स्वर्गीय राम सकल सिंह शिक्षा क्षेत्र के मनीषी थे : डॉ. हरिकेश सिंह
रतनपुरा/ मऊ। हम जिनके चित्र की पूजा करते हैं, हम उनके चरित्र से भी प्रेरणा लें। मूर्तियां समाज में इसीलिए स्थापित की जाती हैं कि आगे आने वाली पीढ़ियां उनसे संदेश लेकर सकारात्मक मार्ग पर बढ़ती रहें।
यह विचार जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय छपरा के पूर्व कुलपति डॉक्टर हरिकेश सिंह के है। उन्होंने रतनपुरा स्थित नेहरू इंटरमीडिएट कॉलेज परिसर में गुरुवार को संस्थापक प्रधानाचार्य राम सकल सिंह जी की आदमकद मूर्ति का अनावरण करने के बाद उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए व्यक्त किया। डॉक्टर हरिकेश सिंह ने राम सकल सिंह को कर्तव्यनिष्ठ, अनुशासनप्रिय शिक्षाविद तथा मनीषी बताते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में शिक्षा क्षेत्र में जो अनुशासन था, आज भी उसकी चर्चा गांव-गांव घर-घर तक होती है। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यालय के प्रबंधक राणा प्रताप सिंह एवं संचालन शिक्षक अजय सिंह ने किया। विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ राकेश सिंह ने सभी आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए उनके प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। समारोह में मऊ, बलिया जनपद की अनेक शिक्षा जगत से जुड़ी हस्तियां उपस्थित रही।
कार्यक्रम के प्रारंभ में मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण करके किया गया ।कार्यक्रम के आयोजक राकेश सिंह ने कहा कि 5 जनवरी हम सबके लिए सौभाग्य की बात है। वह इसलिए कि इस तिथि को हम सभी ने संस्थापक प्रधानाचार्य राम सकल सिंह की मूर्ति को परिसर में स्थापित किया ,जो हम सभी के लिए गर्व की बात है। कार्यक्रम में मर्यादा पुरुषोत्तम स्नातकोत्तर महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ निर्मला सिंह ने भी अपने संबोधन में बाबू राम सकल सिंह को शिक्षा क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान देने वाले महान हस्ती के रूप में उन्हें याद किया, जिनकी कृति सदैव लोगों के जेहन में बनी रहेगी।