शब्द मसीहा की कहानी : तुझ में रब दिखता है…
( शब्द मसीहा केदारनाथ )
बेटी ने जब कमरे की सफाई करते हुए अपने पिता के हाथ से लिखी एक डायरी को पाया तो वह हैरान हो गई। डायरी बहुत ही पुरानी और जर्जर अवस्था में थी। बेटी ने कौतूहलवश डायरी को अपने पास रख लिया। घर की सफाई करने के बाद बेटी उस डायरी को पढ़ने लगी। जैसे -जैसे वह डायरी के पन्नों को पलटती जा रही थी, वैसे-वैसे उसकी आँखों से आँसुओं की धारा बहे जा रही थी। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि दुनिया में ऐसा भी कोई हो सकता है। शाम के सात बजने वाले थे। उसे पता था कि उसके माँ और पिताजी दोनों अपने अपने काम से वापस आने वाले होंगे।
कहने को तो यह परिवार ऑस्ट्रेलिया में रह रहा था, लेकिन इस के दिल में जो प्यार बसता था, वह पूरी तरह से हिंदुस्तानी प्यार था। आम ऑस्ट्रेलियाई लोगों की तरह उसके माता-पिता विदेशी नहीं बल्कि वहाँ भी वह पूरी तरह से एक हिंदुस्तानी ज़िन्दगी जी रहे थे। ऑस्ट्रेलिया का कल्चर बिल्कुल अलग तरह का है। जैसे ही बच्चे कुछ वयस्क होते हैं माँ-बाप उन्हें उनकी आजीविका कमाने के लिए आज़ाद छोड़ देते हैं। यशी अपने माँ-बाप की इकलौती औलाद है। यशी ने अपने पापा की लिखी हुई डायरी को पढ़ा है। उसके पापा ने अपने और अपनी पत्नी के प्यार के उन अनमोल क्षणों को लिखा है, जिन्हें पढ़ने के बाद भी भरोसा नहीं होता कि दुनिया में ऐसे भी लोग अभी मौजूद हैं, जो एक-दूसरे से इतना प्यार करते हैं।
जैसे ही यशी की माँ की कार आकर घर में रुकी, यशी ने दौड़कर अपनी माँ को गले अपने गले से लगा लिया, और जोर-जोर से रोने लगी।
“यशी ! क्या हुआ बेटा? तुम आज इस तरह से रो क्यों रही हो?” माँ ने यशी को अपनी बांहों में भरते हुए कहा।
“माँ ! आज मैं पापा के कमरे की सफाई कर रही थी, मुझे वहाँ पर एक डायरी मिली है। उस डायरी को पढ़ने के बाद मुझे बहुत कुछ जानने को मिला है। मुझे यह भी पता लगा है कि मेरा कोई भाई क्यों नहीं है।” यशी ने कहा।
“ओह माय गॉड।” यशी की माँ ने उसके बालों को सहलाते हुए कहा।
“माँ! कोई आदमी इस दुनिया में इतना भी प्यार कर सकता है क्या किसी को?” यशी ने अपनी माँ से कहा।
“मुझे भी उस डायरी को देखना है। आज तक कभी मैंने उनकी डायरी को नहीं पढ़ा।” ज्योति ने अपनी बेटी के बालों को सहलाने हुए कहा और दोनों घर के अंदर चली गईं।
यशी ने अपने कमरे से लाकर डायरी अपनी माँ के हाथों में रख दी। ज्योति उस डायरी को पढ़ती रही, जैसे-जैसे वह डायरी के पन्ने पलटती गई वैसे-वैसे उसे लगता रहा कि वह अपनी ज़िन्दगी को एक बार फिर से अपने सामने देख रही है। अपनी ज़िन्दगी के बारे में सब कुछ मालूम था, लेकिन अभी भी उसके लिए बहुत कुछ जानना बाकी था जो इस डायरी ने बता दिया था। वह अपने पति मधुर से बहुत प्यार करती थी। वह अपनी ज़िन्दगी का सारा सच जानती थी, लेकिन मधुर की ज़िन्दगी का यह सच तो उसके सामने कभी नहीं आया था।
