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20 अप्रैल से फ्रीज, टीवी, कुलर, मोबाइल व रेडीमेड गारमेन्ट की आनलाईन बिक्री सरकार का गलत निर्णय : संदीप बंसल

अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष संदीप बंसल ने सरकार के 20 अप्रैल से फ्रीज,टीवी, कुलर, मोबाइल व रेडीमेड गारमेन्ट ओनलाईन अमेज़न, फ्लिप्कार्ट व स्नेपडील से ग्राहक खरीदने के निर्णय का खुला विरोध किया है। श्री बंसल ने कहा है कि यह सरकार बिलकुल गलत निर्णय है।
श्री बंसल ने कहा कि पिछले दो-तीन महिनों से पुरे भारतवर्ष में हर गांव, शहर में हर छोटे बड़े दुकानदारों ने अपने शोरुमो व गोडाउनो में जो टीवी, फ्रिज, एसी आदि सामानों को भर कर रखा है उसका क्या होगा, एक-दो माह में फ्रीज- कुलर का सीजन भी चला जाएगा, इससे तो लाखों संख्या में व्यापारी बर्बाद हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार से निवेदन है की कृपया ओनलाईन इन तीनों कम्पनियों से खरीदी का आदेश वापस लें। कहा कि इन तीनों ही कम्पनियों ने प्रधानमंत्री राहत कोष में आज तक एक रुपये की भी मदद नहीं की और आज सरकार उन्हें पूरा व्यापार सौंप रही है जो सभी व्यापारियो के पीठ में छुराघोपने जैसा है। श्री बंसल ने कहा कि देश का हर एक-एक बड़ा व छोटा व्यापारी कोरोना वायरस से लड़ने में पूरे दो माह से तनमन – धन से हर भारतवासी की दोनों हाथों से खुलकर मदद कर रहा है। ऐसे में सरकार का यह निर्णय निन्दनीय ही नहीं शर्मनाक है।
उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण व्यापारी के तरफ से वे निवेदन कर रहे हैं कि हर गांव व शहर के व्यापारी को अपना माल बेचने का निर्णय समय की पाबंदी कै हिसाब से लेवें।
लाकॅ डाउन में साथ देने वाले अपने घर मोहल्ले के आस पास के किराने वाले, दूध डेयरी वाले, मेडिकल स्टोर वाले इन सबका ही साथ मिला और तो और जिन लोकल दुकानदारों ने अपनी दुकानें हमारे लिए बंद रखी और सारे खर्चे चालू होने के बावजूद उन्होंने सेवा कार्य में अपना तन मन धन जो बन सका लगाया, सबके मन में एक ही विचार चाहे कुछ भी हो जाए अपने देश को मुश्किलों से निकालना है ऐसा ही विचार रखा।
अब जब ऑनलाइन कंपनियां चालू हो जाएंगी तब सभी लोग सस्ते के लालच में इन विदेशी कम्पनियों से अपना अपना सारा सामान खरीद लेंगे और जब लॉक डाउन खुलेगा तब कोई भी खरीदार बाजारों में नहीं दिखेगा, व्यापारी समाज पहले ही लाकॅ डाउन से फाइनेंसियल मंदी के शिकार हैं अब जब कुछ संभलने का वक्त आ रहा है तो सरकार बड़े कम्पनियों के गोद में खोलने की कोशिश कर रही है जो गलत है। यहां दुकान वाला अपना किराया मांगेगा, स्टाफ अपना पगार मांगेगा, बिजली बिल, होम लोन, गाड़ी के लोन और ना जाने कितने ऐसे ही खर्चे व्यापारियों के सिर पर होंगे, व्यापार ना होगा तो कहा से लाएंगे हम फिर से इतना पैसा।
उन्होंने कहा कि इससे ज्यादा तो क्या बोलूं बस हाथ जोड़कर अपने प्रधानमंत्री से प्रार्थना करता हूँ कि जब तक लॉक डाउन ना खुले तब तक किसी भी ऑन लाइन कंपनी को चालू करने की परमिशन ना दे।
सरकार के इस निर्णय के बाद व्यापारी से लेकर आम जनता तक सोशल मीडिया पर अपना विरोध प्रकट कर रहे हैं। लोगों का एक स्वर में कहना है कि जब इस संकट की घड़ी में छोटे व्यापारी काम में आए तो सरकार आखिर क्यों ऑनलाइन व्यापार वालों को तवज्जो दे रही है। वह क्यों नहीं व्यापार का सही तरीका समझ रही है, कई व्यापारी तो यहां तक कह बैठे की सरकार का यह निर्णय बेहद लापरवाही भरा है। उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ टैक्स के लिए इस हद तक गुजरेगी तो या आने वाला समय न तो व्यापार के लिए नाही व्यापारी समाज के लिए ठीक होगा।

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