में सरस्वती का वास है तो नेहरू जी ने इन्हें अद्भुत वक्ता की विश्वविख्यात छवि से नवाजा। भारतीय राजनीति के प्रति उनके योगदानों को हमेशा याद किया जाएगा। हमें उन पर गर्व है।
इस अवसर पर मुन्ना दुबे, भरतलाल राही, विजय नारायन शर्मा, डा० एच एन सिंह, संतोष सिंह, नूपुर अग्रवाल, सत्यमित्र सिंह दिनेश, सुनील दूबे सोनू, सभासद राकेश तिवारी, कृष्ण कांत राय, रामानुज सिंह चुन्नू, संजय वर्मा, सुनील यादव, मीना अग्रवाल, ज्योति सिंह,मयंक मद्धेशिया,राहुल उपाध्याय, ओमपाल सिंह, दुर्गेश सिंह, अनुज कुमार सिंह, विकास मद्धेशिया सहित सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे।