स्व. ब्रज नारायण गुप्त की सातवीं पुण्यतिथि मनाई गई
कुशीनगर। आईएएस श्री प्रकाश गुप्ता ने अपने पिता स्वर्गीय ब्रज नारायण गुप्त की सातवीं पुण्यतिथि 6 अक्टूबर 2024 को अपने पैतृक ग्राम पिपरा जटामपुर, कुशीनगर में मनाई।
कार्यक्रम प्रारंभ होने के पूर्व गांव के प्राथमिक विद्यालय के नव निर्मित गेट का लोकार्पण किया गया जिसका निर्माण आजमगढ़ निवासी हरिवंश मौर्य के सहयोग से संभव हुआ है। इसके पूर्व में उनके द्वारा प्राथमिक विद्यालय के छात्रों के लिए 10 सीलिंग फैन भी प्रदान किए गए।
कार्यक्रम का शुभारंभ इंटर कॉलेज के पूर्व प्राचार्य गोरखनाथ पांडेय द्वारा स्वर्गीय ब्रज नारायण गुप्त जी के चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर तथा दीप प्रज्वलित करके किया गया। इसके बाद कॉलेज के सेवानिवृत गुरुजन द्वारा स्वर्गीय ब्रज नारायण गुप्त के समग्र व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला गया और उनकी समयशीलता, दृढ़ता, परिहासप्रियता, आदर्शों के प्रति संकल्पबद्धता, अद्भुत अध्यापन शैली और शिष्यों को पुत्रवत स्नेह देना जैसे अनेकानेक गुणों से जुड़े संस्मरण याद किए गए। संस्मरण को सुनते हुए कई गुरुजन की आंखें अतीत की स्मृतियों को याद करके छलक उठीं।
किसी ने व्याख्यान के माध्यम से उनको याद किया तो किसी ने गीतों के माध्यम से। प्रत्येक उद्बोधन पिछले उद्बोधन से अधिक भावपूर्ण था ।
इस अवसर पर श्री प्रकाश गुप्ता ने कहा कि मैं श्रद्धावनत हूं अपने सभी 14 गुरुजन का जिन्होंने मेरे आग्रह को स्वीकार किया और विपरीत स्वास्थ्य एवं वयोवृद्ध होने के बावजूद दूरस्थ स्थानो से श्रद्धांजलि कार्यक्रम में सम्मिलित होकर पिता जी के चित्र पर अपनी श्रद्धा के पुष्प अर्पित किए तथा उनके संस्मरण को सुनाया। कहा कि मैं गुरुजन को आभार स्वरूप शॉल ओढ़ाकर तथा स्मृति चिन्ह एवं पेन देकर उनको सम्मानित नहीं किया बल्कि खुद को सम्मानित होना महसूस किया। श्री गुप्ता ने कहा कि गुरु ऋण से उऋण होना कठिन है, फिर भी अपनी भावनाओं को वस्तु का रूप देकर मैं कृतार्थ महसूस कर रहा हूं ।
कहा कि यह एक ऐसा भाव विभोर करने वाला कार्यक्रम था, जिसमें जहां एक ओर पापा जी के साथ में अध्यापन करने वाले आदरणीय गुरुजनों का आशीर्वाद प्राप्त हुआ वहीं दूसरी ओर पापा जी के कॉलेज, पावा नगर महावीर इंटर कॉलेज फाजिल नगर के पूरा छात्रों का सानिध्य भी मिला ।
इस अवसर पर सावित्री ब्रज नारायण ट्रस्ट की ओर से आयोजित सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में प्रथम द्वितीय तथा तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले ग्रामीण क्षेत्र के साधनहीन किंतु प्रतिभा संपन्न छात्र-छात्राओं को अतिथि गुरुजन के कर कमलों से पुरस्कृत किया गया।
श्री गुप्ता ने कहा की आज हमें जो कुछ भी प्राप्त हुआ है, इसी समाज से प्राप्त हुआ है और अब वक्त है समाज को वापस करने का। ऐसी ही सोच के साथ मेधावी बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए इस प्रतियोगिता का आयोजन ट्रस्ट के माध्यम से किया गया था जिसके आयोजन में मेरे अनुज प्रवीण, महेश तथा चंद्रेश की महत्वपूर्ण भूमिका रही। आज प्राथमिक विद्यालयों में आधार भूत संरचना का सुदृढ़करण, गुरुजन का सम्मान, पुरा छात्रों का सम्मिलन एवं मेधावी बच्चों को पुरस्कार वितरण का जो कार्यक्रम संपन्न हुआ, इस प्रकार के कार्यक्रम भविष्य में नियमित रूप से आयोजित होते रहें, इसके लिए मेरे कई मित्रों द्वारा प्रेरणा दी गई तथा ट्रस्ट को सहयोग देने का भी संकल्प लिया गया। इसके लिए मैं उनका हृदय से आभारी हूं । उम्मीद करता हूं कि आप मित्रों के सौजन्य से सहयोग से समाज को सकारात्मक संदेश देने वाले ऐसे कार्यक्रम भविष्य में भी आयोजित किए जाते रहेंगे और यह कारवां आगे बढ़ता रहेगा। अंत में इन पंक्तियों के माध्यम से कहना चाहूंगा कि ……
“माना अगम अगाध सिंधु है , संघर्षों का पार नहीं है,
किंतु डूबना मझधारों में साहस को स्वीकार नहीं है।”
इस अवसर पर प्रमुख रूप से सेवा निवृत अध्यापकों में सुरेश नाथ सिंह, श्याम सुंदर सिंह, आलिम अली, चंद्रभान गुप्ता, राम आशीष यादव, गामा यादव, विश्राम यादव, शिव कुमार बरनवाल, मथुरा शाही, मंगल प्रसाद, चन्द्रदेव प्रसाद मौजूद रहे।