बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बीमारियों से लड़ने के लिये स्वास्थ्य विभाग तैयार
मऊ। कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते खतरे के साथ-साथ लगातार हो रही बारिश और छोटी बड़ी नदियों नालों में पानी बढ़ने की वजह से बाढ़ परेशानियों का सबब बन गई है। बाढ़ ग्रसित क्षेत्र में रहने वाले लोगों को न सिर्फ बाढ़ से बचने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है बल्कि इसके वजह से फैलने वाली बीमारियों से भी सावधान और सतर्क रहना जरूरी है। स्वास्थ्य विभाग बाढ़ के चलते होने वाली समस्याओं से निपटने की तैयारी में लगा हुआ है।
जिलाधिकारी श्री ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि बाढ़ से जनपद में 38,639 व्यक्ति प्रभावित हुये हैं तथा लगभग 3732.925 हेक्टेयर क्षेत्रफल में दो गांव चक्कीमुसाडोही व मुसाडोही पूरी तरह से पानी से घिरे हैं। आंशिक रूप से 52 गांव प्रभावित है। कोरोना महामारी के चलते बाढ़ क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से एलर्ट मोड पर है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सतीशचन्द्र सिंह ने बताया कि कोरोना काल में बाढ़ प्रभावित इलाकों के प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों (सीएचसी और पीएचसी) के डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी विशेष सतर्कता बरतने, बाढ़ के क्षेत्रों में बीमारियां फैलने और उनसे निपटने के लिये पूरी तरह तैयार होकर कार्य कर रहे हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में साफ पानी के लिए क्लोरीन की गोलियां और अन्य आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा गया है। बाढ़ के दौरान और बाद में सबसे ज्यादा खतरा सांप के काटने का रहता है। इसलिये निर्देश दिया गया है कि प्रभावित क्षेत्रों में इससे संबंधी समुचित इलाज और दवाएं उपलब्ध रखी जाएं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में कॉलरा, टायफाइड और दस्त जैसी महामारी के फैलने का ख़तरा बढ़ जाता है, क्योंकि बाढ़ के उतरने के बाद गाँवों में जलस्रोतों मसलन कुआं, तालाब आदि का पानी प्रदूषित हो जाता है और मच्छरों की संख्या अधिक मात्रा में बढ़ जाती है। वहीं कोरोना काल में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोग मुंह और नाक को गमछा/ दुप्पटा/ मास्क आदि से ढके रहें तथा हाथों को समय-समय पर साबुन से धोएं या सैनिटाइज करते रहें। किसी से भी 6 फीट अथवा दो गज की दूरी बनाए रखें, इन सावधानियों के चलते बहुत हद तक कोविड-19 के वायरस से भी अपने आप को बचाया जा सकता है।
डॉ सतीशचन्द्र सिंह ने बताया कि संक्रमित बीमारियों से बचने के लिए ताज़ा गर्म भोजन करना चाहिए, रखा हुआ खाना बिल्कुल नहीं खाना चाहिए, सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग और फुल आस्तीन के कपड़े पहनें और पानी उबाल कर पीना चाहिए।