पुण्य स्मरण

जिसके लिए मंदिर खाली कराया जा रहा था पुजारी उन्हें ही गर्भगृह से निकाल रहे थे

अखबार का कोना : हिन्दुस्तान के पटना अंक में प्रकाशित संस्मरण


■ लक्षद्वीप के प्रशासक और पूर्व आइबी चीफ दिनेश्वर शर्मा की सादगी बेमिसाल थी
■ बेलागंज के काली मंदिर में पूजा करने जाना था। प्रशासन की ओर से मंदिर खाली कराया जा रहा था। दीना जी उस दौरान मंदिर के गर्भगृह में ही थे। पुजारी दिनेश्वर शर्मा से जल्द गर्भ गृह खाली करने को कह रहे थे।
■ गया आने के बाद बिना किसी प्रोटोकॉल के पैदल चल देते थे गांव।
■ गांव से पैदल बेला स्टेशन आकर मेमू ट्रेन से भी कर लेते थे सफर
■ अपने ग्रामीण साथी रिक्शाचालक से मिलना नहीं भूलते थे।
■ अपने बेटे की शादी में वर्ष (2010-21 में) खराब कार को धक्का देने के लिए खुद सबसे पहले उतर पड़े थे।
■ जिस समय ये आईबी चीफ हुआ करते थे, ये ट्रेन से गया आ रहे थे। प्रोटोकॉल ऑफिसर और एस्कॉर्ट दस्ता उनका इंतजार कर रहा था। ये ट्रेन से उतरे और पैदल नई गोदाम अपनी बहन के घर चल दिये। अधिकारी परेशान थे कि आखिर कहां निकल गए।
■ गाँव आने के बाद सबसे मगही में ही बात करते थे। एक-एक घर जाते और लोगों को मिठाई खिलाते।

( उज्ज्वल )

गया। शुक्रवार की शाम जब लक्षद्वीप के प्रशासक और पूर्व आईबी चीफ दिनेश्वर शर्मा के निधन की खबर गांववालों को मिली तब उनकी सादगी की चर्चा एक बार फिर जोर पकड़ने लगी। ऐसे कई मौके आये, जब उनकी सादगी से लोग हतप्रभ थे। वर्ष 2008-09 में दिनेश्वर शर्मा आईबी के ज्वायंट डायरेक्टर थे। बेलागंज प्रखंड मुख्यालय स्थित काली मंदिर में उन्हें पूजा करने जाना था। प्रशासन की ओर से मंदिर परिसर खाली कराया जा रहा था। इस दौरान ये मंदिर में ही थे। गर्भगृह में वे परिवार के साथ पूजा कर रहे थे। पुजारी उनसे जल्दी निकलने को कह रहे थे। पुजारी ने उनसे कहा-एक वीआईपी अधिकारी आनेवाले हैं। आप जल्द से गर्भगृह खाली कर दें। इस पर दिनेश्वर शर्मा ने बिना अपना परिचय दिये हुए शालीनता से कहा- बस निकल जाता हूं। मेरी पूजा हो चुकी है। वे पूजा करके अपने गांव पाली चले गये और लोग उनका इंतजार करते रहे। ऐसे कई वाकये उनके साथ जुड़े हैं।
संतोष (दिनेश्वर शर्मा के भतीजे) ने बताया कि 2018 में बेलागंज के पाली गांव में उनके दादा जी की पुण्यतिथि थी। परिवार के सभी लोगों के साथ दिनेश्वर शर्मा भी आये थे। प्रशासन की ओर से इनके लिए गाड़ी भेजी गयी थी। इन्होंने कार वापस कर दी थी। घर के लोगों ने अपनी गाड़ी से गया चलने को कहा। इन्होंने मना कर दिया। वे अपने गांव से दो-ढाई किलोमीटर दूर बेला स्टेशन आये। यहां से उन्होंने मेमू ट्रेन में बैठकर गया तक का सफर किया। उन्हें किसी तरह का तामझाम पसंद नहीं था।
गया जंक्शन से पैदल चल दिये थे नई गोदाम स्थित अपनी बहन के घर
गया में तत्कालीन डीएसपी आलोक कुमार कहते हैं कि उस समय आईबी चीफ रहे दिनेश्वर शर्मा को गया आना था। प्रशासन की ओर से गया जंक्शन पर प्रोटोकॉल के तहत एस्कॉर्ट गाड़ी और सिक्यूरिटी के जवान उनकी आगवानी को मौजूद थे। दिनेश्वर शर्मा आये और वहां से पैदल अपनी बहन गीता दीदी के यहां चल दिये। इधर, प्रोटोकॉल में जुटे अधिकारी कुछ देर तक परेशान रहे।


दीना मगही में ही सबसे पूछते थे हालचाल…
दिनेश्वर शर्मा को गांव में लोग दीना कह कर बुलाते थे। उनके साथ कॉलेज में पढ़ाई करनेवाले और ग्रामीण मित्र सुरेंद्र शर्मा ने बातते हैं-जब अपने गांव आते थे तब एक-एक लोगों के घर जा कर मिलते थे। मगही में ही बातें करते। सब का हाल चाल लेते। घर ले जाकर मिठाई खिलाते थे। गांव के लिए कुछ करने की चर्चा जरूर करते।


अपने रिक्शाचालक मित्र से मिलना नहीं भूलते थे
पाली गांव के ठीक बगल में स्थित खनेटा गांव का एक दलित परिवार से आनेवाला लाल बाबू उनका परम मित्र था। लाल बाबू आज भी ठेला चलाते हैं। गांव आने क बाद एक बार लाल बाबू से जरूर मिलते। लाल बाबू के घर जाकर उनका हालचाल लेते। उन्हें मिठाई खिलाते। निजी तौर पर आर्थिक मदद भी किया करते थे।


अपने बेटे की शादी में खराब कार को धक्का देने के लिए खुद उतर गये
दीना जी के बचपन के मित्र सुरेंद्र शर्मा कहते हैं कि उस समय ये आईबी के वरीय अधिकारी थे। 2010 में दीना अपने बेटे की शादी में गांववालों के साथ बारात जा रहे थे। रास्ते में कार खराब हो गयी। बिना देर किये खुद कार को धक्का देने के लिए सबसे पहले उतर गये। ग्रामीणों के मना करने के बाद भी वे लगे रहे। ऐसे कई यादगार संस्मरण गांववालों के जेहन में है।

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