कुछ देर तक माँ और बेटी एक दूसरे को इस तरह देख रही थीं जैसे कि वह कोई माँ और बेटी न हों, बल्कि दोस्त हों। उन दोनों की नजरों में जमीन आसमान का फ़र्क था। एक के लिए ज़िन्दगी हकीकत थी, तो दूसरी के लिए ज़िन्दगी एक अजाना हुआ अफसाना थी।
“हे बेबी! तुम्हारे पापा आने वाले हैं। अगर तुम्हें सचमुच में पूरी कहानी सुननी है, तो अपने पापा से कहना। इस डायरी को छुपाकर रख दो।” और ज्योति ने यशी का माथा चूम लिया।
ज्योति अपने कपड़े बदलकर रसोई में आ गई थी। उसे मधुर की पसंद का खाना जो बनाना था। आज मधुर का जन्मदिन था। वैसे तो यहाँ के हिसाब से जन्मदिन को वे लोग बहुत खूबसूरत तरीके से बना सकते थे, लेकिन मधुर ने मना कर दिया था। वह अपनी ज़िन्दगी का हर पल ज्योति और अपनी बेटी यशी के साथ गुजारना चाहता था।
कुछ देर बाद मधुर भी अपनी कार से अपने घर पहुंच चुका था। उनका यह घर बहुत खूबसूरत और बहुत बड़ा भी था। ज्योति चाहती थी कि मधुर आज अपनी जवान होती हुई बेटी को अपने ही मुँह से अपने प्यार की सारी दास्तान बताए। मधुर के घर के अंदर आने पर ज्योति ने हमेशा की तरह उसके आते ही उसे अपनी बाहों में भर लिया, फिर उसके माथे को चूमा। लेकिन आज ज्योति की आँखों में एक अलग ही तरह की चमक थी। मधुर तो जैसे ज्योति के रोम-रोम में समाया हुआ था।
“क्या बात है? आज तुम बिल्कुल अलग लग रही हो?” मधुर ने कहा।
“हाँ, आज बहुत ही खास दिन जो है। आज तुम्हारा जन्मदिन है तो मुझे तो अलग लगना ही है मधुर। तुम हर साल अपना जन्मदिन गर पर मेरे साथ ही मनाना पसंद करते हो। मधुर! आज हम दोनों बहुत अच्छा कमा रहे हैं, हमारी बेटी भी आप बहुत बड़ी हो गई है, कम से कम आज तो हमें बाहर चलना चाहिए।” ज्योति ने कहा।
“तुम बहुत अच्छी तरह से जानती हो कि मुझे किसी भी तरह का दिखावा पसंद नहीं है। तुम्हें देखता हूँ तो मुझे लगता है कि जैसे मैंने पूरी दुनिया को पा लिया है। इस घर से बाहर मेरे लिए कुछ भी नहीं है। अगर मुझे काम करने की मजबूरी न हो, तो मैं तुम्हें छोड़कर एक पल के लिए भी जाना नहीं चाहता हूँ।” मधुर ने कहा।
“आज तुम्हारे लिए बहुत बड़ा सरप्राइज है।” ज्योति ने कहा।
“मेरे लिए तुम से बड़ा सरप्राइस क्या हो सकता है? तुम जानती हो कि हमारे प्यार में किस तरह से हमारी ज़िन्दगी को सरप्राइज ज़िन्दगी में बदल दिया था।” मधुर ने कहा।
