राजनीति का तपा खिलाड़ी ‘योगी’ ‘राज’ का ‘रामसूरत’
०उसे तो चालीस बरस तक एक पार्टी और एक विचारधारा के साथ तपना पड़ता है!!
० राजनाथ का सबसे वफादार सिपाही हैं एमएलसी रामसूरत
@ डा अरविन्द सिंह…
आजमगढ़। विकास की नई इबारत लिखना आसान नहीं होता है। विकास की यह प्रक्रिया क्रमिक और दीर्घकालिक होती है। इसके लिए त्याग और समर्पण की निरंतरता के साथ जनसेवा की महान भावना होनी चाहिए। यही जनभावना एक राजनेता को ‘जननेता’ बनाती है।
आजमगढ़ के पिछडे़ और कई मायनों में विकास से अछूते फूलपुर-पवई के ग्राम्यांचलों की अमराईयों की बेबसी हो, या नगरीय पीड़ा की दारुण कथा, उसे महसूसते हुए जब कोई नेता उसे हरने के लिए, उससे मुक्ति के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा दे, तो उसे रामसूरत राजभर कहते हैं। रामसूरत कोई एक दिन में नहीं बनता है। उसके लिए एक ही दल में बीते एक ..दो नहीं, बल्कि 40 बरस से निरंतर तपस्या करनी पड़ती है, अपमान और बेबसी का घूंट पीना पड़ता है। विपक्ष में रखकर अभावों और सत्ता के प्रभावों से जुझना पड़ता है।
अपने नेताओं और वैचारिकी पर अगाध आस्था और निष्ठा में तपना पड़ता है। कभी-कभी अपनों को सदा के लिए खोना पड़ता है। जीवन के कठोरतम संघर्षों से गुजरना पड़ता है। तब जाकर रामसूरत जैसे किरदार लोगों के सामने आता है।
दुनिया के सबसे मुश्किल साधना में से एक ‘अघोर साधना ‘ के अथक अनुगामी रामसूरत, अघोराचार्य बाबा कीनाराम के अनन्य भक्त हैं। भाजपा के उन दुर्दिनों के साथी, जब आजमगढ़ में सपा, बसपा जैसे दलों के सत्तासीन होने के समय उनकी भाजपा अछूत सी लगती थी। उनके साथी उन्हें अपने साथ सपा या बसपा में लाने के लिए हरसंभव प्रयास किया करते थें, बसपा के कद्दावर और बाद में विधानसभा अध्यक्ष रहे सुखदेव राजभर तो उनके साथी ही थे। जो उन्हें हाथी की सवारी कराने के प्रयास करते तो सपा से भी बड़े बड़े प्रस्ताव आते रहते लेकिन रामसूरत अपने धुन के पक्के नेता थे, जो सदा कमल के फूल से खिला करते थें। यह रामसूरत की जीवटता ही थी कि विधानसभा से लेकर लोकसभा का चुनाव प्रत्याशी बनते रहे लेकिन सपा-बसपा की मोर्चाबंदी के कारण सफ़ल नहीं हुए। बावजूद कभी हिम्मत नहीं हारी और भगवा ध्वज लेकर अपने क्षेत्र में अगली पंक्ति में लड़ते रहें।
राजनाथ के सबसे मजबूत सिपाही:-
रामसूरत को गढ़ने में उन्हें तराशने में उनका संघर्ष तो था ही, लेकिन उन्हें बनाने में भाजपा के कद्दावर नेता और भारत सरकार के रक्षामंत्री राजनाथ का महत्वपूर्ण योगदान है। इन संबंधों की तासीर में वफादारी और सद्भावना की परतें हैं। रामसूरत सदा से ही राजनाथ के बेहद करीबी लोगों में रहें हैं। उनके प्रति सम्मान और वफादारी का ईनाम उन्हें एमएलसी बना कर दिया गया।
अपने कमरे में बाबा कीनाराम की फोटो तो लगातें है लेकिन राजनाथ को अपना गुरु मानते हुए उनकी फोटो भी लगाते हैं। राजनाथ उनके लिए गुरु और संकटमोचक भी है। यही कारण है योगी सरकार में राजभर जब चाहते हैं मुख्यमंत्री से मिले लेते हैं और प्रायः जो जनहित के कार्य अपने क्षेत्रों में चाहते करा लेते हैं। यह उच्च स्तर पर संबंधों की तासीर है।
(लेखक शार्प रिपोर्टर का संपादक/लेखक है)