चर्चा में

हे ईश्वर प्रणाम उनको..

हे ईश्वर
प्रणाम
उन लड़कियों को
जो बलात्कारी बाबा
के खिलाफ
आवाज उठाईं
और आस्था की
आड़ में
ढोंग जी रहे
उन्मादी लोगों की
आंख से आंख
मिलाती रहीं
अंधेरे के खिलाफ
दीपक
जलातीं रहीं।
प्रणाम
उस पत्रकार
श्री रामचन्द्र छत्रपति को
जिसने
धर्म के कोढ़
बलात्कारी बाबा का
पर्दाफाश कर
पत्रकारिता के
सीमेंट शर्मा
युग में भी
लिख डाला
कि बाबा
सन्त नहीं
दरिन्दा है
उससे लड़ने को
कलम जिंदा है।
प्रणाम
उस डीवाईएसपी
सतीश नारंग को
जिसने
अपनी जांच से
ईमानदारी का
मान बढ़ाया है
जिसके दायित्व बोध ने
सीबीआई का
सम्मान बढ़ाया है।
प्रणाम
उस जज
श्री जगदीप सिंह को
जिसकीं तुलना
जगमोहन लाल सिन्हा से
करने का
मन कर रहा है
जिसका अभिनंदन
आज इस देश का
हर समझदार
जन कर रहा है।
प्रणाम
उस पंजाब-हरियाणा
उस हाईकोर्ट को
जिसने
सत्ता की ताकत पाकर
मदान्ध
लोगों को बताया कि
तुम हो
कानून के भक्षक
और हम हैं
कानून के रक्षक
हम जब तक
जिंदा हैं
तुम्हें
कानून को
निगलने नहीं देंगे
इंसाफ को
मरने नहीं देंगे।
यह प्रणाम
केवल मेरा नहीं
उन करोड़ों लोगों का है
जो मानते हैं कि
कानून
देश की आत्मा है
और संविधान
परम पिता
परमेश्वर
परमात्मा है।
हम चाहते हैं
कि यह प्रणाम
वह लोग भी करें
जो मेघालय के
पूर्व मुख्यमंत्री
कलिखो पुल का
सोसाइड नोट
दबवाने में
सफल हो जाने से
इतराए फिर रहे हैं
इस देश के
कानून को
निगल जाने के लिए
मुंह बाये
फिर रहे हैं।
हम चाहते हैं कि
यह प्रणाम
पक्ष और विपक्ष के
वह लोग भी करें
जो इस
हैवानियत की
जानकारी
होने के बाद भी
तटस्थ रहे
वह लोग भी करें
जो ढ़ोंगी बाबा के
पक्ष रहे
मैं जानता हूँ
इनमें कोई
महात्मा गांधी नहीं है
जो सच को
स्वीकार कर
सार्वजनिक रूप से
विलाप करे
अपनी भूल के लिए
पश्चाताप करे।
इसलिए
में ईश्वर से
प्रार्थना
कर रहा हूँ कि
हे ईश्वर !
आप इस मामले में
बलात्कारी बाबा के
इस कुकृत्य
के खिलाफ
जुबान
नहीं खोलने वालों की
जुबान छीन लो
इनके हाथ से
कानून व्यव्यस्था का
निज़ाम छीन लो।
-धीरेन्द्र श्रीवास्तव

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