“मैं सब कुछ जानती हूँ। लेकिन आज तुम्हारी बेटी को तुम्हारा एक राज पता चल गया है। उसने तुम्हारी डायरी को पता नहीं कहाँ से खोज लिया है, और उसे पढ़ने के बाद वह मुझसे तरह-तरह के सवाल कर रही है। उसके सवालों को बताने का हक़ सिर्फ़ तुम्हें है। मैंने तुम्हारे जन्मदिन के लिए केक मंगवा लिया है। लेकिन यह केक कभी कटेगा, जब तुम अपनी बेटी को सारी बात बता दोगे। मैंने उससे प्रॉमिस किया है।” ज्योति ने मधुर के गले में अपनी बाहें डालते हुए कहा।
“तुम अच्छी तरह से जानती हो कि मैं उस कड़वे सच को भूल जाना चाहता हूँ। मुझे लगता था कि मेरी डायरी को कोई खोज नहीं पाएगा। शायद मुझे उस डायरी को जला देना चाहिए था। लेकिन मैं जानता हूँ कि वह एक बहुत जरूरी चीज है।” मधुर ने कहा।
“मैं जानती हूँ, तुम्हारा प्यार और तुमको भी। यह हमारी बेटी है, इसे हमारे बारे में जानने का पूरा हक़ है। मैं खाना तैयार करती हूँ तुम जल्दी से जाकर फ्रेश हो जाओ, और कपड़े बदल कर हाल में आ जाओ।” ज्योति ने मधुर के गालों को सहलाते हुए कहा।
मधुर मुस्कुराते हुए अंदर चला गया था। यशी और ज्योति दोनों तैयारियों में जुट गई थी। कुछ देर बाद मधुर तैयार होकर उनके पास आ गया था। दोनों माँ और बेटी मधुर के आने का बेसब्री से इंतजार कर रही थीं।
“पापा! आज आपका जन्म दिन है, मुझे पता है कि आप माँ से बहुत प्यार करते हो, लेकिन मैं आपके मुँह से ही आपके और माँ के प्यार की कहानी सुनना चाहती हूँ। आज यही मेरा गिफ्ट होगा आपके बर्थ डे का।” यशी ने कहा।
“तेरी माँ ने मुझे सब कुछ बता दिया है। लेकिन प्यार को कभी भी शब्दों में लिखा नहीं जा सकता। बेटे मैंने जो कुछ भी डायरी के अंदर लिखा है, वह सिर्फ़ मेरा अधूरा सच है। किसी भाषा के शब्द भावों को नहीं लिख सकते। आज तुम्हारी माँ भी चाहती है कि मैं वह सारा सच आज फिर से याद करूँ।” मधुर ने कहा।
“प्लीज पापा, मुझे भी तो पता होना चाहिए कि मेरे माँ-बाप हिंदुस्तान को छोड़कर यहाँ इतनी दूर क्यों आ गए?” यशी ने कहा।
“सिर्फ़ अपनी मोहब्बत के लिए ही मैं यहाँ आया हूँ। इस जगह से भी अब मुझे बहुत प्यार है। इस जगह ने मुझे मेरी ज़िन्दगी दी है, और तुम्हें भी मुझे दिया है। तुम मेरी कहानी सुनना चाहती हो। बहुत मुश्किल होगा मेरे लिए। तुम ऐसा करो फ्रीज से मेरे लिए दो बियर ले आओ। बियर पीने के बाद शायद मुझमें थोड़ी हिम्मत आ जाय।” मधुर ने बैठते हुए कहा।
ज्योति अपनी जगह से उठी और फ्रिज से दो बीयर निकालकर ले आई थी। ज्योति ने खुद अपने हाथों से गिलास के अंदर डाल दी थी। ऐसा बहुत कम हुआ था यशी के सामने कि ज्योति ने अपने हाथों से मधुर को कभी बीयर डालकर दी हो। हालांकि यहाँ बीयरपीना बहुत आम बात है। मधुर ने देखते ही देखते पूरा बियर का मग खाली कर दिया था। माँ और बेटी दोनों मधुर का चेहरा देख रही थीं। एक बीयर पीने के बाद मधुर ने दूसरी बीयर का ढक्कन खोल दिया था और अपने मग में डाल दिया था।
