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उनके दर पर आखिर मेरी दुआ कबूल हुई

@ बृजेश गिरि…

कुछ तो लोग कहेंगे…

मुझे हर हाल में जीने का हुनर आ ही गया,
जिसे मैं ढूँढ रहा था वो नजर आ ही गया।
जिन्दगी भर मैं रहा इक अंजान सफर में,
आखिरकार थक-हार के घर आ ही गया।
मेरे रकीब ने मुझे अपनी रहनुमाई दे दी,
मेरे नसीब में आखिर वो बशर आ ही गया।
उनके दर पर आखिर मेरी दुआ कबूल हुई,
मेरी दुआओं में आखिर वो असर आ ही गया।

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