रचनाकार

स्वतंत्रता दिवस विशेष : भारत की पहचान…

@ पदमा दीवान, रायपुर,छत्तीसगढ…

अलग अलग है बोली भाषा, पृथक पृथक परिधान है।
अनेकता मे एकता जो है, भारत की पहचान है।।

लहर लहर है बाग बगीचे, पावन गंगाधाम है ।
काशी में बैठे है बाबा, सबके राजा राम है।।
मन को अपने बना शिवालय, नेकी कर लो काम है।
अलग अलग है बोली भाषा, पृथक पृथक परिधान है।।

मुकुट बना है शैल हिमालय, हिंद देश की आन है।
देव- भूमि भी कहलाती है, करते सब सम्मान है।।
भूमंडल पर ऐसे चमके, जैसे बिंदी भाल है।                   अलग अलग है बोली भाषा,पृथक पृथक परिधान है।।

वीरों की धरती है भारत, भगत सुख अभिमान।
झलकारी की गाथा गाते, लक्ष्मी जीजा शान है।।
मातृ भूमि पर मरने वाले, वीरो करूं प्रणाम मैं।
अलग अलग है बोली भाषा, पृथक पृथक परिधान है।।

आजादी के मतवालो ने, लाया नया विहान है।
भारत को सिरमौर बनाने, हुये स्वयं बलिदान है।।
ध्यान रखो संज्ञान रखो तुम, लुटा गये वो जान है।
अलग अलग है बोली भाषा, पृथक पृथक परिधान है।।

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