“बेटे! यह बात उन दिनों की है जब मैं सिर्फ़ पच्चीस साल का था। तुम्हारी माँ तेईस साल की थी। मैं तुम्हारी माँ से बहुत प्यार करता था, लेकिन एक रोज तुम्हारी माँ ने मेरे साथ बहुत बुरा बर्ताव किया था। मुझे सबके सामने बहुत जोर से थप्पड़ मार दिया था। उसके बाद मैं लगातार फोन करता रहा, लेकिन तुम्हारी माँ ने कभी मेरा फोन नहीं उठाया था। मैं हमेशा यह जानना चाहता था कि मुझसे ऐसी क्या गलती हुई है, जिसकी वजह से मेरा प्यार मुझसे रूठ गया है। मेरी बहुत कोशिशों के बावजूद भी तुम्हारी माँ ने मुझे कुछ भी नहीं बताया था।” मधुर अपनी बीयर पीते हुए बोला।
“उसकी वजह क्या थी?” यशी ने अपने पापा से पूछा। और अपनी माँ की तरफ देखने लगी, लेकिन की निगाहें तो मधुर के चेहरे पर टकटकी लगाए उसे निहार रहीं थीं।
“आज भी जब मैं उस बात को याद करता हूँ तो मेरा कलेजा कांप जाता है। मैं तुम्हारी माँ से बहुत प्यार करता था। मुझे नहीं पता था कि तुम्हारी माँ मुझसे क्यों दूर हो गई थी। हमारे बीच में सब कुछ बहुत अच्छी तरह से चल रहा था, लेकिन तुम्हारी माँ का बर्ताव एकाएक बदल गया था। तुम्हारी माँ के बदले हुए बदलाव से मैं डिप्रेशन में चला गया था। हमारा प्यार कोई एक दो साल का नहीं था। हम दोनों स्कूल के समय से ही एक-दूसरे को पसंद करते थे। शायद ग्यारहवीं क्लास में पढ़ता था, जब तुम्हारी माँ से मैंने अपने प्यार का इजहार किया था। उसके बाद हम दोनों कॉलेज में आ गए थे। कॉलेज का फाइनल ईयर था, और तुम्हारी माँ की खूबसूरती ने मुझे एक दम से पागल कर दिया था।” मधुर ने कहा।
“ऐसा क्या हुआ था पापा? आप एकदम से पागल क्यों हो गए थे?” यशी ने पूछा।
“अब तुम भी बड़े हो रही हो, जब तुम्हें किसी से प्यार हो जाएगा, तब तुम महसूस कर सकोगी उस बात को। तुम्हारी माँ ने मुझसे एक बहुत बड़ा झूठ बोला था। तुम्हारी माँ मुझसे बिना किसी कारण के अलग नहीं हुई थी। उसका कोई दूसरा बॉयफ्रेंड भी नहीं था। मैं बहुत परेशान था कि आखिर वह कारण क्या है, जिसकी वजह से तुम्हारी माँ ने मुझे छोड़ा है।” मधुर ने कहा।
“क्या कारण था पापा?” यशी ने अपने पापा की तरफ देखते हुए पूछा।
“तुम्हारी माँ बहुत महान बनना चाहती थी। वह अपना सारा दुख अकेले उठाना चाहती थी। ज़िन्दगी का एक बहुत बड़ा राज वह छुपाए हुए थी। मैं जब भी उससे मिलने की कोशिश करता था, वह मुझसे बहुत बुरी तरह से बात करती थी, और हमेशा मुझे इस बात के लिए मजबूर करती थी कि मैं उसको छोड़ दूं। लेकिन हमारी ज़िन्दगी में ऐसा होना तो लिखा ही नहीं था।” मधुर ने कहा।
“फिर क्या हुआ पापा?” यशी ने पूछा।
