स्त्री: छू लिया आसमान
@सत्यनारायण विश्वकर्मा….
सच ! स्त्री की दुनिया
बहुत बदली है
अब उसके पास अपना विचार है
विरोध का साहस भी,शक्ति भी
उसे चाहिए बराबरी का हक
उसे यह भी पता है
चाहने से नही मिलता
और मांगने से भी नहीं
हक के लिए उठना पड़ता है
अपनी क्षमताओ को
सिद्ध करना पड़ता है
उन्हें सहानुभूति नहीं चाहिए
और न दिखावे का सम्मान
आखिर ये जंग बराबरी की है,
विकास की है,प्रगति की है
स्त्री के लिए सशक्तिकरण
किसी महान आदर्श की कल्पना नहीं
एक प्रतिबद्धता है,एक चुनौती है
स्त्री अब हर स्तर पर
इस चुनौती को स्वीकार रही हैं
खुद को साबित करने के जुनून में
पुरुषों के कर्तव्यों का बोझ भी अब ओढ रही हैं
कई बार पुरुषों से दो गुना काम किया है
ताकि दुनिया को बता सके
एक स्त्री के पास
महज ब्यूटी ही नहीं
अब ब्रेन भी है
रचनाकार सत्यनारायण विश्वकर्मा, सूरजपुर,मऊ के निवासी हैं । आपकी रचनाएँ सरिता, सरस सलिल, मुक्ता,कई बाल पत्रिकाओं,राष्ट्रीय सहारा में समसामयिक मुद्दों पर रचनाएं एवम और कई पत्रिकाओं में हमारी रचनाएं प्रकाशित होती रही हैं।