ऐ इंसान तेरे गाड़ियों की हार्न ने जीना हराम कर रखा था, आज मौका मिला है चैन की नींद हमें सोने दो
अखबार का कोना: जनसंदेश
मो. अशरफ

मऊ। हम तो सड़क के मुसाफिर थे, सड़क ही मेरी मंजिल थी, ना कोई ठिकाना था, ना आशियाना था, ऐ इंसान तेरे गाड़ियों की चिल्ल पौं ने, जीना हराम कर रखा था, आज लाकॅडाउन में जितना चैन से हम हैं, सच में ऐसी जिंदगी का ना कोई अफसाना है। जी हां कुछ ऐसा ही नजारा शहर में देखने को मिला। जहां लॉकडाउन पार्ट-2 के कारण लोग घरों में दुबके है और सड़कों पर इक्का दुक्का लोग ही सड़को पर दिख रहे हैं, जिससे सड़के वीरान पड़ी है एवं गलियां सुनसान हैं। जरूरी काम से निकले लोगों का 10 बजे से 04 बजे तक आना जाना तो है फिर भी सड़क खाली है। लॉकडाउन पार्ट-2 का जायजा लेने जब बीती रात निकला तो देखा कि सड़कों पर घूमने वाले कुत्ते व आवारा पशु बड़े ही आराम से सड़क के बीचों-बीच चैन की नींद सो रहे हैं और इंसान उस समय लाकॅडाउन में घरों में जाग रहा है। वह चैन की नींद इसलिए सो रहे हैं कि अब उन्हें किस बात का डर न तो सड़क पर इंसान दिख रहे और न ही वाहनों का भारी हुजूम और उनके वाहनों के चिल्ल पों मचाते तेज और धीमे स्वर वाले वाले हार्न। इतना ही नहीं सड़कों पर फर्राटा करते फोर व्हीलर व टू व्हीलर के लापरवाह चालक भी घरों में दुबके हैं जिनके गति से इंसान क्या जानवर भी डर जाते थे।
सड़के सुनसान व वाहनों की रफ्तार कम होने से बेजुबां जानवर बेखौफ होकर सड़क पर आराम फरमा रहे हैं। इसलिए जब मौका मिला है तो लाॅकडाउन में, बेजुबान जानवर कर लो दुनिया मुठ्ठी में की तर्ज पर सड़कों पर बेखौफ आराम फरमा रहे हैं।
इसलिए यह कहा जा सकता है कि यह बेजुबान आपस में यह कहते जरूर होंगे कि सड़कों पर बढ़ती भीड़ ने छिन ली थी जगह हमारी अब हमें लाकॅडाउन ने दे दी है आजादी। धरती पर बढ़ती जनसंख्या से इंसान तो इंसान बेजुबां जानवर भी परेशान हो गए थे, लेकिन उन्हीं इंसानों पर आज कोरोना की ऐसी मार पड़ी है कि उन्हें घरों में रहने पर मजबूर कर दिया है और जानवरों को बाहर। इंसान जिस तरह से घमंड में चूर होकर सड़को पर सीना तान के चलते थे, उन्हीं इंसानो की घमंड तोड़ने के लिये ऊपर वाले की ऐसी लानत पड़ी है कि अब उन्हें बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है, क्या अमीर क्या गरीब सब एक सामान हो गये, पैसे रहते हुए भी उन्हें कोई वीआईपी सुविधा नहीं मिल पा रही है। लेकिन इस विपदा में जिस तरह से जिला प्रशासन पुलिस एवं समाजसेवी सहित आम जनता ने अपना परिचय देते हुए जरूरतमंदो के लिए दिल खोलकर मदद कर रही है इनकी जितनी भी सराहना की जाये वह कम है। अंत में बस इतना ही ’’ऐ इंसान तेरे गाड़ियों की चिल्ल पौं ने जीना हराम कर रखा था, आज मौका मिला है चैन की नींद हमें सोने दो’’

