शालिनी सिन्हा की काव्य संग्रह “मकीशा” का सीवान में विमोचन
० “पंख फैलाओ और उड़ान हो जाओ, ऊंचे उठो और आसमान हो जाओ…
सीवान। समाज के प्रति सोच हो और शब्दों पर पकड़ हो तो समाज में आपके कार्य व पहचान को कोई रोक नहीं सकता। अपनी अभिव्यक्ति से एक अलग पहचान बना रही बिहार की बेटी के लेख व कविताओं समाज का हर दर्द सराबोर होता है। देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद की सरज़मीं सीवान बड़हरिया की बेटी शालिनी सिन्हा पुत्री हीरा लाल, पति मधुप किशोर सिन्हा की नवीन काव्य संग्रह “मकीशा” का विमोचन रविवार को सीवान के एक निजी वेंकट हाल से विधिवत किया गया।
पुस्तक विमोचन के दौरान समारोह में लक्ष्मी नर्सिंग होम के आर के सिंह, डॉ राजन मान सिंह, राजन दान सिंह, जेड ए इस्लामिया के प्रोफेसर डॉ हारून शैलेन्द्र, प्रोफेसर मधुबाला मौजूद रहीं। इसके साथ ही कई जाने माने शिक्षक,प्रख्याता सहित अन्य गणमान्य लोगों भी इस कार्यक्रम में शामिल रहे । दो घंटे के इस कार्यक्रम में सभी ने उनके द्वारा रचित कविताओं को पढ़ा और तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा कार्यक्रम स्थल गूंज उठा।
पुस्तक विमोचन के दौरान जिस किसी के हाथ में “मकीशा” की प्रति मिली और लोगों ने पुस्तक को पढ़ पन्नों को पलटा सभी ने एक स्वर में शालिनी सिन्हा के शब्दों को सराहा और बधाई दी। सभी ने शालिनी सिन्हा की नई पुस्तक “मकीशा” के लिए शुभकामनाएं दी ।
इस कार्यक्रम में डॉ हारून ने उनकी कविता की पंक्तियां, “आलस से अपना फैसला बरकरार रखिए, मिलेगी मंजिल हौसला बरकरार रखिए, यूं उकताने से हासिल कुछ भी ना होगा, सफर में मेहनत का सिलसिला बरकरार रखिए” के साथ अन्य कई कविताओं को पढ़ने के बाद कहा कि ऐसी प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के लिए यह जगह छोटी पड़ जा रही है। वहीं डॉ आर के सिंह का कहना था कि हिंदी जहां डूबती नजर आ रही है ऐसे में डॉ राजेन्द्र प्रसाद की धरती पर हिंदी की कविता का संग्रह का प्रकाशित होना अपने आप में सराहनीय कार्य है जो बिहार में साहित्य के उत्थान में मददगार होगा।
कार्यक्रम के समापन में उनकी पंक्तियां “पंख फैलाओ और उड़ान हो जाओ, ऊंचे उठो और आसमान हो जाओ के साथ पूरा माहौल जोशीला हो उठा।
इस कड़के की ठंड में भी सैंकड़ों की भीड़ उपस्थित रही।
शालिनी सिन्हा की पुस्तक “Makeesha” ऑनलाइन अमेज़न, फ्लिपकार्ट जैसी वेबसाइटों पर आसानी से उपलब्ध है