“एक रोज मैं अपनी माँ को दिखाने के लिए अस्पताल गया हुआ था। वहाँ पर तुम्हारी माँ भी बैठी हुई थी। तुम्हारी माँ की शक्ल उस वक्त बहुत ही बदल चुकी थी। उस वक्त तुम्हारी माँ बिल्कुल भी खूबसूरत नहीं लग रही थी। मैंने देखते ही इससे बात करने की कोशिश की, लेकिन तुम्हारी माँ ने वहाँ भी मेरे गाल पर थप्पड़ मार दिया था। मैं समझ ही नहीं पा रहा था कि तुम्हारी माँ मेरे साथ इस तरह का व्यवहार क्यों कर रही है। वह तो भला हो उस अस्पताल में फाइल मेंटेन करने वाले लड़के का, जिसने मेरी माँ की फाइल निकाल कर दी थी, और मुझे बताया था कि तुम्हारी माँ को ब्लड कैंसर है। मेरे तो पैरों के नीचे से जमीन की निकल गई थी इसे जानकार। मेरी माँ को भी कैंसर था, और मुझे तुम्हारी दादी को लेकर इलाज के लिए उस कैंसर अस्पताल में जाना होता था।” मधुर ने कहा।
“तो आपको सच कैसे पता लगा?” यशी ने पूछा।
“वह एक नामी हॉस्पिटल था। वहाँ पर पेशेंट्स के सारे रिकॉर्ड गुप्त रखे जाते थे। लेकिन तुम्हारी माँ की जो हालत मैंने देखी थी, और तुम्हारी माँ को जिस केंसर डिपार्टमेंट में मैंने उस रोज बैठे हुए देखा था, मैं पूरी तरह से हिल चुका था। मुझे कुछ-कुछ अंदाजा हो गया था कि तुम्हारी माँ को भी कोई तकलीफ है, और उसी तकलीफ की वजह से तुम्हारी माँ ने मुझसे किनारा कर लिया है। मैं तुम्हारी माँ के त्याग को समझ चुका था। भले ही हमारा प्यार कच्ची उम्र का प्यार कहा जा सकता था, लेकिन मेरे लिए तो यह ज़िन्दगी का सवाल था। अस्पताल के उस रिकॉर्ड कीपर लड़के से मैंने किसी तरह से जब तुम्हारी माँ के रिकॉर्ड को मुझे दिखाने के लिए कहा, और उसे अपनी सारी बात बताई, तो उसने मेरी मदद की। मुझे पता लगा कि तुम्हारी माँ ब्लड कैंसर की शिकार है। मैं तुम्हारी माँ के सारे प्यार को और उसकी गहराई को समझ चुका था। मैं तुम्हारी माँ के लिए हद दर्जे का पागल था। तुम्हारी माँ मेरा पहला प्यार थी। जब मुझे सारी सच्चाई का पता लगा तो मैंने तुम्हारी माँ से मिलने की बहुत कोशिश की, लेकिन तुम्हारी माँ तो जैसे मेरे प्यार में पागल थी। वह मुझे हर हालत में अपने आप से अलग कर देना चाहती थी, ताकि उसकी बीमारी का काला साया मेरी ज़िन्दगी पर न पड़े, लेकिन उस समय मेरी दीवानगी का बिल्कुल भी पता नहीं था तुम्हारी माँ को। एक तरफ मेरी माँ बीमार थी और दूसरी तरफ मेरी जान ….मेरा प्यार।” मधुर ने कहा।
“फिर आप दोनों दोबारा कैसे मिले?” यशी ने अपना सवाल दोहराया।
