उत्तर प्रदेश

मायावती की जिद्दी चाल! कहीं बिगाड़ न दे अच्छे अच्छों की ताल!

@आनन्द कुमार…

न मंच, न प्रपंच, न शोर, न हल्ला, लगातार लोकसभा से लेकर विधानसभा में राजनीति का बिगड़ता स्वरुप! फिर भी बसपा ऐसी चाल रही है, जो अच्छे अच्छों का खेल बिगाड़ने पर ही नहीं तुली है, बल्कि किस्मत में भी दाग लगाने को अमादा है!
आशंका है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा के दहलीज पर टिकटार्थियों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं थी, कुछ थे भी तो ऐसा नहीं है कि वे गए और टिकट पा गए!
बसपा मुखिया मायावती ने बंद कमरे में बैठ कर अपनी टीम की बदौलत यूपी की हर एक लोकसभा सीट पर अपने सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर मंथन और चिंतन किया और टिकट की घोषणा की तो अच्छे-अच्छे व राजनीति के बड़े सूरमाओं के पसीने छूट गए, बड़े आराम से 2024 की चुनावी जंग में संसद पंहुचने का सपना देखने वालों व अपने अपने दल के सांसदों की संख्या उँगली पर गिनती करने वालों के लिए बसपा कई लोकसभा सीट पर मुसीबत सा प्रत्याशी खड़ा कर दी है, और जिसके राह मुश्किल थे उन्हें हवा दे दी है, और खुद अपने लिए वह चाल चल दी है की अच्छों अच्छों की ताल गड़बड़ हो गया है!
बहुजन समाज पार्टी ने घोसी लोकसभा सीट से पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान को टिकट देकर न सिर्फ अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर दी, बल्कि सुभासपा व भाजपा के रास्ते मुश्किलों वाली लकीर खींच दी है! बसपा के सिर्फ एक चाल से दो दलों के आर-पार की लड़ाई में त्रिकोणात्मक वोटों की सेंधमारी हो गई है, ऐसे में बसपा, भाजपा के वोट को ना सिर्फ डिस्टर्ब कर रही है, बल्कि एनडीए गठबंधन के सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और भाजपा प्रत्याशी अरविन्द राजभर के सामने चुनौती दे डाली है! सुभासपा के प्रत्याशी बनने के बाद अभी अरविन्द राजभर की डिप्टी सीएम के सामने उठक-बैठक काम नहीं आ रही है, क्योंकि कानाफूसी में तो वहीं बातें जग जाहिर है जो थी, उसमें कोई बदलाव दिखाई नहीं दे रहा है।
बसपा ने घोसी संसदीय सीट से पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान को प्रत्याशी बना कर भाजपा व सुभासपा की मेहनत व मुसीबत दोनों कई गुना बढ़ा दी है।
ऐसे में सुभासपा मुखिया ओपी राजभर का वह बयान की बसपा से सेटिंग हो गई है, उस समय टांय-टांय फुस्स हो गया, जब बहुजन समाज पार्टी ने बालकृष्ण चौहान को हाथी की सवारी दे दी। अब सेटिंग किस प्रकार की थी यह तो श्री राजभर ही जाने लेकिन सपा, कांग्रेस व भाजपा खेमें में तो इस सेटिंग की चर्चा जोरों से है।
उधर आजमगढ़ लोकसभा सीट से भाजपा के सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ व सपा के धर्मेन्द्र यादव के खिलाफ बसपा ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को मैदान में उतार दोनों दलों को दूर का झटका धीरे से दिया है।
वहीं गाजीपुर लोकसभा सीट से बसपा ने डा. उमेश सिंह को प्रत्याशी बनाकर वहां की राजनीति में गर्माहट ला दी है। वहीं आजमगढ़ जनपद की लालगंज लोकसभा सीट से भले ही बसपा सांसद संगीता आजाद के इस्तीफा देने के बाद भाजपा में शामिल होने के बाद बसपा ने एजुकेटेड इन्दू चौधरी पर दांव लगाकर लालगंज के लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि बसपा के पास दगाबाज ही नहीं योग्य प्रत्याशी भी हैं।
बाग़ी बलिया से बसपा ने लल्लन यादव को प्रत्याशी बनाकर पूराने फ़ार्मूले को एक बार फिर दोहराया है, उस समय पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर के खिलाफ मऊ के कपिलदेव यादव को उतारा था, अब नीरज शेखर के खिलाफ लल्लन यादव को ।
वहीं बहुजन समाज पार्टी ने जौनपुर, चंदौली, गोरखपुर, राबर्टसगंज, उन्नाव, अलीगढ़ आदि सीट पर ऐसे प्रत्याशी को चुनावी समर में उतारा है जो भाजपा की मुसीबत तो बढ़ा ही रही है, कहीं दांव सफल हुए तो किसी न किसी सीट पर सपा से आगे भी निकल सकती है। इसलिए यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि, मायावती की जिद्दी चाल! कहीं बिगाड़ न दे अच्छे अच्छों की ताल!

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