अपना जिला

फलक पे चाँद मोहर्रम का जब नज़र आया, सफर में याद मोसाफिर को अपना घर आया

घोसी/मऊ। उन्तीसवीं ज़िल्हिज्जा की शाम मोहर्रम के चाँद की पुष्टि इमाम जुमा मौलाना मेहदी हुसैनी ने की।चाँद की ख़बर जैसे ही गांव में फैली शिया समुदाय के लोगो में शोक की लहर दौड़ गयी सब की आँखे नम हो गयी या हुसैन या हुसैन की सदा बुलंद होने लगी महिलाओं ने अपनी चूड़ियां तोड़ दी। हर एक ने स्याह परचम अपने अपने घरो पर लहरा दिया अज़ाखाने सज गए। स्याह लिबास पहने बूढ़े जवान और बच्चे इमाम बारगाह के लिए चल पड़े सदर इमाम बारगाह पे शमीम हैदर वो तफहीम हैदर ने नौहा पढ़ा। जिसे सुन कर सभी की आँखे नम हो गयीं उस के बाद नीम तले चौक पे नज़रे मौला इमाम हुसैन अ.स. हुई वहां पर हाजी गजनफर अब्बास और साजिद हुसैन ने नौहा ख्वानी की “फलक पे चाँद मोहर्रम का जब नज़र आया, सफर में याद मोसाफिर को अपना घर आया” पूरा माहौल ग़मगीन हो गया नौहा वो मातम कर के शिया समुदाय ने सहजादी बतूल बिन्ते रसूल इमाम हुसैन अ.स. की माँ को उन के लाल का पुरसा दिया।गांव के सभी अज़ाखानो और इमाम बाड़ों में शहादते इमाम हुसैन अ. स. की याद में मजलिसे अज़ा आज से शुरू हो गयी है। ये मजलिसे और जलूस कर्बला के उन शहीदों की याद में मनाया जाता है जिन्हों ने सन 61 हिजरी में कर्बला के तपते सहरा में अपनी क़ुरबानी दे कर दीने इस्लाम और पूरी इंसानियत को बचाया।

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