“एक यूट्यूबर लड़की थी। मैं उन दिनों लड़के-लड़कियों के प्यार के पर्दाफाश देखा करता था, और कई बार मुझे भी लगता कि तुम्हारी माँ ने मुझे इस्तेमाल किया है, लेकिन तुम्हारी माँ का सच तो मेरे सामने आ ही चुका था। मैंने उस यूट्यूबर लड़की से बहुत बार संपर्क किया, उसे अपनी कहानी बताई। और एक दिन उसने मुझे फोन किया। जब मैंने उससे अपनी सारी समस्या बताई, और उसे भी मेरे प्यार का अहसास हुआ तब उसने मेरी मदद करने के लिए तुम्हारी माँ से संपर्क किया। तुम्हारी माँ के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह अपना इलाज सही से करा सके। उस लड़की ने तुम्हारी माँ की मदद करने के लिए एक एनजीओ के नाम पर इसे एक पार्क के अंदर बुलाया, और मुझे एक डॉक्टर के तौर पर तुम्हारी माँ के सामने पेश किया। तुम्हारी माँ तब भी मुझ पर बहुत नाराज हुई थी। मैंने तुम्हारी माँ के सामने सारा का सारा उसका चिट्ठा खोल दिया था। अपने प्यार की दुहाई दी थी।” मधुर ने कहा।
“और मम्मी ने क्या किया?” यशी ने पूछा।
“तुम्हारी माँ ने मुझे अपने प्यार की बहुत दुहाई दी, और खुद से मुझे दूर करने की कोशिश की, लेकिन मुझे तुम्हारी माँ से इतना प्यार था कि मैं चाहता था कि मैं तुम्हारी माँ के आखिरी पलों में भी उसके साथ रहूँ। मैं उसके साथ बचे हुए ज़िन्दगी के कुछ पलों को ही अपनी पूरी ज़िन्दगी बना लेना चाहता था। मैंने तुम्हारी माँ को उसी पुल के ऊपर जहाँ हम अक्सर मिला करते थे, अपने दिल के रूप में एक हार्ट की शेप का गुब्बारा दिया था। और तुम्हारी माँ को बहुत ही मुश्किल से अपने साथ शादी करने के लिए तैयार किया था। मैं तुम्हारी माँ के लिए पूरी तरह से दीवाना था, और मुझे इस बात की पूरी उम्मीद थी कि मेरा प्यार तुम्हारी माँ को बचा सकेगा। तुम्हारी दादी की मौत दो महीने बाद हो गई थी। इधर तुम्हारी माँ की तबीयत लगातार खराब होती जा रही थी। यहाँ पर आने के पीछे भी यही कारण था। मैं तुम्हारी माँ को हर हालत में बचा लेना चाहता था, इसलिए हमने इंडिया का मकान बेच दिया था, और उससे जो भी पैसे मिले थे ,उन पैसों को लेकर में ऑस्ट्रेलिया आ गया था। तुम्हारी माँ का एक सपना था कि वह सिडनी में मेरे साथ कुछ पल बिताना चाहती थी। और मैं भी चाहता था कि मैं किसी भी तरह से उसकी आखिरी इच्छा को पूरा करूँ। सिडनी में आकर मैंने कई अच्छे डॉक्टरों से संपर्क किया। मैं खुद को बेचकर भी तुम्हारी माँ को बचा लेना चाहता था। किस्मत से मुझे बहुत ही अच्छे डॉक्टर मिल गए, और उन्होंने तुम्हारी माँ का इलाज शुरू कर दिया। मैं दिन में यहाँ पर टैक्सी चलाता था, और सारी रात तुम्हारी माँ के पास रहता था। मेरा प्यार और डॉक्टरों की मेहनत रंग लाने लगी। एक समय ऐसा भी आया था जब तुम्हारी माँ बिल्कुल हड्डियों का ढांचा बनकर रह गई थी। तब भी तुम्हारी माँ ने मुझसे कहा था कि मैं उसे छोड़कर चला जाऊं। लेकिन मैं तुम्हारी माँ से शादी कर चुका था, और मुझे अपने बर्बाद हो जाने का बिल्कुल भी डर नहीं था। दो साल लगे तुम्हारी माँ को ठीक होने में। आखिर में हमारा प्यार जीत ही गया। और हमारे प्यार की निशानी के रूप में तुम