कविता संग्रह “मकीशा” के बाद शालिनी सिन्हा की नई किताब “मेधांश”
समाज की समझ, शब्दों पर पकड़, लिखने की भाषा शैली पर ज्ञान जिस व्यक्तित्व को होगा वे समाज को हर पल कुछ नया और अलग देगा। वे हर उन पहलुओं को छूने की कोशिश करेगा जो समाज, परिवार, व्यवस्था की जरूरत हो। कविता संग्रह “मकीशा” को पढ़ने लिखने में रूचि रखने वालों की पसंद बनने के बाद शालिनी सिन्हा की नई किताब “मेधांश” जल्द ही बाज़ार में आने वाली है। यह किताब सिविल सेवा की तैयारी की तैयारी में जुटे परीक्षार्थियों के दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है। साथ ही यह उन तमाम पत्रकारों, प्रतियोगी परीक्षाओं में जुटे विद्यार्थियों एवं तैयारी करा रहे शिक्षकों के लिए भी अत्यंत ही उपयोगी है। इस किताब के लिए सिविल अधिकारियों से लेकर वैज्ञानिक तथा बड़े विद्वानों ने अपने बधाई संदेश में उपयोगी बताते हुए लेखिका को बधाई दिया है । यह किताब आम लोगों को समसामयिक मुद्दों के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ सदाबहार चले आ रहे चर्चित विषयों के प्रति एक समग्र दृष्टिकोण विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
शालिनी सिन्हा की वर्ष के अंदर यह दूसरी किताब है। पहली किताब “मकीशा” एक काव्य संग्रह ने काफी धूम मचा चुकी है। मकीशा के विमोचन पर साहित्यकारों द्वारा बहुत सराहा गया था।
मूल रूप से बरहड़िया सीवान की रहने वाली लेखिका शालिनी सिन्हा एक पत्रकार होने के साथ ही मुक्त लेखिका भी है। तकरीबन पंद्रह वर्ष इस क्षेत्र में बिताने के बाद अब वह ऑथर के रूप में सबके सामने है।
शालिनी सिन्हा युवा लेखिका एवं कवयित्री, पत्रकार, मुक्त लेखिका, अनुसंधान सहायिका, विजिटिंग लेक्चरर के रूप में अपनी सेवाएं देती रहीं है। इन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से मॉस कम्युनिकेशन में मास्टर डिग्री और बीएड का कोर्स किया है। बतौर सह-संपादक, उप-संपादक तथा संपादक सहित दर्जन भर प्रतिष्ठित अखबारों, वेबपोर्टलों, मैगज़ीनों एवं न्यूज़ चैनल्स में सेवाएं देती रही है। समसामयिक तथा फीचर लेखन में इन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। इसके अलावा ये अन्य विविध प्रकार के लेखन जैसे कविता लेखन,निबंध लेखन, व्यंग्य लेखन, विज्ञान लेखन में भी काफी सक्रिय हैं।
इनके द्वारा लिखित स्त्री-विमर्श, तात्कालिक गतिविधियों पर लेख, वैज्ञानिक लेख, व्यंग्य और कविताएँ देश के नामी अखबारों और मैग्जीनों में सदैव प्रकाशित होती रहती है। अब तक हजारों समाचारों, लेखों, फीचरों एवं संपादकीय को लिखने का अनुभव बटोर चुकी है।
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ में मीडिया रिसर्च एसोसिएट पद पर कार्य करने के साथ ही इनके पास दर्जन भर संस्थानों में कार्य करने का अनुभवों है, जिसका यहां छोटी सी जगह में उल्लेख कर पाना संभव नहीं है। ये विविध सेमिनारों, गोष्ठियों एवं सम्मेलनों में ना सिर्फ शामिल होती रही है बल्कि इसके संचालन में भी आगे रही है।
इन्होंने कई सारे किसान उपयोगी समाचारों और लेखों को लिखा है। जिससे किसानों को नयी तकनीक व् खेती के वैज्ञानिक पद्धति की जानकारी हासिल हो सके। इसके लिए यह देश की विभिन्न प्रतिष्ठित कृषि एवं वैज्ञानिक संस्थाओं से जुडी हुई है । कृषि सम्बंधित लेख लिखने के साथ, हरित वातावरण और पर्यावरण संरक्षण जैसे गंभीर मुद्दों को देश भर के कृषि जनरल, अखबारों, पत्र पत्रिकाओं तथा न्यूज चैनल्स में उठती रही है।
उभरती हुई युवा लेखिका के रूप में इन्होंने हिंदी में विज्ञान लेखन, स्त्री विमर्श लेखन और फीचर लेखन को एक नया आयाम दिया है। यह विज्ञान लेखिका या किसान लेखिका के रूप में अपनी पहचान कायम कर चुकी है। हिंदी में तकरीबन 15 सालों के लेखन के अनुभवों को वह अब छात्रों को बांट रही है और लेखन कौशल की कक्षाएं भी देती है।