रेल बोगी को तुरंत कार्य में लेकर देश में चर्चा का विषय बने CMO रेल मंत्री के ट्वीट से चर्चा में
नेशनल डाक्टर्स डे पर विशेष…
■ कोरोना योद्धाओं के मुखिया लॉकडाउन से अनलॉक तक रहे सबसे आगे
मऊ। कोविड-19 में हर कोई डाक्टर और उनके महत्व को जान गया। भारत के प्रधानमंत्री ने उन्हें कोरोना वॉरियर्स का योद्धा बताकर उन्हें सम्मानित किया जिससे कि आज हमारे समाज में डॉक्टर के महत्व को लोग भली-भांति समझ और जान गए ।
डॉक्टर्स जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे मरीजों का न सिर्फ इलाज करते हैं, बल्कि उन्हें एक नया जीवन भी देते हैं। इसलिए उन्हें धरती पर भगवान का रूप कहा जाता है। वह कई लोगों को उनकी जिंदगी वापस लौटाते हैं। डॉक्टरों के समर्पण और ईमानदारी के प्रति सम्मान जाहिर करने के लिए देश के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ बिधान चंद्र रॉय को श्रद्धांजलि और सम्मान देने के लिए उनकी जयंती और पुण्यतिथि को हर साल 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है।
एक जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे के अवसर पर उन्हें अपने कोरोना काल में निभाए गए कार्यों की चर्चा कर उनकी सराहना करना वह भी उनके लिए एक सम्मान का विषय है। गाँव के परिवेश में पले बढ़े और डाक्टर बने लोगों के सेवा करते हुए मऊ में मुख्य चिकित्साधिकारी के पद पर 08 जुलाई 2017 में आये डॉ सतीशचंद्र सिंह मृदुल और हँसमुख स्वभाव, तुरंत निर्णय लेने के साथ बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। यहाँ पर विभाग को एक साथ समन्वय बना कर चलाने का कार्य किया। शुरुआती दिनों में अस्पताल में डाक्टर्स के साथ बैठ कर ओपीडी तक देखने के कारण यहाँ की जनता में यह काफी लोकप्रिय हो गये। अगर कोई मरीज अपना पर्चा लेकर किसी कारणवश इनके चेम्बर में पहुच जाता है तो वह उससे बात करके उसे जरुरी सलाह और दवा उपलब्ध करा देते हैं जिससे मरीज पूरी तरह से संतुष्ट हो कर खुशी-खुशी चला जाता है।
लॉक डाउन में डॉ सतीशचंद ने स्वयं स्टेशन पर खड़े होकर प्रवासियों के ट्रेन से उतरने से लेकर उनके मेडिकल चेकप, डाटा कलेक्ट के बाद नियमानुसार बसों में बैठा के उनके गंतव्य स्थान को रवाना करने का कार्य अपने नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ बखूबी निभाया।
मऊ जिले को मिला देश के पहले रेल कोविड आइसोलेशन का दर्जा
भारत सरकार द्वारा सभी जिलों को मिले रेल कोविड आइसोलेशन बोगी को मऊ को देश में सबसे पहले शुरुआत कर जिले का गौरव बढ़ाया है जिसके लिये रेल मंत्री तक ने ट्वीट में जिक्र किया।
जब सर्जिकल मास्क पहनकर खुद पहुंचे कोविड-19 पॉज़िटिव के पास
कोरोना काल के शुरुवाती दिनों के बारे में एक और जानकारी मिली कि जब पहला कोरोना पाजीटिव जिले में मिला तो लोग मरीज के पास पीपीई किट भी पहन कर जाने में डरते थे। उस समय डॉ सतीशचन्द्र ने बिना समय जाया किये सर्जिकल मॉस्क पहन कर ही मरीज के पास गये और उससे बात नोट बनाया और केस हिस्ट्री तैयार कर विभागीय लोगों को उपलब्ध कराया।