हमारे सामने हो। तुम्हारी माँ की बहुत जिद थी कि हमारे यहाँ एक बच्चा और पैदा हो। लेकिन मैं दूसरा बच्चा पैदा करके अपना प्यार बांटना नहीं चाहता था। अब तुम भी सोलह साल की हो चुकी हो। तुम इस काबिल हो गई हो कि हमारे प्यार को समझ सको। वह डायरी मैंने जानबूझकर बाहर निकाली थी, ताकि प्यार क्या है, और हमको तुम भी समझ सको। बेटी! प्यार सिर्फ़ दो लोगों के मिल जाने का नाम नहीं है। तुम्हारी माँ जानती है, और मैं भी जानता हूँ कि प्यार ही ज़िन्दगी को चलाने का सबसे बड़ा जरिया है। मेरे प्यार ने ही तुम्हारी माँ को गलत साबित कर दिया, और आज देखो यह हमारे साथ है। तुम भी अब अपनी ज़िन्दगी शुरू करोगी, लेकिन एक बात हमेशा याद रखना कि प्यार कभी भी किसी की खूबसूरती से नहीं होता है, प्यार तो रूह का रिश्ता है, और यह रिश्ता दुनिया की हर बीमारी से कहीं ज्यादा मजबूत है।” मधुर अपनी जगह से खड़ा हो गया था और उसके दोनों हाथ ज्योति के कंधों पर थे। उसकी आँखों से टप टप कर के आँसू बह रहे थे। जो उसके पापा की मोहब्बत की गवाही दे रहे थे।
“सॉरी पापा! मैंने आज के इतने अच्छे दिन भी आपको रुला दिया।’ यशी ने कहा।
“नहीं, आज मेरी ज़िन्दगी का सबसे खूबसूरत दिन है, जब मेरी बेटी इस बात पर गर्व कर सकती है कि उसके माँ-बाप सिर्फ़ पति-पत्नी नहीं हैं, बल्कि इस दुनिया के दो प्रेमी हैं जिन्होंने अपने प्रेम की ताकत से एक बीमारी को हराकर अपनी दुनिया को आबाद किया है। हम भी यही चाहते हैं कि तुम जिस से भी प्यार करो, तुम्हारा प्यार भी हमारी तरह ही होना चाहिए, हमें इस बात से फर्क नहीं पड़ता है कि तुम किस लड़के से शादी करती हो, सिर्फ़ इस बात से फर्क पड़ता है कि तुम भी हमारी तरह एक खूबसूरत ज़िन्दगी जियो और प्यार की ज़िन्दा मिसाल बन जाओ। यही एक माँ-बाप को अपनी औलाद को सिखाना चाहिए।” मधुर ने कहा।
“अब बस भी करो, लोग तो सिर्फ़ गाना गाते हैं कि तुझ में रब दिखता है, लेकिन मेरे रब तुम हो।” ज्योति ने अपनी सीट से उठकर मधुर के गले में अपनी बाहें डाल दी थीं। यशी भी उन दोनों को अपनी बाहों में भरे हुए लगातार रोए जा रही थी।
“तुम क्यों रो रही हो?” ज्योति ने यशी के आँसू पोंछते हुए कहा।
“आज की दुनिया में ऐसा प्यार होना बहुत मुश्किल है, मुझे नहीं लगता कि दुनिया के अंदर कोई भी और दूसरा होगा, जो इस तरह से एक दूसरे को प्यार कर सके। आई एम प्राउड ऑफ यू मम्मा पापा।” यशी एक बार फिर से दोनों को अपने बाहों में भरकर सुबकने लगी।
“चलो अब केक काटते हैं।“ ज्योति ने कहा।
तीनों ने एक साथ मिलकर केक काटा और मुस्कुराते हुए एक-दूसरे को केक खिलाने लगे। घर अब प्यार के मंदिर में बदल चुका था, जहाँ वाकई ये गाना सच हो उठा था ….तुझ में रब दिखता है ……..