खेल मंत्रालय में राजनीतिज्ञों के प्रवेश पर प्रतिबंधित हो : अंतरराष्ट्रीय पहलवान आजाद सिंह
@प्रदीप सिंह…
0 अमेरिका, पाकिस्तान और ईरान में भारत का परचम लहराने के बाद मऊ चुनाव ड्यूटी के दौरान कुश्ती खिलाड़ियों का स्टेडियम में हौसला बढ़ाया
0 वर्ल्ड पुलिस चैंपियनशिप में दो गोल्ड मेडल हासिल करके देश का राष्ट्रगान और तिरंगा दो बार लहराने को विदेशियों को कर दिया विवश
0 ग्रामीण अंचल में खिलाड़ियों को प्रोटीन और खाद्य सामग्री उपलब्ध कराए सरकार
मऊ। एक दौर था जब 1988 में आजाद सिंह अपने आजाद मन से केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में कांस्टेबल के पद पर तैनाती हासिल किए। उस दौरान से ही कुश्ती पहलवानी के क्षेत्र में अपना परचम लहराने का तमन्ना संजो लिए थे देखते ही देखते अमेरिका, ईरान और पाकिस्तान सरीखे कई देश में गोल्ड मेडल हासिल करने का गौरव हासिल किया। यहां विदेशियों के बीच में अपने देश भारत का राष्ट्रगान जन गण मन और तिरंगा लहराने के लिए विदेशियों को दिवस कर दिए थे। उसी वक्त से लेकर आज तक उनके मन में खेल और कुश्ती पहलवानों के लिए बहुत ही निष्ठा भरी रहती है।
मौजूदा समय में श्री आजाद केंद्रीय सुरक्षा बल में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर आसीन हैं और मऊ में घोसी विधानसभा के उपचुनाव में अपनी ड्यूटी करने आए स्टेडियम में दौड़ लगाने के साथ हुई उनकी नजर राजश्री प्रतियोगिता पर पड़ी और वह अपने को रोक नहीं पाए कीड़ा अधिकारी से संपर्क करके कुश्ती के कार्यक्रम की जानकारी लिए।
यहां श्री आजाद के मुताबिक देश में खेल और खेल जगत में राजनीति का समावेश बिल्कुल नहीं होना चाहिए । उनके मुताबिक सभी फेडरेशन से राजनीतिज्ञ का सफाई होना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए अपना सब कुछ न्योछावर करने वाले खिलाड़ियों को खेल फेडरेशन का अध्यक्ष की कमान सौपना चाहिए । तभी देश में खेल समाज का उत्थान संभव होगा।
वर्ष 1993 में अमेरिका में केलो रोडो स्प्रिंग शहर में भारत से सिर्फ दो कुश्ती पहलवान भेजे गए थे । दोनों ही पहलवान सीआईएफ के खेमे से थे इनमें से आज हमें मिले श्री आजाद सिंह के मुताबिक उसे वक्त बतौर सब इंस्पेक्टर मैदान में कुश्ती भारत के पक्ष में किया था यहां से कुश्ती खेल में भारत के पक्ष में गोल्ड मेडल जीत कर देश का नाम रोशन किया था और कुश्ती प्रतियोगिता में जीत हासिल की यहां पर भारत का राष्ट्रगान और तिरंगा लहराया गया। भारत को गोल्ड मेडल जीत कर सर्वोच्च पदक हासिल किया । तदुपरांत वर्ष 1989 में पाकिस्तान में जाकर एक बार फिर भारत का परचम लहराया और यहां पर कांस्य पदक हासिल किया। वर्ष 1990 में ईरान देश तख्ती कप कंपटीशन में हिस्सा लिए लेकिन सिर्फ प्रतिभा करने तक ही सीमित रह गए।
श्री आजाद आज खेल जगत में राजनीतिज्ञ के प्रवेश से बेहद दुखी हैं उनका मानना है कि खेल जगत से राजनीति का सफाया होना चाहिए अंतरराष्ट्रीय स्तर एवं राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं बल्कि राज्य स्तर या जिले स्तर पर भी बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले खेल जगत से जुड़े खिलाड़ियों को ही सर्वोच्च पदों यानी खेलों के फेडरेशन अध्यक्ष की कुर्सी पर विराजमान होने का मौका दिया जाना चाहिए और उनकी राय से खेल जगत में क्या संशोधन करना चाहिए क्या उनके लिए संविधान में व्यवस्था होनी चाहिए ऐसे तमाम बिंदुओं पर एक सामूहिक रूप से विचार विमर्श होना चाहिए।
श्री सिंह का कहना है कि अभी वह सेवा में कार्यरत हैं और जैसे ही वह सेवानिवृत होंगे देश के लिए एक संगठन खड़ा हुआ है जिसका नाम संयुक्त खेल मोर्चा उसके बैनर तले देश के विभिन्न इलाकों से यानी राज्यों से खिलाड़ियों को जोड़ने का कार्य करेंगे। एक ऊंचाई तक पहुंचाने का संकल्प लेंगे यही उनकी दिली इच्छा है। उनका मानना है कि आज मौजूदा समय में ग्रामीण स्तर पर कुश्ती खिलाड़ियों के लिए कुश्ती मैट का इंतजाम होना चाहिए । साथ ही उन्हें ग्रामीण स्टेडियम में ही प्रोटीन युक्त खाद्य सामग्री मुहैया कराया जाना चाहिए। उनके विचार से विदेशियों की तर्ज पर भारत में भी 12 वर्ष की अवस्था से ही बच्चों को खेल के प्रति विकसित करना अति आवश्यक है और यह जिम्मेदारी केंद्र और प्रदेश सरकार को उठानी चाहिए तभी हमारे देश का नौनिहाल खेलों के जरिए देश का गौरव बढ़ा सकेंगे।